Wednesday, April 29, 2009

कह दे न मैं तुमसे रोज़ चुदवाऊंगी।

बात तब की है जब मैं माउंट अबू में रहता था मेरी फॅमिली के साथ. वहां मेरे पापा ने एक शोरूम खोला था उस समय मैं भी कुछ दिनों के लिए गया था वहां.

तो वहां हमारे शोरूम के आस पास बहुत से होटल हैं और उन होटल में से एक होटल का मेनेजर मेरा अच्छा दोस्त बन गया था। क्यूंकि मुझे चिकेन मटन ज्यादा खाने की आदत है, तो मैं एक दो दिन मैं होटल में खाना खाता था और मेनेजर और मेरी अच्छी दोस्ती हो गयी थी। हम अक्सर शाम को साथ में रहते थे.

बात उस रोज की है जब बोम्बे के एक गर्ल्स कॉलेज का टूर माउंट आबू घूमने के लिए आया था। उनमे से मुझे एक लड़की बहुत सुंदर लगी उसकी उमर होगी करीब १९ साल. गोरी चिट्टी, लम्बी पोरी, मस्त एक दम सेक्स बम्ब लग रही थी, दिल कर रहा था अभी के अभी खा जाऊं मगर इतनी सारी लड़कियां थी उसके साथ.

मैंने मन मार लिया और उसको देखता रहा। वोह हमारे शोरूम में चली गई. मैं जल्दी से उसके पीछे हो लिया और एक काउंटर पर जा कर खड़ा हो गया। जब वोह मेरे पास आई तो उसने कुछ दिखाने को कहा। मैंने उसको वोह चीज दिखाई, इस तरह उसने कुछ शौपिंग की। फिर उसने कहा कि इन सब का बिल बना दो।

मैंने एक दूसरे सेलमैन को बुला कर कहा कि मैडम का बिल बना दो, तो उस लड़की ने कहा आप ही बना दें. मैंने कहा मैं यहाँ का सेलमैन नहीं हूँ तो उसने पूछा फिर आप कौन हैं मैंने कहा मैं यहाँ का मालिक हूँ, मगर मैं यहाँ नहीं रहता, मैं जयपुर रहता हूँ, आजकल यहाँ घूमने आया हुआ हूँ। वोह तो मैं आप जैसी खुबसूरत लड़की को देख के यहाँ आकर खड़ा हो गया ताकि आपको ठीक से देख सकूँ.

वोह बोली तुमने मुझ में ऐसा क्या देखा?

मैंने कहा बाहर मिलो फिर बताता हूँ और तुम्हे अच्छी तरह से माउंट आबू की सैर करता हूँ. वैसे तुम कौन से होटल में रुकी हो.

वोह लड़की पहले तो मेरी तरफ देखती रह गयी कि मैंने एक साथ कितने सवाल किए. फिर थोड़ी देर बाद वोह बोली कि मैं पास के ही होटल में रूम नम्बर २१३ में रुकी हूँ, मगर आप वहां नहीं आ सकते हमारी वार्डेन ने पूरा होटल सिर्फ़ हम लड़कियों के लिए बुक किया हुआ है. मैंने कहा ठीक है मैं तुम्हे होटल के रिसेप्शन पर मिलूंगा तुम टाइम बताओ कब मिलोगी.

उसने कहा कि अभी तो हम सब बाज़ार घूम के होटल जायेंगे उसके बाद लंच के बाद फिर साईट सीइंग के लिए जायेंगे.

मैंने कहा ठीक है मैं तुमसे मिलने होटल में ६ बजे आऊंगा जब तक सारी लड़कियां और तुम्हारी वार्डेन भी थकी हुई होंगी दिनभर की सैर के बाद.

उसने कहा ठीक है. इतने में सेलमैन बिल लेकर आ गया मैंने बिल देखा और कहा यार कम से कम इतनी सुंदर लड़की को तो छूट दिया करो. और मैंने उसको ५० % छूट देकर कहा कि अब ठीक है. फिर वोह मेरी तरफ़ मुस्कुरा कर चली गयी.

अब मैंने होटल मेनेजर से कहा कि यार तुमने बताया नहीं कि तुम्हारी होटल में बहार आई हुई है.

उसने कहा यार तुझे कैसे पता तू तो दो दिन से होटल आया भी नहीं.

मैंने कहा कि यार एक लड़की आई थी मेरे शोरूम पर मिलने को बोली थी. पता तुम्हारे होटल का दिया था शाम को ६ बजे मिलना है.

उसने कहा ए यार तूने भी अजीब सी फिकर लगायी है, तू शाम को आजा, मै तेरे लिए सॉलिड इन्तेजाम करवा दूंगा तू चाहे जो करना उसके साथ।

मैंने कहा ए इतनी जल्दी नहीं है यार अभी तो उसको माउंट आबू घुमाना है।

उसने कहा ठीक है जब भी मेरी जरुरत हो बोल देना क्या करना है.

फिर मैं शाम को होटल गया तो वोह भी रिसेप्शन पर मेरा इंतज़ार कर रही थी. मुझे देख कर बोली यार तुम तो ६ बजे आने वाले थे अभी ६ :१० हो रहे हैं, मैंने तो सोचा कि तुम आओगे ही नहीं.

मैंने कहा आता कैसे नहीं इतनी खूबसूरत लड़की से मिलने.

और हम दोनों वहां से चल दिए मैंने उसे अपनी बाईक पे पीछे बिठाया और हम सनसेट पॉइंट की तरफ़ चले गये वहां हमने सनसेट होते हुए देखा मुझे पता था कि सनसेट के बाद वहां बहुत अँधेरा हो जाता है और मुझे ये ही चाहिए था जैसे ही सनसेट हुआ और अँधेरा फैलता गया मैं उसको अपनी बाँहों मैं ले लिया और उसके होटों की किस करने लगा। जब उसने कोई विरोध नहीं किया तो मैं समझ गया कि लड़की खेली खाई है। तो फिर सिर्फ़ किस से काम नहीं चलेगा। मैंने उससे कहा कि रात को मैं तुम्हारे होटल में ही एक कमरा ले लेता हूँ फिर मैं तुम्हे बताता हूँ क्या करना है. और हमने वहां से जाना ठीक समझा.

१० बजे मैंने मेनेजर से कहा कि यार मुझे उसके कमरे के पास वाला कमरा चाहिए तो मेनेजर ने कहा यार उस कमरे में तो साली वोह बुड्ढी वार्डेन है.

मैंने कहा यार तो मेरे लिए इतना भी नहीं कर सकता है?

तो उसने कहा यार तेरे लिए तो मैं जरूर उस कमरे को खाली करता हूँ उसने उस कमरे कि लाइट ऑफ़ कर दी थोडी देर में वार्डेन के कमरे से फ़ोन आया कि यहाँ कि लाइट बंद कैसे हो गयी। तो मेनेजर उस कमरे में गया और कुछ देखने के बाद कहा कि मैडम लगता है कि कमरे में कहीं शोर्ट सर्केट हो गया है मैं ऐसा करता हूँ आपका कमरा बदल देता हूँ और उसने रूम बॉय को बुला कर कहा कि मैडम का सामान दूसरे कमरे में शिफ्ट कर दो.

और मेरा काम बन गया। मैंने उस लड़की के कमरे में फ़ोन कर के कहा कि मैं तुम्हारे पास वाले कमरे मैं हूँ, तुम रात को ११ बजे मेरे कमरे मैं आ जाना.

उसने कहा कि पास वाला कमरा तो वार्डेन का है। मैंने कहा कि मैंने खाली करवा लिया है. अब इस कमरे में मैं हूँ.

फिर जैसे ही रात को ११ बजे उसने मेरे कमरे का दरवाज़ा खटखटाया, मैंने दरवाज़ा खोल कर उसको अन्दर लिया और दरवाज़ा लोक कर दिया। मैंने उसको वहीं से किस करना शुरू किया और बेड पर ले गया। फ़िर मैं रुका और कहा- यार ! मैंने तुम्हारा नाम तो पूछा ही नहीं ! क्या नाम है तुम्हारा?

उसने बताया- मेरा नाम दिशा है और तुम्हारा?

मैंने कहा- अली। मैंने उसे फ़िर से किस करना शुरू कर दिया। फ़िर मैंने उसके कपड़े उतारना शुरू किए और उसने मेरे कपड़े उतारे। अब हम दोनो ही नंगे हो गए और बेड पर एक दूसरे के पास लेट गए। मैंने उसके बूब्स को दबाया तो वो भी मेरे लण्ड को सहलाने लगी।

मैंने उसको कहा कि लगता है कि बड़ा ऐक्स्पीरियंस है तुम्हें इस काम में।

तो उसने कहा- हां ! मगर अभी तक किसी लड़के के साथ नहीं किया है, अभी सिर्फ़ मैं और मेरी होस्टल वाली फ़्रेन्ड एक दूसरे को शान्त करते हैं।

मैंने कहा - फ़िर यह सील कैसे टूटी?

तो उसने कहा कि मेरी फ़्रेन्ड ने एक बार लम्बे बैंगन से मेरी चुदाई की थी तो उस दिन मेरी सील टूट गई थी और बहुत सारा खून भी निकला था।

मैंने कहा- ठीक है, आज मैं तुम्हें सिखाता हूं कि लड़के के साथ सेक्स कैसे करते हैं। मैं उसके ऊपर चढ गया और उसके दोनो बूब्स को बारी बारी चूसा। कभी उसकी चूची को काटता, कभी मसलता तो वो तड़प जाती। मैंने उसको अपना लण्ड हाथ में दे रखा था और वो उससे खेल रही थी। वो बोली कि मैं तुम्हारा लण्ड अपने मुंह में लेना चाहती हूं। तो मैं उसके सीने पर आ गया और उसके मुंह में अपना लण्ड डाल दिया। वो उसे लोलीपोप की तरह चूस रही थी।

4-5 मिनट बाद उसने कहा कि अब तो रहा नहीं जा रहा, बस कर दो।

मैंने कहा- क्या करूं?

तो उसने चूत की तरफ़ इशारा कर के कहा कि यहां खुजली हो रही है, शान्त कर दो।

मैंने कहा- बस इतनी सी बात है, अभी करता हूं जानेमन !

और मैंने अपनी पैन्ट की जेब से कन्डोम का पैक निकाला, लण्ड पे चढा के उसकी चूत के गेट पे रख कर धीरे से अन्दर डाला तो वो बोली- निकालो ! यह तो बहुत मोटा है, दर्द हो रहा है।

मैंने कहा- जान ! थोड़ा सा दर्द तो होगा, बाद में मज़ा भी आयेगा। तुम बस देखो। मैंने धीरे धीरे उसकी चूत में डाल दिया। अब उसे मज़ा आने लगा।

फ़िर मैंने जोर से दो तीन झटके मार कर पूर लण्ड उसकी जड़ तक पहुंचा दिया। वो फ़िर से चीखने लग गई। अब मैंने उसके होठों पर अपने होंठ रख दिए और झटके जारी रखे तेज़ तेज़, धीरे धीरे वो शान्त हो कर चुदवाने लगी। बल्कि अपनी गाण्ड हिला कर साथ भी देने लगी। फ़िर मैंने अपनी स्पीड फ़ुल कर दी और झटके पे झटके मारता रहा।

अब तक वो दो बार झड़ चुकी थी लेकिन अब बारी मेरे झड़ने की थी और मेरे झटके कम होते गए और मैं उसकी चूत में झड़ गया।

फ़िर जब हम दोनो शान्त हो गए और बेड पर एक दूसरे के पास पास लेट गए तो मैंने अपने लण्ड की तरफ़ देखा तो कन्डोम फ़ट चुका था। मैंने उसकी चूत की तरफ़ देखा तो मेरा वीर्य निकल रहा था उसकी चूत में से। मैंने उससे कहा- भाग ! बाथरूम में और मूत के आ, वरना परेशानी हो जाएगी।

वो जल्दी से लड़खड़ाते हुए बाथरूम की तरफ़ भागी, दो तीन मिनट बाद आई, थक कर बेड पर पड़ गई और कहने लगी आज तो मर जाती अगर तुम नहीं देखते तो।

मैंने कहा- जान ! हम तो सिर्फ़ मज़े करना चाहते हैं सज़ा नहीं भुगतना चाहते।

फ़िर हम थोड़ी देर ऐसे ही पड़े रहे और उसके बाद तीन चार बार अलग अलग स्टाईल में सेक्स किया और सो गए।

सुबह पांच बजे उठ कर मैंने उसे जगा कर कहा- अब तुम अपने कमरे में जाओ और मैं भी जाता हूं, फ़िर रात को मिलेंगे इसी कमरे में, और हम दोनो चले गए।

यह सिलसिला तीन दिन चला। फ़िर वो मुम्बई चली गई। जाते समय अपना पता और मोबाईल नम्बर दे कर कहा कि कभी मुम्बई आओ तो जरूर मिलना।मैं एक बार मुम्बई गया तो उससे सम्पर्क किया तो वो बोली कि वैसे तो मैं अब मुम्बई में नहीं रहती, मेरी शादी हो चुकी है, पर हम मिल सकते हैं क्योंकि मैं आजकल मुम्बई में अपने मायके आई हुई हूं।

फ़िर वो मुझे जूहू बीच पर मिलने आई और आते ही टैक्सी में बिठा कर पूछने लगी कि तुम कौन से होटल में रुके हो। मैंने कहा कि मैं तो वीटी के पास एक होटल में रुका हूं।

तो उसने टैक्सी वाले को वीटी चलने को कहा और हम होटल के कमरे में पहुंच गए। उसने मुझे अपनी बाहों में लपेट लिया और कहने लगी कि मैं आज तक तुम्हारी वो चुदाई नहीं भूली हूं जो तुमने माऊंट आबू में की थी।

और कहने लगी कि मेरा पति तो बिल्कुल निक्कमा है, साले से चुदाई तो होती नहीं, बस गाण्ड मारता है, वो भी दो तीन मिनट में हिल हिला क हट जाता है हरामी।

काश ! तुम मेरे पति होते !

ठीक है! अब तुम जितने दिन मुम्बई में हो, मैं तुमसे रोज़ चुदवाऊंगी।

और हमने चुदाई की तीन बार।

अगले दिन आने का बोल कर वो चली गई और जाते समय अपना पुणे का पता भी मुझे दिया।

मेरा मुम्बई में तीन चार दिन का काम था। हम दोनो ने रोज़ खूब मज़े किए, मूवी देखने गए, होटल में ज्यादा से ज्यादा वक्त रहते और खूब जी भर कर चुदाई करते।

फ़िर मैं वापिस आ गया। उसके बाद मैं दोबारा उससे नहीं मिल पाया।

मुंह में चुदवा

मैं अभी अहमदाबाद में रहता हूं. बात ३ साल पहले की है, हमारा एक छोटा सा घर है, लेकिन मैं तो बड़े ठाट-बाट से रहता हूं. एक बार मैं और मेरा परिवार सब साथ में बैठे थे। हमारा एक नौकर था जिसका नाम पेमजी था। पापा ने कहा कि घर का काम करने के लिए एक औरत की जरुरत है, तो पेमजी ने कहा कि मेरे गांव में एक नेपाली है, उसका पति उसको छोड़ के भाग गया है, तो पापा ने कहा उसको यहाँ ले आ।
अगले दिन वह उसको लेने चला गया। शाम तक वह उसको ले के आ गया। हम सब वहीं बैठे थे। वो कसम से इतनी सुंदर थी आप तो जानते ही हो कि नेपाली कितने सुंदर होते हैं। तो पापा ने उससे थोड़ी पूछ ताछ की, फ़िर उस दिन से वह हमारे यहाँ काम करने लगी. मेरा तो मन उस पर आ ही गया था, अब तो मैं बस समय का इंतजार कर रहा था।
उसका नाम रेनू था. उसकी उम्र ३२ के आसपास होगी लेकिन अगर आप उसके ब्रेस्ट देखो तो आपका भी खड़ा हो जाए। वह उनको अपने ब्लाउज में छुपा भी नहीं पाती थी। उसको अपनी साड़ी का पल्लू उस पर ढकना पड़ता था. एक बार रात को सब सो गए, फ़िर मैंने सोचा कि शुरुआत तो करनी ही पड़ेगी।
मैं धीरे से खांसा तो उसकी नींद नही खुली. मैंने सोचा कि अब क्या करू? मैं थोड़ा तेज खांसा. फ़िर उसकी नींद खुल गई, उसको हम हमारे कमरे में ही सुलाते थे। मैं, मेरी दादी और रेनू हम तीन एक कमरे में सोते थे और पापा मम्मी अलग कमरे में सोते थे। मैंने एक बार और खांसा तो वो उठी और मेरे लिए पानी लेकर आई। मैं पानी पीते हुए उसके बूब्स को देख रहा था तो उसने मुझे देख लिया. उसने अपनी साड़ी का पल्लू उस पर ढक लिया. मैंने तुंरत उसके सामने देखा, मुझे हंसी आ गई वह भी हलके से मुस्कुरा दी। फ़िर वह सो गई मेरा हाथ तो मेरे लंड पर था सोच रहा था कि उसकी चूत के दर्शन कब होंगे।
अगले दिन मैं दुकान से पहले ही कंडोम लेकर आया। रात के ८ बजे थे, वह दादी के बाल बना रही थी। मैंने कहा मेरे भी बना दो ! उस समय मेरे बाल लंबे थे, मैं तेल की शीशी लेकर आया और उसको दे दी तो उसने कहा- इसका मैं क्या करूं?
मैंने कहा- मेरे बालों पर तेल से मालिश कर दो तो वो मेरे पीछे बैठ गई, मैं उसके आगे पीठ करके बैठ गया, दादी अन्दर वाले कमरे में चली गई तो मैंने अपने सर से उसको बूब्स पर स्पर्श किया वो पीछे हो गई। मैंने थोडी देर बाद फ़िर ऐसा किया लेकिन इस बार वह पीछे नही हुई। मैंने थोडी देर तक ऐसे ही किया तो कहने लगी कि ये क्या कर रहे हो?
मैंने कहा- मालिश करवा भी रहा हूं और कर भी रहा हूं, तो वो हंस पड़ी। मैंने कहा- रात को मैं आऊंगा तो वह मना करने लगी, बोली- तुम्हारी दादी यही पर है।
मैंने कहा- मैं जब खांसु, तब तुम अन्दर वाले कमरे में चली जाना।
उसने कहा- नही किसी को पता चल गया तो मुझे नौकरी से हाथ धोना पड़ेगा।
मैंने कहा- उसकी चिंता तुम मत करो। देखो तुम्हारा पति भी तुमको जवानी में छोड़ कर चला गया है। मुझे पता है इच्छा तो तुमको भी होती ही होगी, लेकिन वह कुछ बोली नही, फ़िर वो वहा से उठ कर चली गई।
रात को मैं जल्दी सो गया था। मैं करीबन २ बजे उठा तब तक घर में सब सो चुके थे। रेनू भी सो गई थी, मैं खांसा लेकिन वह नही उठी। मैं फ़िर से जोर से खांसा तो उसकी नींद खुल गई। हल्का सा उजाला था कमरे में, दादी दूसरी तरफ़ मुह करके सोई थी। मैंने उसको अन्दर का इशारा किया, लेकिन वह तो डरी हुई थी तो मैं ख़ुद अन्दर चला गया और ।उसको इशारे में कहा अन्दर आ जाना।
थोडी देर बाद वह अन्दर आई और बोली- क्या है सो जाओ कोई जग गया तो?
मैंने कहा कुछ नही होगा।
उसने मेरे दोनों गाल दबाए और कहा कि तुम बहुत शरारती हो। मेरी उम्र 21 साल की है। वह मुझसे १२ साल बड़ी है. मैंने अपने हाथ उसके गालों पर रखे तो उसने अपनी आंखे बंद कर ली। मैंने अपने हाथ धीरे धीरे नीचे किए तो वह सकपकाने लगी। अब मेरे हाथ उसके बूब्स पर थे और उनको अहिस्ता अहिस्ता दबा रहे थे उसने मेरी तरफ़ देखा और मेरे होटों को अपने मुह में ले लिया। वह वो नमकीन स्वाद तो मुझे आज भी याद है।
मैं उसके बूब्स को थोड़ा जोर से दबाने लगा तो वह स्स्स्स्स की आवाज निकलने लगी। उसने मेरा मुंह पकड़ा और अपने गोल गोल पहाड़ जैसे बूब्स पर घुसा दिया। मैं उनको मदमस्त हो कर चूमने लगा, मुझे तो मानो प्यासे को पानी मिल गया जैसी हालत हो चुकी थी। ओम्म्म्म्म ओम्म्म करके मैं तो लगा हुआ था धीरे धीरे पर वो बोली खा जाओ इनको। दोनों हाथ से दबाता हुआ उनको चूस रहा था और वह मेरा सर पकड़ के उसमे दबा रही थी।
मेरा लंड तो इतना टाइट हो चुका था मानो जैसे सरिया. और वह हलके से उसकी चूत पर छुआ, थोडी देर तक मैं ऐसे ही उसके बूब्स चाटता रहा। अचानक उसका हाथ मेरे लंड पर आया और उसको मसलने लगा मुझे तो इतना मजा आ रहा था उसका इतना कोमल हाथ मेरे टाइट लंड को छू रहा था। उसने उस समय साड़ी पहनी थी। मैंने उसका ब्लाउज अभी तक खोला नही था।
मैंने धीरे से अपने एक हाथ से उसका घगरा ऊँचा किया तो पता चला कि उसने अन्दर चड्डी नही पहनी है। मेरा हाथ उसके हिप्स पर था मैंने उसके अभी तक कपडे उतारे नही थे। मैं उसी समय नीचे बैठा और उसके घगरे के अन्दर घुस गया। वो बोली- क्या कर ऽऽऽ ! इतना बोली उसके बाद बोली आआह्ह्छ आःह्छ ह्ह्ह्म्म्म्म्ह्ह्म्म्म उस समय मैं उस की चूत चाट रहा था। वह धीरे धीरे नीचे बैठने लगी और अपने दोनों हाथों से घगरे को ऊँचा करती हुई लेट गई। मैंने उसकी दोनों हाथों से टांगे फ़ैला दी लेकिन अपना मुह उसकी चूत से नही हटाया। वो भी मेरे मुंह को अपनी चूत में दबा रही थी, बार बार अपनी कमर ऊँची करती फ़िर नीचे रखती और ह्म्म्म्ह्म्म्म्ह्म्म की आवाजे निकालती।
वह अपने घगरे का नाड़ा खोल रही थी और मैं उसकी चूत में मस्त था। उसने कहा- बस करो, अब मेरी बारी है।
मैंने कहा- क्या मतलब?
उसने मुझे एक झटके में अपने नीचे ले लिया। अब मैं उसके नीचे था और वो मेरे ऊपर। वो मेरे होटों को चूमती हुई मेरे सीने को चूमने लगी और धीरे धीरे मेरे लंड के उपर वाली जगह को चूमने लगी फ़िर उसने मेरे दोनों हाथ पकडे और मेरे खड़े लंड को अपने मुंह में ले लिया और हलके से काटने लगी।
मैंने कहा- यह आइसक्रीम थोड़े ही है?
उसने मेरा लंड इतना चूसा कि वह झड़ने की तैयारी में आ गया। मैंने कहा- मैं झड़ जाऊंगा तो वो बोली रुको अभी मत झड़ो। उसने मुझे अपने ऊपर आने के लिए कहा। मैं उसके ऊपर आ गया और उसके मुंह के दोनों तरफ़ टांगे रख के उसके मुह में अपना लंड डाल दिया। वो दोनों हाथों से मेरे लंड को हिलाती भी रही और जोर जोर से चूसने भी लगी।
मैं अब झड़ने वाला हूं, तो वो बोली- हां ! अब झड़ जाओ और मेरा लंड एक दम से पिचकारी छोड़ने लगा। मैं देखता ही रह गया, उसने एक भी बूंद को बाहर जाने नही दिया, सारा का सारा रस पी गई।
फ़िर उसने अपना ब्लाउज खोला और मुझे कहा- अन्दर से थोड़ा तेल लेकर आओ। मैंने अपना पेंट चढाया और नारियल तेल की शीशी लेकर आया उसने अपने हाथ में थोड़ा तेल लिया और मेरे लंड पर लगाने लगी।
मैंने बोला- इससे क्या होगा?
तो कहने लगी- इतने समय बाद चुदवा रही हूं दर्द नहीं होगा क्या ! इसको लगाने से दर्द नही होगा।
उसके खुले बूब्स मुझे तेल लगाते समय तेज तेज हिल रहे थे, उनको देख कर मेरा लंड फ़िर से हरकत में आने लगा और थोडी ही देर में तन तना गया।
मैंने अपने दोनों हाथ से उसके बूब्स को दबाना चालू किया और कहा कि तुम्हारे बूब्स इतने बड़े क्यों हैं?
तो वो बोली- तेरे लिए ही किए है मेरे राजा, उसने फ़िर से मेरा लंड अपने मुह में ले लिया और जी भर के चूसने के बाद बोली- लो अब अच्छा चिकना हो गया है इसको चूत का रास्ता दिखा दो और और अपने दोनों हाथ से अपनी टांगे फ़ैला दी।
मैंने कहा- वाह ! कितनी उभरी हुई चूत है तुम्हारी !
तो वो बोली- अब बस करो, मत तड़पाओ, डाल दो।
मैंने अपने टॉप पर थोड़ा सा थूक लगाया और उसके अन्दर डाला। उसने अपना हाथ मेरे लंड पर रखा हुआ था और उसको छेद बता रही थी। लंड को छेद मिल गया था, धीरे से मैंने उसको झटका दिया तो स्स्स्स करने लगी।
मैंने जोर से झटका दिया तो आआआ करके चिल्लाने लगी। मैंने कहा- क्या कर रही हो, सब जग जायेंगे। तो बोली थोड़ा धीरे करो। मैंने अपना हाथ उसके मुंह पर रखा और दो तीन झटके जोर से दे दिए। उसकी आवाज तो नहीं निकली लेकिन आंख से पानी निकल गया। अब मैं धीरे धीरे झटके मारने लगा देखा अब उसको मजा आ रहा है तो अपने झटकों की गति को बढाया अब तो वह कहने लगी," और जोर से डालो फाड़ डालो इसको और जोर से।"
अब तो मैं और जोश में आ गया था। करीबन ५ -७ मिनट मैंने उसको वैसे चोदा और कहा कि अब तुम खड़ी हो जाओ। वह खड़ी हो गई मैंने उसको घुमा दिया और आगे से झुका दिया।
अब मैं पीछे से उसकी चूत में लंड डालने लगा उसके हिप्स बार बार मेरे लंड के साइड में लग रहे थे उससे इतना मजा आ रहा था, मेरे दोनों हाथ उसकी कमर में थे और उसको बार बार मेरी और खीच रहे थे। आगे से उसके स्तनों की घंटी बज रही थी वह धम धम करके इतने तेज हिल रहे थे।
मैंने उसको कहा कि अब मैं नीचे लेट जाता हूं और तुम ऊपर आ जाओ। फ़िर मैं नीचे लेट गया और वह ऊपर आ गई ऊपर बैठ कर उसने जैसे ही मेरे लंड को अपने अन्दर डाला फ़िर बोली अब देख मैं तुझको कैसे चोदती हूं ! मेरे मुंह की तरफ़ अपना मुह लाकर जोर जोर से ऊपर नीचे होने लगी। मैं आ हह आह्ह कर रहा था लेकिन मुझे बहुत मजा आ रहा था। मैंने उसको कहा- मैं झड़ने वाला हूं तो वो बोली मैं भी झड़ने वाली हूं, लो मैं तो झड़ गई ! वो पूरी तरह से झड़ चुकी थी।
मेरा लंड ऊपर से ले के नीचे तक पूरा चिकना हो गया लेकिन उसने अपनी रफ्तार रोकी नहीं। मैंने कहा- बस अब आने वाला है वह तुंरत उठी और मुझे खड़ा कर दिया और हाथ से हिलाती हुई मेरे रस का इंतजार करने लगी। मैंने कहा- वह तो फ़िर से चला गया अब मुझे खड़ा कर दिया है तो अपने मुंह में चुदवा लो। मैंने एक हाथ से उसके सारे बाल पकड़े और उसके मुंह में लंड अन्दर बाहर करने लगा। थोडी ही देर में मैं झड़ गया उसने सारा रस पी लिया।
मैं पहले कपडे पहन कर अन्दर आ गया वह बाद में अन्दर आई और हम एक दूसरे के सामने हंस के देख कर सो गए।

अंधेरे में चूत

हाय! दोस्तों मेरा नाम राज है मैं जयपुर का हूँ ओर मेरी उमर 28 साल है ओर मैं शादी शुदा हूँ। मैने काफ़ी स्टोरी पढ़ी हैं नेट पर। मुझे पढ़ने में बहुत ही मज़ा आता है। मेरी भी एक स्टोरी है लेकिन मैने उसे कभी लिखा नहीं पर आज आप सबके लिये लिख रहा हूँ। मैं शादी शुदा हूँ और मेरी शादी को 5 साल हो गये हैं मेरी एक साली है 18 साल की, अभी एक साल पहले तक तो मैने उसे इस तरह की नज़र से नहीं देखा था लेकिन उसकी तरफ से हिंट मिलने पर कुछ उसके लिये मैं एक्साइटेड हो गया। लेकिन अब पहल कौन करे मैं जयपुर में था ओर वो जयपुर से करीब 100 किलोमीटर दूर एक टाउन में थी। सो फोन पर ही बातें होती थी ओर मैं फोने पर उसे इस बात के लिये एग्री करता कि मैं क्या चाहता हूँ। लेकिन तुम लड़कियों की आदत होती है न कि जल्दी से सब चाहते हुए भी हां नहीं करती हो।

इसलिये वो भी मना करती थी कि किसी को पता चल जयेगा तो क्या होगा जीजाजी। लेकिन मैने उसे कहा कि किसको पता चलेगा मैं मौका देखकर ही काम करूंगा। वो मुझ पर पूरा विश्वास करती है ओर मुझे पसंद भी बहुत करती है ओर मेरी नराज़गी का ख्याल भी है उसे। एक बार मैं ससुराल गया मेरी ससुराल में सास ससुर साला ओर दो सालियां और साले के वाइफ़ हैं मेरे पास 800 मारुति कार है वो ही लेकर मैं जाता हूँ और दो दिन तक मैं जब भी ससुराल जाता हूँ तो रुकता हूँ। ओर इस दौरान कहीं भी आस पास सब लोग मेरी गाड़ी में बैठकर घूमने भी जाते हैं पर वहां पर वो मौका लगते ही मेरे पास आ जाती है ओर बातें करती है ओर सच बताउं तो मैने अभी तक उसे टच नहीं किया था क्योंकि मैने उसे कह दिया था कि जब तक वो नहीं चाहेगी मैं उसे टच नहीं करूंगा। इसलिये मैं उसे बातें ही करता हो जोर देता की वो मान जाये लेकिन वो चाहती थी मैं सही मौके के इंतज़ार में रहूं ये कहा तो नहीं उसने पर मुझे ऐसा लगा। लास्ट टाइम तक जब मैं ससुराल गया अभी 3 महीने पहले तब तक मैने उसे टच नहीं किया था पर मैं उसे और वो मुझे ऐसी बातों से एक्साइटेड कर देते थे। इस बार मैं ससुराल गया तो हम लोग वहां से घूमने गये हरियाणा के एक धार्मिक जगह पर जो वहां से 1.50 घंटे की दूरी पर थी। मारुति में कितनी जगह होती है 3 आगे और 4 पीछे मेरे ससुर को छोड़कर बाकी सब गये थे तो वो हमेशा की तरह मेरे बाजु में आगे बैठ गैए मतलब आगे मैं द्राइवर सीट पर ओर मेरे बगल में मेरी साली ओर उसके बगल में मेरा साला यानि वो बीच में थी। बीच में जहां पर गाड़ी के गीयर होते है उनके दोनो तरफ उसकी टांगें थी।

एक टांग तो मेरी टांग से सटी हुई थी और एक टांग मेरे साले से ओर दोनो टांगों के बीच में गाड़ी का गीयर था। मैं तो पहले से ही एक्साइटेड था ओर वो मुझे बड़ी ही नशीली आंखों से देख रही थी। मैं गाड़ी चला रहा था तो गीयर लगाते हुए मैने पहल कर दी ओर उसकी जांघों को टच करता था। वो सलवार शूट में थी। पज़ामा ढीला ढाला होता है लड़कियों का उसमे से में उसे टच करता और मैने हाथ गीयर पर ही रखे रखा। जब हम जा रहे थे तो दिन का टाइम था सो मैने ज्यादा रिस्क लेना ठीक नहीं समझा और सिर्फ़ टच ही करता था जब गीयर लगाता तो सहला देता था उसकी जांघों को ओर वो कशमशा जाती थी ओर मेरी तरफ झुकी नज़रों से देखती थी। गीयर लगाते टाइम मेरी कोहनी उसके बूब्स पर थी तो वो भी अपने बूब्स को मेरी कोहनी पर रगड़ देती थी। ये सिलसिला करीब 1.50 घंटे तक चला ओर हम वहां पहुंच गये। वो मुझसे वहां पर नज़रे मिलाती और मुस्करा देती थी मैं भी एक्साइटेड होकर मुस्करा कर जवाब देता लेकिन कहते कुछ भी नहीं। अब वापस आते टाइम शाम हो चुकी थी और अंधेरा हो चुका था। उस अंधेरे में मैने अपने आपको उसकी तरफ से invitation समझ कर मेरे हाथ को गीयर लगाने के बाद उसकी जांघों को कस कर दबाता रहा ओर मेरे हाथ को उसकी चूत पर भी ले जाने लगा तो वो कुछ ज्यादा ही एक्साइटेड हो रही थी ओर मेरी कोहनी से बूब्स को रगड़ रही थी। इससे मेरा टूल तो काफ़ी कड़क हो चुका था फिर मैने थोड़ी देर बाद उसकी चूत में पज़ामे के उपर से ही अपनी उंगली से रगड़ने लगा और उंगली से धक्का लगाने लगा कुछ देर बाद मैने उस अंधेरे में महसूस किया कि उसकी चूत पूरी तरह से गीली हो चुकी थी ओर वो मस्त हो गयी थी, ना मैं उससे कुछ बोल रहा था ओर नहीं वो मुझसे। बाकी सब लोग गाड़ी में बातें कर रहे थे और किसी को कुछ पता नहीं था हमारी इस रासलीला का।

क्योंकि वो लोग सब मुझे बहुत ही शरीफ़ मानते है। जब घर पर पहुंचे तो वो मुझसे कुछ नहीं बोली पर मैने उसे मुस्करा कर एक आंख से इशारा किया और वो मुस्करा कर बाथरूम में चली गयी। फिर वो मेरे पास जिस कमरे में मुझे सोना था जब भी में जाता हूँ तो वो मेरे पास बैठ जाती है ओर बातें करती है इसलिये उस दिन भी वो मेरे पास आ गयी में बेड पर लेटा था ओर उससे कोई बात नहीं कर रहा था पर उसकी बेचैनी को समझ सकता था मैं, उसने आंखों ही आंखों में बहुत कुछ बोल दिया था मुझसे। मैने मौका देखकर उसका हाथ पकड़ लिया और दबाने लगा तो वो कुछ भी नहीं बोली फिर मैने उसके हाथ को सहलाते हुए मेरे हाथ को उसकी कंधो पर ले गया ओर सहलाने लगा फिर मैने थोड़ा और आगे बढ़ाते हुए उसके बूब्स को दबा दिया और सहलाने लगा तभी वो बोली की जीजु कोई देख लेगा। मैने कहा कि सब सो गये है कोई नहीं देखेगा तो वो नहीं मानी तो मैने उससे कहा की में उपर वाले बाथरूम में जा रहा हूँ तुम भी आ जाना गरमी के दिन थे मैं चला गया।

वो कुछ देर बाद आ गयी मैने उसे वहां पर पकड़ लिया और चूमने और सहलाने लगा उसके बोडी के पार्ट्स को वो नाइटी में थी और ब्रा नहीं थी उसके बूब्स पर। मुझे तो जैसे जन्नत ही मिल गयी थी पर मैं उससे वहां पर चोदू कैसे ये समझ नहीं आ रहा था क्योंकि कोई भी वहां आ गया तो मेरी तो वाट लग जाती और वो भी डरी हुई थी लेकिन मैं मौका जाने भी नहीं दे सकता था तो मैने उसके बूब्स को अपना हाथ उसकी नाइटी में डालकर दबाने लगा और नाइटी को उपर करके चूसने लगा और इस दौरान मैने उसके पैंटी में एक हाथ डाल कर उसकी पुस्सी को रब करने लगा जो पहले ही गीली थी और मस्त हो गयी और तब उसने कहा की जीजु रहा नहीं जा रहा है तो मैने उसे मेरी गोद में दोनो तरफ टांगे करके बैठा लिया मैने मेरा लंड बाहर निकाल कर उसकी पुस्सी पर लगा दिया और धीरे धीरे अंदर करने लगा लेकिन मेरा 8” का टूल उसकी पुस्सी में घुस ही नहीं रहा था और उसे पैन भी हो रहा था लेकिन उस रात वो दो घंटे तक मुझसे मज़े लेती रही और मैं भी उसके साथ मज़े लेता रहा लेकिन उस रात मैं पूरा मज़ा उसके साथ नहीं ले पया और दूसरे दिन next time के लिये दोनो ने बाय की अब मैं जल्दी ही वहां पर जाने की तैयारी में हूँ तब मैं आगे की दास्तां लिखूंगा।

चुदवा ले जी भर के

संजय को हमारे घर पर आए हुए २ दिन हो चुके थे. संजय ३५ साल का था और इंदौर में नौकरी करता था. वो एक तरह से मेरे पापा का दोस्त था. वो दिखने में सुंदर और गोरे रंग का है. जब वो हमारे घर आया तो उसको देख कर मेरा मन मचल उठा. उसने भी जब मुझे देखा तो वो भी मेरी तरफ़ आकर्षित हो गया था. मैं दिखने में सुंदर हूँ. मेरे स्तन पूरा उभार ले चुके हैं. मेरा बदन गोरा और चिकना है. मेरे शरीर का कटाव, उभार और गहराइयाँ किसी को भी अपनी और खींच सकती हैं. खासकर मेरी चूतडों की गोलाईयां, और उसकी फांकें गोल और उभरी हुयी हैं. मेरी जींस उन गहराइयों में घुस जाती है. जो देखने में बहुत उत्तेजक लगती है।
संजय भी मेरी जवानी के जलवों से बच नहीं पाया. वो मुझसे बार बार बातें करने के बहाने या तो ख़ुद कमरे में आ जाता, या मुझे बुला लेता. मेरी इन सेक्सी हरकतों से उसका मन डोल गया. संजय ने वो हरकत कर दी जिसका मैं इंतज़ार कर रही थी.
मम्मी पापा के ऑफिस चले जाने के बाद मैं अपने कपड़े बदल कर सिर्फ़ कुरता पहन लेती थी. अन्दर पेंटी भी नहीं पहनती थी. कुरता लंबा था इसलिए पजामा भी नहीं पहनती थी. इसके कारण मेरे चूतडों की लचक, बूब्स का हिलना और बदन की लचक नजर आती थी. मैं चाहती थी कि वो किसी तरह से मेरी और आकर्षित हो जाए और मैं उसके साथ अपने तन की प्यास बुझा लूँ. रोज की तरह संजय ने मुझे अपने कमरे में बुलाया. उसने मुझे बैठाया और मुझसे बात करने लगा.
ऐसा लगा कि वो सिर्फ़ यूँ ही बात कर रहा था वो सिर्फ़ मेरा साथ चाह रहा था. मैंने उसे फंसाने के लिए हथकंडे अपनाने चालू कर दिए. मैं कभी हाथ ऊपर करके अंगडाई लेती, कभी अपने बूब को खुजाने लगती. मेरे बूब्स कुरते में से थोड़े बाहर झांक रहे थे, उसकी निगाहें मेरे स्तनों पर ही गडी हुयी थी. मैं उठकर बिस्तर पर बैठ गयी. इस बीच में हम बातें भी करते जा रहे थे. मैंने एक किताब ले ली और उलटी हो कर लेट गयी ...और उसे खोल कर देखने लगी. अब मेरे नंगे स्तन मेरे कुरते में से साफ़ झूलते हुए दिखने लगे थे. मैंने तिरछी नजरों से देखा उसका लंड अब खड़ा होने लगा था. मेरा कुरता मेरी जांघों तक चढ़ गया था. उसका पजामा का उठान और ऊपर आ गया. मैं मन ही मन मुस्कुरा उठी.
जैसा मैं चाह रही थी वैसा ही हुआ. संजय अपने होश खो बैठा. वो उठा और मेरे पास बिस्तर पर बैठ गया. मैं जान गयी थी की उसके इरादे अब नेक हो गए है. मैंने अपनी टांगे और फैला ली ...और किताब के पन्ने पलटने लगी. संजय ने मेरे पूरे बदन को देखा और फिर अचानक ही ...... वो बिस्तर पर आ गया और मेरी पीठ पर सवार हो गया. मैं कुछ कर पाती, उसके पहले उसने मुझे जकड लिया. उसके लंड का जोर मुझे चूतडों पर महसूस होने लगा था. मैं जानकर के हलके से चीखी .."संजू ..... ये क्या कर रहो हो ..."
"नेहा ...मुझसे अब नहीं रहा जाता है ...."
" देखो मैं पापा से कह दूंगी ....."
अब उसने मेरे स्तनों पर कब्जा कर लिया था. मुझे बहुत ही मजा आने लगा था. मुझे लगा ज्यादा कहूँगी तो कहीं ये मुझे छोड़ नहीं दे. इतने में उसके होंट मेरे गालों पर चिपक गए. उसने मेरा कुरता ऊपर कर दिया और अपना पजामा नीचे खींच दिया. अब मैं और संजय नीचे से नंगे हो गए थे. उसने एक बार फिर अपने लंड को मेरे चूतडों पर दबाया. मैंने भी चूतडों को ढीला छोड़ दिया ...और उसका लंड मेरी गांड के छेद से टकरा गया.
" अब बस करो ....छोड़ दो न ..... ये मत करो .... संजू .....हटो न ..."
पर उसका लंड मेरी गांड के छेद पर आ चुका था. उसने जैसे ही लंड का जोर लगाया ......कि ... घर की कॉल बेल बज उठी.
संजय घबरा गया. वो उछल कर खड़ा हो गया. और अपना पजामा ठीक करने लगा. मैं एक दम निराश हो गयी. मैं चुदने ही वाली थी की जाने कौन आ गया.
मैं बिस्तर से उठी और संजय को बनावटी गुस्से से देखा और बहार आ गयी. टिफिन वाला खाना लेकर आया था. मन ही मन में टिफिन वाले को खूब गलियाँ दी. मैंने टिफिन किचेन में ला कर रख दिया.
मैं अब अपने कमरे में आ गयी. सोचा कि मौका हाथ से निकल गया. मैं अपने बिस्तर पर जा कर धम्म से उलटी पड़ गयी. मेरा कुरता पंखे कि हवा से उड़कर चूतड पर से ऊपर आ गया. उसी समय मुझे लगा कि मुझे संजय ने फिर से जकड लिया है. इस बार वो पजामा उतार के आया था.
" अरे ..... हट जा न ...... हटो संजय ..."
"मना मत करो ...नेहा ..."
"देखो मैं चिल्ला पडूँगी .."
'नहीं नहीं ...ऐसा मत करना ....... तुम बदनाम हो जोगी ..मेरा क्या है ....."
मेरा मन कह रहा था कि इस बार मुझे मत छोड़ना. चोद के ही जाना.
उसका नंगा लंड अब मेरी चूतडों की दरारों में घुस पड़ा. मैंने टांगे थोडी फैला दी. उसका लंड मेरी गांड के छेद से टकरा गया. जरा से जोर लगाने पर उसकी सुपारी अन्दर घुस पड़ी.
"आह संजू ... मत करो ...न ...... देखो तुमने ...क्या किया ?"
"नेहा ..कुछ मत बोलो ...आज मैं तुम्हे छोड़ने वाला नहीं .... मेरी इच्छा पूरी करूँगा ."
मुझे तो आनंद आ रहा था ... छोड़ने की बात कहाँ थी. वो तो मैं यूँ ही ऊपर से बोल रही थी. मेरे मन में तो चुदने की ही थी.
उसका लंड अब मेरी चूतडों की गहराईयों को चीरते हुए अन्दर बैठने लगा. मैं आनंद से भर उठी. उसके धक्के बढ़ने लगे. मैं बोलती रही "हाय रे ... मत करो ....लग रही है ....हट जाओ न संजय ..."
"आह ...आह ह ...मेरी रानी .... क्या चिकनी गांड है ...... आ अह ह्ह्ह मजा आ रहा है ......."
उसके तेज होते धक्को से मुझे दिल में संतोष मिल रहा था. मन आनंद से भर उठा था. मैं खुश थी कि आज मेरी गांड को लंड मिल गया. और मेरी गांड चुद रही थी.
अचानक उसने मुझे सीधा कर दिया .... और अपना लंड मुझे दिखाया ..."देख नेहा ...इसका क्या हाल किया है तुमने ......"
उसका मोटा कड़क लंड देख कर मेरी उसे चूसने की इच्छा होने लगी .... पर उसके हिसाब से वो मेरा बलात्कार कर रहा था . और जबरदस्ती मेरी गांड चोद रहा था. उसके चोदने की तेजी में मुझे मजा भी आ रहा था. मैंने कहा .."देख संजय ...मैं हाथ जोड़ती हूँ ... मुझे छोड़ दे अब ... प्लीज़ .."
" नेहा ...सॉरी .... ये मेरे बस में नहीं है अब ...... मैं अब पूरा ही मजा लूँगा ..... तुमने मुझे बहुत तड़पाया है .."
कहते हुए उसने अपना लंड मेरी चूत में घुसा दिया ..... और मैंने फिर नाटक करना चालू कर दिया ....... पर कब तक करती ...मैं तो होश खोने लगी थी ..... मैं निहाल हो उठी थी ..... मेरा मन खुशी के मरे उछल रहा था ..... उसके धक्के बढते ही गए ...मेरे चूतड अब अपने आप उछल उछल कर चुदवा रहे थे ....... मेरे मुंह से अपने आप ही निकलने लगा .. " हाय संजय मुझे छोड़ना मत ...चोद दे मुझे ...रे चोद दे ...... हाय संजय तुम कितने अच्छे हो ....लगा ...और जोर से लगा ..."
"हाँ अब मजा आया न रानी ...... मजे ले ले ..... चुदवा ले जी भर के .... हा ...... और ले ....येस ...येस ..."
"मा आ ..मेरी ....हाय ..... माँ रीई ..... चुद गयी माँ ..मेरी ....हाय चूत फट गयी रे ...चोद रे चोद .....मेरी माँ आ ...."
ये ले ...और ले ...... अरे ...अरे .... मैं गया. ...."
कहते हुए संजय मेरे ऊपर लेट गया और लंड का जोर चूत की जड़ में लगाने लगा ... लंड के जोर से गड़ते ही मेरी चूत ने धीरे धीरे पानी छोड़ना चालू कर दिया. मैं जोर से झड़ गयी थी. उसने फिर लंड का जोर लिपटे लिपटे ही लगाया ...और उसका रस निकल पड़ा.
"हा नेहा ...मैं गया ...... निकला ...हाय ...निकला ....... नेहा मुझे जकड लो. मैंने प्यार से उसे लिपटा लिया. मेरी इच्छा पूरी हो गयी थी. वो करवट ले कर साइड में लुढ़क गया.
मैं उसे किस पर किस किए जा रही थी. वो गहरी गहरी सांसे ले रहा था. नोर्मल होते ही वो उठ खड़ा हुआ.
उसने मेरी तरफ़ देखा और मुंह छुपा लिया.
"सॉरी नेहा .... मुझे माफ़ कर देना ...मुझसे रहा नहीं गया .... मैं जानवर बन गया था ... सॉरी ....." वो मुड़ कर कमरे से बाहर चला गया. मैं उसके कमरे में गयी तो वो अपना सामान समेट रहा था. वो जाने की तय्यारी कर रहा था.
मैं उदास हो गयी. मुझे अपनी गलती का अहसास होने लगा था ... मुझे नहीं मालूम था कि मेरी नाटकबाजी उसे अपनी ही नजर में गिरा देगी. मैं भाग कर गयी और उसे लिपटा लिया. और उसे चूमने लगी. "संजय ..मत जाओ न ....."
"नहीं मेरा यहाँ रहना ठीक नहीं है ..."
"संजय ...... आई ऍम सॉरी ..... मेरी वजह से हुआ ना ...देखो मत जाओ ......"
उसने मुझे देखा और सर झुका लिया
"अच्छा जाओ ...... पर अब मेरे साथ कौन बलात्कार करेगा ..."
उसकी उदासी समाप्त हो गयी थी ....... वो हंस पड़ा ........ मैं भी उस से लिपट गयी।

सुंदर हुस्न की मालकिन

हाय मेरा नाम ललित है. मैं कोटा राजस्थान का निवासी हूँ. मै आपके लिए एक नयी स्टोरी लेकर आया हूँ तो चलिए ज्यादा समय न ख़राब करते हुए कहानी पर आ जाते हैं ये मेरी सच्ची कहानी है.
कुछ दिनों पहले में एक महिला से मिला उसका नाम स्वीटी था. वह हमारे ऑफिस की की नयी बॉस थी और में उस ऑफिस में छोटा सा क्लर्क था. वह काफी सुंदर नारी थी उसकी उम्र यही कोई २५-२६ साल के लगभग होगी उसका रंग दूध की तरह सफ़ेद था सही मायने में में वह एक सुंदर हुस्न की मालकिन थी.
शुरू से ही वह मेरे काम से काफी इम्प्रेस थी और सारे ऑफिस के सामने मेरी काफी तारीफ की तो मैं मन ही मन सोचने लगा की वह मुझे चाहने लगी है और घर लौटा तो मेरी माँ की तबियत बेहद ख़राब थी तो मैने ऑफिस से चार दिन की छुट्टी करने की सोच ली और मैने ऑफिस में छुट्टी की भी सूचना नहीं दी यह सोचा की स्वीटी मुझे कुछ नहीं बोलेगी और मुझ पर हमदर्दी जताएगी पर चार दिन बाद जब मैं ऑफिस पंहुचा तो मैं बस छूट जाने के कारण लेट हो गया था जब मैं ऑफिस पंहुचा तो ऑफिस का चपरासी मुझसे बोला की मैडम ने आपको उनके रूम मैं में बुलाया है
मैं टाई ठीक करता हुआ पंहुचा तो वह मुझे देख कर चिल्लाने लगी रूल्स भी कुछ चीज होती है न, तो मैंने माँ की तबियत ख़राब होने का एक्स्क्युज दिया तो वह बोली की तुम्हे एक ऍप्लिकेशन तो देनी चाहिए थी और वह मुझसे बोली कि अगली बार ऐसा नहीं होना चाहिए तो मैं सॉरी मैडम कह कर यह बोला कि मैडम अगली बार ऐसा नहीं होगा जब शाम को मैं घर जाने के लिए जब बस में बैठा और उससे बोला भी नहीं तभी मेरा ध्यान गया की वह आज अपने स्टाप पर उतरी नहीं और वह आज मेरे स्टाप पर उतरी और मुझसे आज ऑफिस में जो हुआ उसके लिए माफ़ी मांगने लगी और कहने लगी कि अगर मैं तुम्हें नहीं डांटती तो ऑफिस के सभी लोगो को मुझ पर शक हो जाता तो यह सुनकर मैंने उसे माफ़ कर दिया
फिर वो मेरे साथ चल पड़ी तभी उसने एक केले वाले से केले लिए और मेरे साथ वापस चल पड़ी तभी मैने उससे पूछा की यहाँ पर तुम्हारा भी कोई मिलने वाला रहता है क्या वो बोली हाँ एक पागल सा लेकिन बड़ा प्यारा लड़का है उसकी माँ की तबियत खराब है मैं उससे बातें कर रहा था तभी मेरा घर आ गया तो मैं बोला कि यह मुझ गरीब की कुटिया है तुम्हे आगे जाना है क्या यह गली काफी लम्बी है मैं तुम्हें उस घर तक छोड़ आता हूँ जहाँ तुम्हें जाना है वह बोली अरे बुद्धू इतना भी नहीं समझे कि मैं तुम्हारे घर ही आई हूँ तुम्हारी माँ की तबियत पूछने
मेरी माँ और बहन ने उसे बड़े सत्कार के साथ घर में बुलाया और उसे चाय और बिस्किट खिलाये फिर वो मेरी माँ से बात करते हुए बोली की मांजी आज ललित को काम से बाहर जाना पड़ेगा तो मेरी आई बोली कि ठीक है बेटी इस काम के वजह से तो मेरा घर चलता है वो साथ ही यह भी बोली की ललित की कल ऑफिस से छुट्टी रहेगी तभी में सोचने लगा कि ऐसा कौन सा काम है जिसका जिक्र मैडम ने ऑफिस में नहीं किया तभी वह मुझसे उसके साथ चलने को बोली
वह अचानक मुझे अपने घर ले गयी तुम्हे कहें काम से बाहर नहीं जाना है तुम्हे केवल आज रात मुझे खुश करना है यह सुनकर मैं मन ही मन बहुत खुश हुआ और अंदर जाते ही मैं उसे चूमने लगा तो वह बोली इतनी जल्दी भी क्या है कुछ देर रुको और वो दौड़ कर दूसरे कमरे मैं चली गयी
तभी उसके कमरे में रखा मोबाइल बजा मैने फ़ोन उठाया तो एक धीरे से आवाज आयीं क्या कर रहे हो मैं बोला कुछ नहीं मैने पूछा की आप कौन है तो वह बोली कि मैं तुम्हारी मैडम स्वीटी हूँ मैं अंदर के फ़ोन से बोल रही हूँ और वह कहने लगी की अब हम कुछ देर ऐसे ही बात करेंगे मैने कहा दिया ठीक है तो वह अचानक मुझे बोली कि तुम अपने कपड़े उतारो और मैं भी उतारती हूँ मैने कपडे उतारे और बोला अब बोलो मैने कपडे उतार दिए है वह बोली कि सामने ड्रोर में एक स्प्रे पड़ा है उसे अपने लंड पर लगा लो मैने जैसे ही उसे अपने लंड पर लगाया मुझे अपने लंड पर ठंडक का अहसास हुआ और मेरा लंड लोहे कि तरह कड़क हो गया फिर वह फ़ोन पर मुझसे बोली कि अब उस अलमारी में जो तुम्हारे पीछे है उसमे एक पट्टा पड़ा उसे गले में बांध लो मैं बोला क्यूँ तो वो बोली कि सवाल मत करो मैं जैसा बोलती हूँ वैसा करो और मैने वह पट्टा अपने गले में बांध लिया वह बोली कि अब तुम मेरे पास आओ और मेरे साथ सेक्स करो
मैं जैसे ही उसके पास जाने के लिए उठा तो वह बोली कि ऐसे नहीं जैसे कि एक कुत्ता चलता है वैसे अपने हाथ और पैरों पर चला कर आओ में जैसे ही कमरे में घुसा तो मैं देख कर दंग रह गया मैडम बिलकुल निवस्त्र थी और उनके साथ चार और आदमी थे वो भी बिना कपड़ो के और सबने मेरी तरह गले में पट्टे पहन रखे थे और मैडम ने भी एक पट्टा पहन रखा था मैडम का पट्टे में हीरे लगे हुए मेने पहुचते ही देखा की मैडम चार लोगो के साथ सेक्स का मजा ले रही थी एक उन्हें लंड चूसा रहा था दूसरा उनके स्तनों से स्तनपान कर रहा था तीसरा उनकी गांड और चौथा उनकी चूत में लंड डाले हुए था मैं देखकर दंग रह गया
वो मुझे देख कर मुह से लंड निकालते हुए बोली कि आओ ललित ये मेरी कुत्ता गैंग है और मै इस गैंग की प्रधान और सेक्सी कुतिया हूँ और आज से तुम भी इस गैंग के भी सदस्य हो कल से तुम पांचो मुझे सेक्स का मजा एक साथ देना फिर वह उन चारो आदमियों से कु कु कु कु करके बाहर जाने को कहने लगी और वो भी इसका जवाब भों भों भों भों करके बाहर चले गए और फिर वह मुझसे बोली की तुम भी कल से कुत्तो की तरह बात करना और इतना कहा कर उसने मेरा लंड मुह में डाला और चूसने लगी फिर मेरा सर पकड़ कर अपनी चूत पर रख दिया और में उसकी चूत चाट रहा था तो वह कूं कूं कूं कूं की आवाज के साथ मेरा साथ देने लगी उसके बाद मेरे सामने कुतिया की तरह खड़ी होकर बोली की जैसे एक कुतिया को चोदता है वैसे ही तुम मुझे चोदो फिर मैने कुत्ते की तरह ही उसे रात भर में चार बार चोदा
अगले दिन से हम सब कुत्ता गैंग के सदस्य उस प्रधान कुतिया(मेरी बॉस) की रोज चुदाई करते हैं. अब मुझे इस तरह की चुदाई में बहुत मजा आता है. कुछ दिनों बाद मेरी शादी है और मैं मेरी पत्नी की भी एक कुतिया की तरह चुदाई करूँगा

मीठा मीठा सा मज़ा

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आंटी की गाँड

यह जो स्टोरी लिखने जा रहा हूँ वो कल की ही बात है। मेरे एक आंटी है उसकी स्टोरी है। मुझे आंटी बहुत अच्छी लगती थी। क्या माल था। उसकी फ़ीगर ३८-३०-३८ थी
बड़े २ चूतड़ और इतनी सेक्सी गाँड थी कि मेरा लंड उसको देख कर टाइट हो जाता था। गाँड का पूछो मत मोटी मोटी गाँड जब जब वो चलती थी तो गाँड हिलती रहती। जब जब मैंने आंटी की गाँड देखा करता था मेरा लंड जोश में आ जता। आंटी बहुत ही सेक्सी थी। बेचारी आंटी अंकल के लंड से खुश नही थी ।
एक दिन मैं उनके घर गया मीनु आंटी अकेली थी। मैंने आंटी से पूछा कि सब लोग कहाँ है आंटी ने जवाब दिया की अंकल का तो तुमको पता ही है और सभी बच्चे मामा के घर गये हैं, आज रात को नहीं आयेंगे। फिर मैंने आंटी को कहा कि ओके आंटी, मैं चलता हूँ। आंटी ने मुझे रोक लिया और कहा अभी रुक जाओ मुझे नहाना है, तब तक तुम मेरे घर का ख्याल रखना, मैं अभी नहा कर आती हूँ। आंटी नाइटी में थी, पिंक नाइटी में उनके बूब्स बड़े सेक्सी लग रहे थे। मैं रुक गया आंटी नहाने चली गयी।
मैं इनके बेडरूम में आंटी का इन्तज़ार कर रहा था कि अचानक मेरी नज़र बेड पर पड़ी, बेड पर टोवल, पैंटी और ब्रा पड़ा था। ब्रा और पैंटी बहुत बड़ी थी। आंटी ने आवाज़ दी और कहा टोवल दे दो मुझे। मैं आंटी को टोवेल दिया फिर आंटी ने कहा सैम, प्लीज़ मेरी पैंटी और ब्रा भी दे दो। मैंने आंटी को पैंटी और ब्रा भी दे दी। अब आंटी नहा कर निकली। आंटी ने ब्लैक कोटन का सूट पहना हुआ था। आंटी की सफ़ेद ब्रा नज़र आ रही थी। अब मैंने आंटी को कहा आंटी अब मैं चलता हूँ। आंटी ने कहा तुम्हें कुछ काम से जाना है क्या? मैंने जवाब दिया नहीं फिर आंटी ने मुझे कहा कि रुक जाओ मैं अकेली बोर हो जाऊंगी। कुछ बातें करते हैं।
मैं बैठ गया और आंटी अपनी लाइफ़ के बारे में बता रही थी। अब आंटी कुछ खुल कर बातें करने लगी। मेरे से पूछने लगी के तुम्हारी गर्लफ़्रेंड्स हैं या नहीं, कभी सेक्स किया है या नहीं। मैं ऐसी बात सुन के हैरान हो गया। अब मैं भी खुल गया था। मैंने आंटी से फूछा कि आंटी आप को सेक्स पसंद है? आंटी ने जवाब दिया कि सेक्स हर किसी को पसंद होता है पागल। क्या तुम्हें पसंद नहीं है, आंटी ने कहा? मैंने जवाब दिया कभी किया ही नहीं है। आंटी ने कहा झूठ मत बोलो, मुझे मालुम है तुम बहुत बुरे हो तुमने अपनी काम वाली को चोदा है और नेहा को भी, मुझे सब पता है और तुमने उन पर स्टोरी भी लिखी, मैंने भी तुम्हारी स्टोरी कल रात को पढ़ी थी और मेरी चूत गीली हो गयी थी, जी करता था कि तुमको रात को ही अपने घर बुलाकर अपनी प्यास भुझा लूँ, लेकिन बच्चे घर पे थे, झूठ बोलता है, तूने अपना मोबाइल नम्बर भी दे रखा है, लेकिन मैंने सोचा जब घर आओगे तब ही बात करूंगी तुमसे। तेरी माँ को बोलना पड़ेगा कि तेरा विवाह कर दे।
मैं अचानक डर गया। आंटी ने कहा डरो मत, मैं कुछ नहीं कहुंगी। मैंने तो तुमको नंगा भी देखा है। मैंने आंटी से पूछा कब देखा आप ने मुझे नंगा? आंटी ने जवाब दिया जब तुम मेरे घर के बाथरूम में पेशाब कर रहे थे। मैंने कुछ नहीं कहा। मेरी भी चूत प्यासी है क्या अपनि आंटी की प्यास नहीं बुझाओगे स्टोरी में तो लिख रखा है गुलाम हाज़िर है, अब चुप क्यों बैठे हो बोलो, अब तुम्हारा लंड प्यास बुजायेगा मेरी चूत की प्यास को। मैं सोनिया आंटी की बातों से मन ही मन खुश हो रहा था सोचा नहीं था कि कभी कि आंटी खुद तैयार हो जायेगी। मैं उनसे डरता भी था वो बहुत गुस्सेवाली थी। आंटी ने अब अपना हाथ मेरे लंड पर रखा मुझे। तब बहुत अच्छा लगा। मेरी आंटी बहुत प्यासी थी वो बिल्कुल गोरी थी। उनकी उमर ३८ की थी लेकिन अभी भी बिल्कुल जवान लगती थी।
ज़िंदगी में आज पहली बार ३८ साल की औरत के साथ सेक्स करने जा रहा था। अब आंटी ने मुझसे कहा अपनी पैंट उतारो। मैं भी देखूँ तुम्हारा प्यारा सा लंड। मैंने अपनी पैंट उतार दी। मैंने उस दन अंडरवियर नहीं पहना हुआ था। मैं अब नीचे से नंगा था। आंटी मेरे पास आयी और मेरी शर्ट भी उतार दी और मुझे पूरा नंगा कर दिया। आंटी को मेरा लंड बहुत अच्छा लगा। आंटी ने मेरा हाथ अपने बूब्स पर रखा और कहा प्रेस करते रहो प्लीज़। मैंने खूब प्रेस किये। आंटी को मज़ा आ रहा था। फिर आंटी ने अपनी कमीज़ उतारी फिर सलवार उतरी। फिर मेरे लंड को चूसने लगी। फिर मैं आंटी की ब्रा खोलने की कोशिश कर रहा था। तो आंटी मुस्करा कर बोली बेटा मैं खोल देती हूँ। फिर आंटी ने ब्रा खोल दी और पैंटी भी उतार दी। अब आंटी का गोरा गोरा जिस्म मेरे सामने पूरा नंगा था।
आंटी ने अपने बड़े बड़े बूब्स को मेरे लंड पर रख दिये और अपने बूब्स से मुझे चुदाई का मज़ा दे रही थी। कुछ देर बाद मैं आंटी की चूत को चाटने लगा। आंटी की सेक्सी सेक्सी आवाज़ें निकल रही थी आआआआआह्हह्हह्हह्ह ऊऊऊह्हह्हह्हह्हह सैम बेटा आआआह्हह्हह्हह्हह ज़ोर से बेटा आआआह्हह्हह्हह्ह तेरी आंटी प्यासी है मेरी प्यास बुझा दे बेटा। आआआआअह्हह्हह्हह्ह। आंटी ने कहा। अब अपना लंड मेरी चूत में डालो। प्यासी है मेरी चूत, प्यास भुजाओ जल्दी। मैंने आंटी की दोनों टांगों को अपने हाथों से अपने कंधों पर रखा और चूत पर ८ इंच का लंड रखा आंटी की चूत टाइट हो रही थी। मैंने हल्का सा धक्का दिया तो आंटी की चीख निकल गयी और आंटी ने कहा आराम से डालो क्या जल्दी है तुमको। मैंने कहा आंटी नहीं अब आराम से डालुंगा। फिर मैंने हल्के हल्के झटकों लगाने शुरु कर दिये। मेरे धक्कों से आंटी को मज़ा आ रहा था।
आंटी की आवाज़ें निकल रही थी। ऊओह्हह्हह्हह्ह ऊफ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़ हाआआ। और डालो और डाल आज मेरी चूत को मज़ा दे दो प्लीज़। तेज़ करो। मैंने तेज़ कर दिया। आंटी मुझे बेड पे ले गयी और मुझे बेड पे धक्का दे दिया और बोली आज तुझसे मैं चुदवाती हूँ। और सोनिया आंटी ने मेरे लंड की टोपी को किस किया और मुझे सीधा लिटा दिया और मेरे लंड के ऊपर अपनी चूत रख दी और ज़ोर २ से हिलने लगी और चिल्लाने लगी आह्हह्हह्हह्हह बेटा सैम बेटा आआआआह्हह्हह्हह्हह्ह मज़ा आ गया तुम्हारा लंड अब मेरी प्यास बुझा देगा और ज़ोर २ से ऊपर नीचे होने लगी, ऐसे मैं मेरे लंड को भी दर्द हो रहा था। आंटी और मैं दोनों पागल हो गये और मैंने आंटी को उठा लिया और नीचे लिटा कर उनकी टांगें खोल दी और फिर से चुदाई शुरु कर दी, आंटी झड़ने वाली थी। हमको १५-२० मिनट हो गये थे और मेरा भी पानी निकलने वाला था, आंटी ने कहा अंदर नहीं निकालना। मैंने कहा ठीक है आंटी। अब मैंने अपना लंड निकाल लिया और आंटी के बूब्स पर पानी निकाल दिया फिर आंटी ने मेरा लंड चूसा और पानी पी गयी। १५ मिनट तक हम नंगे ही बेड पर लेटे रहे।
फिर मैंने आंटी से कहा आंटी मुझे आप की गाँड मारनी है। आंटी ने जवाब दिया आज से सब कुछ तुम्हारा है बेटा ये गाँड भी तुम्हारी है जब बोलोगे, दे दूंगी मेरे सेक्सी सैम। मैंने कहा अभी मिल सकती है? आंटी ने कहा अभी क्यों नहीं। आंटी ने फिर मेरे लंड को चूसना शुरु किया ५ मिनट के बाद मैंने आंटी की मोटी मोटी गाँड पर अपनी ज़बान फेरने लगा आंटी ने कहा ये क्या कर रहे हो। आज तक किसी ने मेरी गाँड पर ज़बान नहीं फेरी मैंने जवाब दिया आंटी एक ब्लू मूवी मैंने देखी थी। आंटी ने कहा सैम तुमको तो बहुत कुछ पता है सेक्स के बारे में। अब आंटी डोगी स्टाइल में थी और मेरा लंड बेचैन था मोटी गोरी गोरी मोटी मोटी गाँड में जाने के लिये। आंटी ने कहा आराम आराम से डालना ये चूत नहीं है गाँड है। बहुत दर्द होता है। मैंने कहा आंटी आप फ़िक्र नहीं करें, मैं आराम से करूंगा। मैंने अब आंटी की गाँड में हल्का सा झटका दिया, आंटी को दर्द हुआ इनकी चीख निकल गयी। आआआह्हह्हह्हह्हह हरामी बाहर निकाल फट जायेगी रहम कर आआआआह्हह्हह्हह्हह्ह नो बेटा प्लीज़्ज़ज़्ज़ज़्ज़ज़्ज़ अह्हह्हह्हह्ह ऊऊऊईईए माआ मम्मयी आअह्हह्ह बाहर निकाल। फिर मैंने अपनी स्पीड हल्की कर दी। अब हल्के हल्के मेरा पूरा लंड आंटी की गाँड में जा चुका था और आंटी को भी मज़ा आ रहा था। आंटी को भी बहुत मज़ा आया गाँड में लंड ले कर। मैंने आंटी को कहा आंटी पानी निलकले वाला है आंटी ने कहा निकाल लो। फिर आंटी ने सारा पानी फिर से पिया और लंड को चूसने लगी।
अब जब भी मौका मिलता है मैं आंटी की प्यास बुझाता हूँ

धक्के की ताकत

मेरे पड़ोस मैं पप्पी रहती थी। वो ११ मैं पढ़ रही थी। उसकी उमर १८ साल थी, पप्पी बहूत सेक्सी थी। उसके बूब्स मुझे बहूत अच्छे लगते थे।। वो एकदम हरी-भरी थी। मेरी उसके घरवालो के साथ ओर उसके साथ अच्छी रेगुलर बातें होती रहती थी, क्योंकि उसकी और हमारी छत (टेरस) एक ही थी, बीच मैं सिर्फ़ ३’ की एक दीवार थी। वो स्टडी मे कमजोर थी, उसके एग्जाम आने वाले थे, उसकी मुम्मी ने मुझसे कहा कि परेश, पप्पी के एग्जाम शुरू होने वाले हैं, वो स्टडी में कमजोर हैं, उसे थोड़ा टाइम निकाल कर पढ़ा दिया करो। मैंने हां कर दी, मैं रोज रात को ८ बजे उसके घर उसे पढ़ाने जाता। मेरा रूम फ़र्स्ट फ़्लोर पर था, उसका भी एक रूम फ़र्स्ट फ़्लोर पर था, वो बन्द रहता था क्योंकि उसके मम्मी, पापा और उसका छोटा भाई जो १२ साल का था सब ग्राउंड फ़्लोर पर ही रहते थे। दो दिन के बाद मैंने उसकी मम्मी से कहा, "भाभी नीचे हम डिस्टर्ब होते हैं, क्या हम आपके ऊपर वाले रूम मैं पढ़ाई कर सकते हैं?"
उन्होने तुरन्त हां कर दी। मैं रोज़ रात को ८ बजे जाता और रात के ११-१२ बजे तक वहाँ पर रुकता था। वो पढ़ाई मे बहूत कमजोर थी। उसे अच्छे से कुछ भी याद नहीं होता था, मैंने उसकी मम्मी से कहा तो उन्होने बोला कि अगर नहीं पढ़ती है तो पिटाई कर दिया करो, तो मैंने एक दिन उसे उसकी मम्मी के सामने ही हलका सा एक थप्पड़ मारा, उस दिन मैंने उसे पहली बार टच किया था, उसका गाल एकदम गरम था, थप्पड़ खा कर वो मुस्कराने लगी। अगले दिन उसने जींस और शर्ट जिसके बटन सामने खुलते थे पहने हुए थी, मैं उसके सामने बैठा कर उसे मैथ्स समझा रहा था, उसके शर्ट का एक बटन टूटा हुआ था, उसका ध्यान पढ़ाई मे था और मेरा ध्यान उसके टूटे हुए बटन मे उसके बूब्स पर था, उसकी काली ब्रा और व्हाइट बूब्स मेरे सामने दिख रहे थे। अचानक उसका ध्यान अपने टूटे हुए बटन पर गया तो वो शर्माइ और नीचे जा कर शर्ट चेन्ज कर के आई। मैंने पूछा क्या हुआ तो उसने बोला आप मुझे अच्छे से पढ़ा नहीं पा रहे थे।
अगले दिन उसने टाइट टी शर्ट पहनी हुई थी जिसमे उसके बूब्स का उभार गजब ढा रहा था, मेरा ध्यान वहीं पर था, उसने पूछा, "परेश, क्या हुआ तुम्हारा ध्यान कहाँ हैं?" मैंने कहा, "मेरा ध्यान तुझमे हैं"। वो शरमाई और बोली धत, मेरी हिम्मत बढ़ गयी। मैंने हलके से उसके गाल पर चपत लगाया और प्यार से मुस्कराया। जवाब मे वो भी मुस्कराई। मेरी हिम्मत और बढ़ी मैंने उसके दोनो गालो को पकड़ कर उसके होठों को चूम लिया, उसने दूर हटाते हुए कहा मम्मी आ जायेगी और हम वापस पढ़ाई मे लग गये।
अगले दिन उसके मम्मी, पापा और उसका भाई किसी काम से बाहर गये थे, जाते समय उसकी मम्मी ने मुझसे कहा कि पप्पी घर पर अकेली है तुम रात को हमारे घर पर ही सो जाना, मुझे तो जैसे मन मांगी मुराद मिल गयी। रात को ८ बजे मैं उसके घर गया। वो ग्राउन्ड फ़्लोर पर थी आज उसने सुन्दर सी ब्लैक कलर की नाइटी पहन रखी थी, हम दो घण्टे तक पढ़ते रहे। बाद मे वो अपने रूम मे जाकर सो गयी मैं बाहर हाल मैं सो गया, अचानक वहाँ लाइट चली गयी। वो रूम से बाहर आई और मेरे पास हाल मे बेड पर बैठ गयी और हम बातें करने लगे, उसने मुझसे कहा "परेश, आइ लव यू"। मैंने कुछ नहीं बोला और उसे अपनी बाहों मे ले लिया वो चुप रही उसने कुछ भी नहीं बोला, मैंने उसे चूमना शुरू कर दिया, वो हलका सा विरोध करती रही इतने मे लाइट आ गयी तो मैंने देख उसका चेहर एकदम लाल हो रहा है और आँखे अपने आप बन्द हो रही हैं, मैंने धीरे से उसके बूब्स पर हाथ फिराया तो वो एक दम से मुझसे चिपक गयी।, मैं उसके रसीले होठों को चूमता रहा और हाथो से धीरे धीरे उसके बूब्स को दबाता रहा, वो मदहोश हो गयी।
मैं थोड़ा आगे बढ़ा और मैंने उसकी नाइटी धीरे से उतार दी। अब वो मेरे सामने पिन्क ब्रा और पैन्टी मे थी, उसकी फ़िगर देख कर मैं अपने होश खो गया। मैंने उसके पूरे बदन को चूमना शुरू कर दिया। वो भी मुझे चूमने लगी और मेरे कपड़े उतारने लगी। अब मैं भी सिर्फ़ अन्डरविअर मे था, मैं उसे चूमता रहा और उसके पूरे शरीर पर हाथ घूमाता रहा, वो उसके निप्पल क्या पत्थर की तरह कड़क थे, मैंने अपने हाथ उसके पीछे ले जाकर उसकी ब्रा का हुक खोल दिया, एक झटके से ब्रा उसके हाथ मे आ गयी, और उसके बूब्स आज़ाद हो गये, इस समय के पहले भी मैंने ३-४ बार सेक्स किया था लेकिन उसका हुस्न देख कर मैं अपने होश खो गया, और धीरे से मैंने उसकी चड्डी भी उतार दी। बदले मे उसने भी मेरी चड्डी उतार दी।
अब हम दोनो नन्गे थे। हम दोनो एक दूसरे को चाटते रहे। मैंने अपना मुँह उसके निप्पल पर लगाया और उसको चूसने लगा उसने मेरे लण्ड को हाथ मे ले लिया और उसको सहलाने लगी। मेरा लण्ड लोहे की तरह एक दम कड़क हो गया, मैंने धीरे से अपने लण्ड को उसके मुँह के पास किया तो वो उसे चूमने लगी। मैंने उसे मुँह मैं लेने को कहा तो वो उसे मुँह मैं लेकर चूसने लगी। मेरा बड़ा बुरा हाल हो रहा था, मैंने अपनी उँगली धीरे से उसकी चूत मे डाल दी, उसकी चूत गरम तवे की तरह तप रही थी। मेरी उँगलियां उसकी चूत की गरमी महसूस कर रही थी।
वो मेरे लण्ड को चूसती रही और मेरी उँगलियां उसकी चूत के साथ खेलती रही। अब वो चुदवाने के लिये एक दम तैयार थी, उसकी चूत मेरी उँगलियों की हरकत से पानी से भर गयी और गीली हो गयी, मैं अपना मुँह उसकी चूत पर ले गया और उसकी जाँघों और उसकी चूत को चूमने लगा। वो जोर जोर से पाँव हिलाने लगी। मैंने अपनी जीभ उसकी चूत मैं डाल दी और उसके पानी को पीने लगा। वो एक दम मदहोश हो गयी और मेरे लण्ड को दाँत चुभाते हुये और जोर से चूसने लगी। थोड़ी देर मे उसकी चूत ने और पानी छोड़ दिया। मैं उसे पीता रहा। कुँवारी चूत का पानी पीने का मेरा यह पहला मौका था, और उसके मुँह मे मेरे लण्ड ने भी ढेर सारा पानी छोड़ दिया जो सीधे उसके गले मे गया, उसने बड़े प्यार से मेरा पूरा पानी पी लिया और एक भी बून्द बाहर नहीं गिरने दी, और मेरे लण्ड को चुसना जारी रखा ३-४ मिनट मे मेरा लण्ड वापस तन गया। उसकी हरकतो से मुझे लगने लगा कि वो चूदाइ के लिये बहूत आतुर है।
मैंने उसे बेड पर सीधा लिटाया और उसकी गाँड के नीचे एक तकिया लगाया जिससे उसकी चूत ऊपर आ गयी, मैंने अपने लण्ड को उसकी चूत पर फिराने लगा। उसकी चूत तन्दूर की तरह गरम थी, उसने कहा कि उसने कभी चुदवाया नहीं है। मेरा इतना मोटा लण्ड उसकी चूत मैं कैसे जायेगा, मैंने कहा थोड़ा सा दर्द होगा लेकिन बाद मे मज़ा आयेगा। मैंने अपने लण्ड और उसकी चूत पर क्रीम लगायी और अपना लण्ड धीरे से उसकी चूत मे घुसाने लगा। उसकी चूत बहूत टाइट थी। मेरे लण्ड का सुपाड़ा उसके अन्दर जाते ही वो जोर से बोली, "बहूत दर्द हो रहा है"। मैं वहीं पर रूक गया और उसकी चूचीयों को सहलाने लगा और उसके होठों को चूमने लगा। थोड़ी देर मे पप्पी जोश मे आ गयी और अपने चूतड़ उठाने लगी। मैंने ऊपर से थोड़ा जोर लगाया, मेरा लण्ड उसकी चूत मैं ३ इन्च घुस गया वो जोर से चिल्लाने लगी और पसीने मे नहा गयी। मुझसे कहने लगी, "प्लीज! बाहर निकालो"।
मैंने उससे बोला कि पहली बार मे थोड़ा दर्द होता है और उसे चूमने लगा। कुछ देर बाद वो शान्त हो गयी। मैंने उससे बोला कि अपना मुँह बन्द रखना। मैं अभी अपना पूरा लण्ड तेरी चूत मे डालुंगा। उसने जोश मे आकर कहा अगर मैं चीँखू भी तो भी तुम नहीं रुकना। मैं धीरे धीरे अपने लण्ड को उसकी चूत मैं ३ इन्च मे अन्दर बाहर करने लगा। उसे भी मज़ा आने लगा, और वो मुझसे ज्यादा चिपकने लगी। अचानक मैंने एक जोर का झटका दिया और अपना पूरा 7 इन्च का लण्ड उसकी चूत मे घूसेड़ दिया। वो बहूत जोर से चींखी और जोर से तड़पने लगी। मैं वहीं पर रूक गया। उसकी चूत मैं से खून निकलने लगा था। वो जोर जोर से रोने लगी, मैंने उसे प्यार से समझाया कि मेरा पूरा लण्ड उसकी चूत मैं चल गया है। अभी थोड़ा सा दर्द होगा लेकिन बाद मे जो मज़ा आयेगा वो पूरा दर्द भुला देगा। मैंने उसके लाख कहने पर भी अपना लण्ड उसकी चूत से नहीं निकाला।
पाँच मिनट तक मैं सिर्फ़ उसके बूब्स को चूसता रहा और उसके पूरे शरीर पर हाथ फ़िराते रहा। धीरे धीरे उसका दर्द कम हुआ और उसे जोश आने लगा। वो मुझसे चिपक गयी और अपने चूतड़ उठाने लगी। उसकी चूत मेरे लण्ड को कभी जकड़ती और कभी ढीला छोड़ती। मैं इशारा समझ गया और मैंने धीरे धीरे अपने लण्ड को उसकी चूत मैं अन्दर बाहर करना शुरू कर दिया। थोड़ी देर मैं उसे भी मज़ा आने लगा और वो भी हिल हिल कर चुदाइ का मज़ा लेने लगी। १० मिनट तक मैं उसे चोदता रहा। इतनी देर मे उसकी चूत गीली हो गयी और उसका दर्द कम हो गया, और वो बहूत मज़े लेकर चुदवाने लगी। करीब १५ मिनट के बाद मैंने उसे कहा कि मैं झड़ने वाला हूँ। मैंने उसे टाइट पकड़ा, जिससे उसके मुंह से आवाज न निकले उसके होठ अपने होठो में मजबूती से दबा लिये और सरपट घोड़ा दौड़ा दिया। मैं पूरे जोश मे आ चुका था और मैं अपना लण्ड पूरा बाहर निकाल कर एक धक्के से पूरा घूसा देता, पूरी फूर्ती से। अब वो बुरी तरह छूटने के लिये दम लगा रही थी और मैं उसे उतना ही मजबूती से पकड़ रहा था। झटके पर झटके। धक्के पर धक्के। एक दो मिनट में उसकी चूत बुरी तरह से मेरे लण्ड को रोकने की कोशिश कर रही थी। और मुझे साफ़ पता चला जैसे कि उसकी चूत ने एक जोर से पिच्कारी मेरे लण्ड पर छोड़ दी। अब मैंने रफ़्तार और धक्के की ताकत बढ़ा दी और बड़े दम लगाने पर मैं भी चरम आनन्द पर पहूँच गया। ऐसा लगा जैसे मेरे लण्ड से कोई टँकी खुल गयी हो और मैंने बहुत सारा पानी उसकी चूत मैं भर दिया। करीब १० मिनट तक उसके ऊपर लेटा रहा। हम दोनो की सांस की आवाज से पूरा कमरा गूँज रहा था।
उसके बद हम दोनो उथे और बाथरूम मे जाकर उसकी चूत और मेरे लण्ड को धो कर साफ़ किया और वापस आकर बेड पर बैठ गये, मेरा लण्ड इतनी देर मे वापस तन कर खड़ा हो गया। उसे तना देखकर वो बोली अब नहीं परेश, अभी दो घण्टे सो लेते हैं। उसके बाद करेंगे। मैंने कहा ठीक है। हमने अपने कपड़े पहन लिये और अपना सोने लगे। लेकिन आंखो में नींद कहां। करीब एक घण्टे बाद मैने उसके और अपने कपड़े फिर उतार दिये। उसने कहा कि प्यार से करना क्योंकि अभी थोड़ा थोड़ा दर्द हो रहा है। मैंने उसके बदन को दबाना शुरू कर दिया, बच्चो कि तरह उसका दूध पीने लगा तो वह कसमसा उठी। और उसने भी मुझे चूमना शूरू कर दिया और खुद-ब-खुद 6-9 की पोजीशन में आ गये। वो मेरे लण्ड को चूस रही थी और मैं उसकी चूत को। फिर मैं काम शास्त्र में बताये एक एक आसन से उसे चोदने लगा और एक ही रात में कली को खिला कर फ़ूल बना दिया।
फिर तो हम दोनो को जब भी मौका मिलता वो मुझसे चुदवाती थी, करीब एक साल तक मैं उसे चोदता रहा, उसके बाद उसके पापा की बदली हो गयी। उसके बाद से आज तक उससे मेरी मुलाकात नहीं हुई है। वो मेरे जीवन सबसे हसीन कली थी जिसे फूल बनाने का जिम्मा खुदा ने मुझे इनाम मे दिया था।

तू चुदना चाहती

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चूत की तराई

आप लोगों का प्यार मुझको वास्तविक और साइंस आधारित कहानियाँ और लोगों के अनुभव लिखने को प्रेरित करता है। यह भी इसी तरह एक और जानकार के जीवन के कुछ अंश हैं।

मैं एक बात बता दूँ कि मैं स्वयं सेक्स में बहुत रूचि रखता हूँ, एवं घनिष्टता जिस किसी से भी बढ़ी, हम लोग सेक्स की बातों में बहुत रूचि लेते हैं और आपस में वार्तालाप भी करते हैं।

मैंने साइंस से पढ़ाई की और कई बायोलोजी की एवं सेक्स से सम्बंधित अन्य किताबों को मिलने पर उनको अच्छी तरह से पढ़ा। इससे कई तरह के फंडे क्लिअर हुए।

इसका फायदा ये होता है कि हम सेक्स के ज्ञान को तो बढाते ही हैं, नया अनुभव भी जानने को मिलता है और मनोरंजक सेक्स को और भी आनंदित बनाने में मदद भी मिलती है.

एक लड़का रमेश मेरे संस्थान में पढ़ने आया, यह उसकी कथा है !

मेरी जिस से भी पटरी बैठी वो सब बोलने में मेरी तरह तमीजदार और अपने रिश्तों में विश्वास रखने वाले रहे हैं, अर्थात माँ के पेट से बने रिश्तों की इज्जत करने वाले। गन्दी भाषा में बात करने वालो को मैं पास भी नहीं फटकने देता हूँ।

जब रमेश पढ़ाई कर रहा था तो इसके साथ इसके मामा का लड़का और लड़की तीनो होस्टल में रह कर पढ़ाई करते थे। तीनों को अलग अलग कमरे मिले हुए थे। इसके मामा की लड़की का नाम हम रीटा मान लेते हैं। ख़ुद रमेश लगभग पांच फुट नौ इंच कद का है। सुता हुआ शरीर और बोलने में तमीजदार।

रीटा की एक सहेली भी होस्टल में ही थी। रमेश का दिल उस लड़की स्वाति पर था। धीरे धीरे दोनों में घनिष्टता बढ़ने लगी। जैसा कि विपरीत सेक्स वालों में होता है, फ़िर आपस में थोडी बहुत सेक्स से रिलेटेड बातें भी होने लगी।

जब भी दोनों अकेले मिलते हाथ फेरने का सिलसिला भी चलने लगा। और क्योंकि होस्टल में रहते थे इसलिए मौका भी काफी था। स्वाति को भी मजा आता था। वो भी एक ऐसे घर से सम्बंधित थी जो परम्परा में बंधा था। इसलिए स्वाति भी एक हद से ज्यादा बढ़ने में डरती थी। इसलिए हाथ फेरने में बोबे तक तो सब कुछ चलता था लेकिन जैसे ही रमेश नाभि से नीचे हाथ डालने लगता स्वाति उठकर कमरे से बाहर भाग कर ख़ुद के कमरे में आ जाती।

रमेश ने उसको पूछा भी कि मजा आता है तो उसने बताया कि हाँ सनसनाहट होती है। लेकिन आगे नहीं बढ़ेंगे। रमेश ने भी स्वाति को जाहिर कर दिया कि जब तक तू अपने मुह से सेक्स के लिए नहीं बोलेगी तब तक मैं सेक्स नहीं करूँगा।

अब रमेश ने नाभि से नीचे जब भी बढ़ना होता स्वाति को भींच के बैठता ताकि वो उठ कर यूँ न भाग जाए और उसके बोबे दबाता धीरे धीरे टोपर ऊपर करके ब्रा खोलकर उसके बोबों को मसलता। तो स्वाति की आहें निकल जाती और आँखें गुलाबी डोरों में लिपट जाती। लेकिन एक सीमा के बाद वो छुडा कर भाग जाती।

रमेश भी इरादे का एकदम पक्का था। वो लगा रहा कि कभी तो बहार आएगी। कोई भी मौका नहीं छोड़ता। मिलते ही मसलना, चूमना , जीभ चूसना बदस्तूर चलता।

क्रम से रमेश आगे बढ़ता रहा। स्वाति को भींच कर बैठता उसके बोबे नंगे करता, चूसता। आहों से कमरे में संगीत गूंजने लगता। होटों में होंट लेके चूसता, स्वाति भी साथ देती। लेकिन जब भी चूत की ओर बढ़ने की बारी आती स्वाति के मन में भारतीय परम्परा सर उठाती और जो उसने अपने पति के लिए इतने वर्ष सम्हाल कर रखा उसको यू किसी को सौंप देना उसको गवारा ना होता। जाने कैसे उसने अपने आपको कंट्रोल किया हुआ था।

अब रमेश उसको ज्यादा ध्यान से पकड़ कर रखता ताकि भागने का मौका कम से कम मिले। अब रमेश सलवार के ऊपर चूत पर हाथ फेरने लगा। उसकी चूत की दरार में भी मसलने लगा। स्वाति की हालत पहले से ज्यादा ख़राब होने लगी।

लेकिन मानना होगा स्वाति को। सच में ऐसी होती हैं भारतीय लड़कियां। उस ने चार महीने इसी तरह से कंट्रोल किया। जाने ख़ुद के कमरे में जाने के बाद वो कैसे अपनी चूत की खुजली को काबू करती होगी। लेकिन उस ने अपने मुंह से नहीं बोलना था तो नहीं बोली सेक्स के लिए.

रमेश भी पक्का डीठ। वो कसम खाए बैठा था। उसके मामे का लड़का उकसाता था कि गधे देख मैंने भी तेरे साथ ही मेरी दोस्त से सेटिंग की थी। मैं उसको चोद चुका और तू है कि तपस्या कर रहा है। लेकिन फ़िर भी रमेश ने बड़ी तसल्ली से अपनी जिद पकड़े रखी।

आख़िर एक शनिवार को स्कूल में जल्दी छुट्टी हो गई तो जो भी स्टुडेंट आसपास के गाँव से थे घर जाने वाले थे वो सब चले गए। लेकिन ये चारों और कुछ स्टुडेंट और भी थे जो नहीं गए। लेकिन होस्टल थोड़ा सूना हो गया।

रात को लगभग १० बजे जब रीटा और मामा का लड़का सो गए तो रमेश स्वाति के कमरे के दरवाजे पर थाप दे कर दरवाजा खुलने पर स्वाति के कमरे में आ कर दरवाजा बंद कर के स्वाति को लिए हुए उसके बिस्तर पर आ गया।

स्वाति को बाँहों में लिए उसके होटों को चूसना शुरू कर दिया। स्वाति ने भी साथ दिया। वो भी चूसने लगी। और अपनी जीभ निकाल कर रमेश के मुह में डाल दी। रमेश ने एक हाथ स्वाति के बोबों पर ले कर बोबे दबाने लगा और दूसरा हाथ स्वाति की गर्दन पर कस दिया।

धीरे धीरे दोनों की आँखे मदमस्त होने लगी। सेक्स का सुरूर स्वाति पर चढ़ने लगा। उसकी साँसे भारी होने लगी।

वो भी रमेश की जीभ चूसने लगी। रमेश ने स्वाति की कमीज के बटन खोल दिए फ़िर बोबे दबाने लगा। थोडी देर में हाथ स्वाति की पीठ के पीछे ले कर उसकी ब्रा के हुक को भी खोल दिया। और मुह नीचे लाकर स्वाति के बोबे चूसने लगा। स्वाति की आहें निकलने लगी। कमरे में इस नए संगीत के साथ सेक्स की गर्मी चढ़ने लगी। अब रमेश ने स्वाति के सलवार का नाडा खोलकर सलवार नीचे सरका दी और पैंटी के ऊपर से चूत पर हाथ फेरने लगा।

एक तो बोबे चूस रहा था फ़िर चूत भी सहला रहा था। स्वाति लम्बी लम्बी गरम साँसे लेने लगी और वो आँखें बंद किए लेटी थी।

आज स्वाति के पास कमरे से भाग जाने का कोई रास्ता नहीं था। वो ख़ुद के ही कमरे में थी। और रमेश के पास भरपूर टाइम था।

रमेश ने स्वाति की पैंटी और सलवार को उतार कर टांगो से बाहर किया। अब स्वाति नीचे से पूरी नंगी थी। फ़िर रमेश ने स्वाति की चूत की दरार में ऊँगली कर के धीरे धीरे सहलाने लगा। आज स्वाति हीटर की तरह तप गई।

अब उस से कंट्रोल नहीं हो रहा था। और वो इंतजार कर रही थी। कि काश उसको सेक्स के लिए नहीं बोलना पड़े और रमेश ख़ुद ही उस को चोद दे।

लेकिन रमेश फोरप्ले में लगा हुआ था। उसका लंड कड़क ठोस हो चुका था। रमेश ने अब अपनी पैंट और अंडरविअर उतार दिए और लंड को स्वाति को पकड़ा दिया और ख़ुद स्वाति कि नाभि की और झुक कर नाभि में जीभ डाल कर चूसने लगा। स्वाति की साँसे चढ़ गई। वो हिचकियाँ लेने लगी और रमेश को पकड़ कर अपने ऊपर लेने लगी। रमेश पक्का डीठ हो गया। वो फ़िर स्वाति के बोबे चूसने लगा।

स्वाति की चूत पानी छोड़ने लगी। बिस्तर गीला होने लग गया। आख़िर जब ऐसी हालत हो गई तब रमेश ने स्वाति को कहा कि देख अब सेक्स के लिए बोल दे नहीं तो आज मैं चला जाऊंगा।

आख़िर स्वाति ने रमेश को बोला कि प्लीज मेरे साथ सेक्स करो।

अब रमेश स्वाति की टांगे चौड़ी कर के बीच में घुटनों के बल बैठ गया और स्वाति की चूत पर हाथ लगा कर गीला छेद ढूंढ कर अपने लंड को उस छेद पर टिकाया और स्वाति की टांगो को घुटनों से मोड़ कर अपने घुटने स्वाति के घुटनों के नीचे देता गया इस कारण से रमेश का लंड स्वाति की चूत पर बहुत अच्छी तरह से सेट हो गया अब रमेश ने लंड पर जोर लगाया चूत में घुसा देने को।

लेकिन नहीं जा पाया और स्वाति का मुंह दर्द से लाल होने लगा। फ़िर एक बार रमेश ने जोर लगाया लेकिन फ़िर नहीं गया। तो एक जोर से धक्का लगा कर लंड को जबरदस्ती से थोड़ा घुसा दिया। अब स्वाति को खूब तेज ब्लेड से कटने जैसा एहसास हुआ और उसका मुंह लाल हो गया और उस पर पीड़ा की लकीरें आ गई, बहुत मुश्किल से उसने चीख निकलने से बचाया। स्वाति ने होंट दांतों के बीच दबा लिए। इधर रमेश का भी दर्द के मारे हाल अच्छा नहीं रहा। लेकिन अब चुदाई तो पूरी करनी थी ना। इसलिए और धक्के मार कर पूरा लंड स्वाति की चूत में उतार दिया और स्वाति के ऊपर लेटता गया।

स्वाति को धीरे धीरे किस किया अपने हाथ बोबों पर लेकर सहलाने लगा। और धीरे धीरे स्वाति के होंट चूसने लगा। पहले तो स्वाति ने कोई सहयोग नही दिया फ़िर जैसे जैसे उसका दर्द कम हुआ वो फ़िर गर्म होने लगी। लगभग १० मिनट बाद स्वाति क्रियाशील होने लगी। लेकिन अब भी सामान्य नहीं थी।

फ़िर धीरे धीरे धक्के लगा कर रमेश ने चोदना शुरू किया। उसने अपनी जीभ स्वाति के मुंह में दे दी और धीरे धीरे धक्कों की रफ़्तार बढ़ाता गया जैसे जैसे ओर्गास्म नजदीक आता गया धक्के तेज लगने लगे। स्वाति को मजा और दर्द दोनों हो रहे थे और वो इन्तजार कर रही थी कि चुदाई कब पूरी हो। स्वाति को ओर्गास्म हुआ लेकिन मजा नहीं आया और दर्द को सहते हुए रमेश ने भी स्वाति की चूत की तराई कर दी।

थोडी देर में जब लंड ढीला होकर बाहर आया तो रमेश ने अपना लंड देखा तो सुपाड़े के पीछे का धागा कट चुका था, सुपाड़े के ऊपर की खाल भी पीछे होकर कर लंड पर आ गई थी और लंड ३-४ जगह से छिल गया था।

उधर स्वाति की चूत भी खून से लिप गई थी। दोनों ने नेपकिन से लंड और चूत साफ़ किए और कपड़े पहन लिए।

अगले दिन रमेश ने स्वाति को दर्द के लिए दवाई की दूकान से गोली लाकर दी।

बस गनीमत यह हुई कि इस चुदाई से स्वाति को गर्भ नहीं टिका। दोनों ही नादानी में बिना किसी साधन के काम कर गए।

एक बात और भी थी। कि स्वाति भी क्षत्रीय ही थी। एक दिन दोनों को आपस में एक दूसरे की आँखों में देखते रीटा ने देख लिया। लेकिन चुप रही और अकेले में स्वाति से पूछा तो स्वाति ने बता दिया कि वो रमेश को पसंद करती है। फ़िर रीटा ने रमेश से पूछा तो रमेश ने भी बता दिया कि स्वाति उसको पसंद है।

रीटा ने अपने फूफा यानि रमेश के पिता से और स्वाति की माताजी से बात की और स्वाति के पिताजी को रमेश के घर रिश्ता लेकर भेजा। दोनों की सगाई हो गई।

फ़िर एक दिन मौका पाकर रात को रमेश ढाणी में अपनी ससुराल मोटरसाईकिल पर १०:३० पर पहुँच गया। स्वाति को उसने मोबाइल पर बता दिया। मोटरसाइकिल उसने दूर खड़ी की। रात को ढाणी में लोग जल्दी सो जाते हैं और स्वाति ने धीरे से दरवाजा खोल कर रमेश को अन्दर लिया। दोनों रसोई में घुस गए। स्वाति ने बाकी पिता और भाई दोनों के कमरों के बाहर से धीरे से सांकल लगा दी।

फ़िर दोनों ने रसोई में जश्न किया। दो घंटे वो मजे करते रहे। दोनों ने ही खुल कर सेक्स का मजा लिया। इस बार भी स्वाति थोड़ा चिंतित थी लेकिन अब के दर्द नहीं हुआ तो खुल कर खेली। इस बार रमेश ने कंडोम काम लिया। फ़िर रमेश अपने गाँव चला आया।

रमेश बता रहा था कि सर चूमना, चूसना, दबाना, हाथ फिराना, जो जो मैं कर सकता था किया, और स्वाति ने खूब साथ दिया और मजे भी लिए .........

जब मैंने रमेश को कहा कि पगले पहली बार में इतना दर्द करने की क्या जरूरत थी। ऊँगली डाल कर ओ आकर में घुमा कर थोड़ा तो चूत का छेद चौड़ा कर सकता था न। ना तो स्वाति को दर्द होता न तुझको इतनी दिक्कत उठानी पड़ती। और थोड़ा तेल ही लगा लेता। तो रमेश बोला कि सर किसी ने बताया ही नहीं कि दर्द कम भी हो सकता है। ये तो अब आपने बताया। मेरे मामा के लड़के ने भी नहीं सिखाया।

सच में दूसरी बार में मजा आया। पहली बार में तो दर्द से मजा ही नहीं आया। पहली बार में तो चोदने की रस्म पूरी की बस………..

अब २ महीने बाद उनकी शादी है।

रमेश ने कहा कि सर मुझको क्या पता था जिस लड़की के साथ मैं मजे के लिए चुदाई कर रहा हूँ उसी के साथ शादी हो जायेगी।

तो मैंने कहा कि ये तो बहुत अच्छा है। कम से कम तुझको तो पता है न कि वो कुंवारी लड़की है। वरना खेली खाई मिलती तो भी तो सब्र करना पड़ता। फ़िर जिसको तूने चोदा वो भी तो किसी की पत्नी बनती ही न। फ़िर यार आदमी ही लड़की को चालू करता है तो लड़की को दोष देना बेकार है। फ़िर सेक्स पर किसी का जोर थोड़े ही है। सबको अच्छा लगता है। मजे कर, खुश रह

तुम्हारी चुदाई

समय पीछे चला जाता है लेकिन उसकी कुछ खट्टी मीठी यादें जो मन पर अपना प्रभाव बनाए ही रखती हैं! और जब वे यादें बेचैन करने लगती हैं तो बस बेचैनी से बचने का एक ही मार्ग होता है वह यह कि उन्हें किसी से बांट दिया जाए ! यह कुछ ऐसी ही याद है जो मैं आपसे बांटना चाहता हूँ!
मेरी बी-टेक की परीक्षा का अन्तिम से पहला सेमेस्टर बजाय दिसंबर जनवरी के अप्रैल महीने में समाप्त हुआ। तभी गोरखपुर से चाचा जी की बेटी यानि कि दीदी का फोन आ गया कि घर जाने से पहले तीन-चार दिन के लिए आ जाओ।
मैं बचपन से ही उनसे लगा था। लेकिन इधर कई साल हो गये उन्हें देखा भी नहीं था, उधर गांव से भी फोन आ गया कि गोरखपुर हो कर आना।
दीदी की शादी हुए लगभग दस साल हो गये थे। जीजा जी बिजली विभाग में क्लर्क हैं, ऊपरी आमदनी का प्रभाव घर के रखरखाव से तुरन्त ही लग गया। स्कूल से लौटे तो मैंने देखा कि टीना और अनिकेत तो इतने बड़े हो गये कि पहचान में ही नहीं आ रहे थे, लेकिन अनुमान लगाने में को कठिनाई नहीं हुई, मगर उनके आने के कुछ देर बाद जो अजनबी लड़की में आई उसे देखकर मैं चौंका। सामान्य से अधिक लम्बी, स्कर्ट के नीचे मेरी निगाह गई तो उसकी लम्बी और पतली सुन्दर और चिकनी टांगे देख कर मन अजीब सा हुआ।
उसने 'मामा जी नमस्ते' कहा तो मेरी दृष्टि ऊपर गई। देखा आंखें फट सी गईं। शरीर के अनुपात से कहीं भारी, लम्बी और भारी उसकी दोनों छातियां उसके खूबसूरत प्रिन्टेड ब्लाउज फाड़कर बाहर निकलने को आतुर दिखीं। उसने संभवतः मुझे देखते हुए देख लिया।
वह शरमाई तो मैंने निगाहें नीचे कर लीं। तभी अन्दर वाले कमरे से दीदी आ गईं। मैंने तब उनको भी ध्यान से देखा। जो दीदी पहले दुबली पतली थी अब उनका शरीर भर गया था और काफी सुन्दर लगने लगी थीं।
दीदी ने बताया कि यह सोनम है जेठ की बेटी।
गांव से आठ पास करके साथ ही है अबकी बार बी ए के प्रथम वर्ष की परीक्षा दे रही थी और आज ही अन्तिम पेपर था।
शाम तक सोनम मुझसे काफी घुलमिल गई। वह बेहद बातूनी और चंचल थी। अब तक कई बार वह किसी न किसी बहाने अपने शरीर को मेरे शरीर से स्पर्श करा चुकी थी।
उसकी बातों के केन्द्र में गर्लफ्रेन्ड और लड़के ही अधिक थे। दोनों बच्चे भी परीक्षा देकर अगली कक्षाओं में आ गये थे, अभी पढ़ाई का दबाव भी अधिक नहीं था।
सोनम तो मेरे आने से बहुत ही प्रसन्न थी। असल में मेरा गांव और दीदी के गांव से बहुत दूर नहीं था। दो दिन बाद उसे मेरे साथ उसे भी जाना था।
जीजा जी इधर काम के कारण काफी देर से आने लगे थे इस लिए सब्जी लेने दीदी ही जातीं। शाम में वह अनिकेत को लेकर मार्केट चली गई तो घर में मैं टीना और सोनम ही थे।
टीना अभी नादान थी। फर्श पर बिछे गद्दे पर मैं लेटा था। टीना मेरे पैर की उंगलियों को चटका रही थी। बातें करते सोनम ने कहा,'' लाओ मैं सर दबा दूं।''
फिर मेरे बिना कुछ कहे ही मेरे सिर के पास आकर बैठ गई। और सर में अपनी उंगलियां धीरे-धीरे चलाने लगी। धीरे-धीरे उसके शरीर की सुगंध मुझे मस्त करने लगी। मैंने आंखें ऊपर उठाकर देखा तो उसकी बड़ी नुकीली चूचियां मेरे सर पर तनी थी। संभवतः वह भी उत्तेजित सी थी, क्योंकि मुझे लगा कि उसके चूचुक भी तने हैं। उसने ब्रा नहीं पहनी थी।
मैंने अंगड़ाई लेने के बहाने हाथ पीछे किया तो मेरे पंजे उसकी चूचियों से छू गये। लेकिन मैंने रुकने नहीं दिया और टीना से कहा, '' अब बस, जाओ''
वह जाकर टीवी देखने लगी। सोनम उसी तरह मेरे बालों में उंगली किये जा रही थी। मैंने फिर सामने टीना की तरफ देखते हुए फिर हाथों को पीछे ले जाकर उसकी चूचियों से स्पर्श कराते हुए वहीं रोक दिया। उसने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी, हां हाथ अवश्य रुक गये।
एक पल रुकने के बाद मैं हौले हौले उसकी चूचियों पर हाथ फिराने लगा। कुछ क्षणों बाद उसने मेरे हाथ को वहां से हटाकर धीरे से कहा, ''टीना छोटी नहीं!''
उसके इस उत्तर से मेरी बांछें खिल उठीं। मैंने हाथ को अंगड़ाई के बहाने ले जाकर उसकी जांघों पर रख दिया। वह चिकनी और संभवतः बरफी की तरह सफेद थीं। मैं रह-रह कर उसके पेड़ू को भी छू देता। उसने कच्छी नहीं पहन रखी थी। उसकी झांटों और मेरे हाथों के बीच उसकी सलवार का झीना कपड़ा ही था।
सामने मेरा लिंग अकड़कर खड़ा हो गया और मेरे लोअर के अन्दर बांस की तरह तनकर उसे उठा दिया। जब सोनम की दृष्टि उस पर पड़ी तो वह मुस्कुराने लगी।
मैंने अपने हाथों को फिर ऊपर लेजा कर उसकी चूचियों से स्पर्श कराया तो लगा कि उसकी घुंडियां बिल्कुल तन कर खड़ी हो गई हैं।
छुआ-छुई का यह खेल चल ही रहा था तभी टीना फिर आ गई और पास बैठ गई। हम दोनों रुक गये। मैंने झट अपनी लम्बी टी-शर्ट को नीचे खींच दिया, लेकिन हमारे महाराज जी झुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे तो मैं झट से उठ गया।
सोनम भी मेरे साथ ही उठ गई। उसने चुन्नी अपने सीने पर नहीं रखी थीं। चूचियां कपड़े के ऊपर से ही वह पूरी तनी बिल्कुल स्तूप की तरह लग रही थीं। रसोई की तरफ जाते हुए मैंने कहा, '' चाय पीने का मन हो रहा है।''
'' चलो बना दूं।'' कहते हुए वह मेरे पीछे रसोई में आ गई।
अन्दर जाते ही मैंने उसे कचकचाकर लिपटा लिया और पूरी शक्ति से उसके शरीर को जकड़ लिया। वह कसमसाकर कुछ कहती इससे पहले ही अपने ओंठ उसके ओंठों पर रखकर जबरदस्ती उसके मुंह में अपनी जीभ डाल दी।
वह गों-गों कर उठी तो जीभ को निकाला। तब वह कांपते स्वर में बोली, ''छोड़ो अभी टीना आ जाये तो !''
मैंने उसे छोड़कर कहा, ''भगवान कसम अभी तक मैंने इतनी कसी और सुन्दर चूंचियां तो फिल्मों की हीरोइनों तक की नहीं देखी!''
वह अब स्थिर हो चुकी थी। बोली, '' तुम तो बहुत हरामी हो मामा !''
मैंने धीरे से कहा, '' सोनम मैं बिना तुमको लिए छोड़ूंगा नहीं !''
उसने ठेंगा दिखाते हुए कहा,'' बड़े आये लेने वाले !'' और फिर मेरे अभी तक खड़े लन्ड को ऊपर से नौच कर भाग गई।
दीदी सामान लेकर आईं और रसोई में चली गईं। दोनों बच्चे पढ़ने बैठ गये तो मैं छत पर चला गया और कुछ देर बाद सोनम को भी पुकारकर ऊपर बुला लिया। हमारी दीदी का मुहल्ला निम्न-मध्यवर्गीय मुहल्ला था। छतें एक दूसरे से सटी थीं। अंधेरा पूरी तरह से घिर आया था, इसलिए इक्का-दुक्का लोग ही अपनी छत पर थे।
'' सोनम दोगी नहीं?''
'' क्या?''
'' बुर ! या अगर हो गई हो तो चूत!''
'' मतलब?''
'' मतलब यह कि अगर किसी से चुदवा चुकी हो तो चूत हो गई होगी नहीं तो अभी बुर ही होगी ! बताओ क्या है ?''
'' हट !''
'' हट नहीं ! नहीं प्लीज सोनम ! दे दो न!'' मैंने उसे पलसाने के लिए कहा।
'' बहुत बड़ा पाप है। फिर तुम तो मामा हो !''
'' मैं कोई सगा मामा थोड़ी न हूं?''
''चाहे जो हो, मैं यह काम नहीं करूंगी। मुझे डर लगता है !''
उसने इस अन्दाज में कहा कि मुझे लग गया कि अभी तो बात बनने वाली नहीं, तो मैंने बातो को दूसरी तरफ मोड़कर कहा, ''अच्छा सच बताओ किसी से करवाया है कि नहीं?''
'' भगवान कसम नहीं।''
'' मिंजवाई हो?''
'' भला कौन लड़की होगी जिसकी किसी न किसी ने कभी मींजी न हो।''
फिर उसने कहा, '' तुमने मामा ? तुमने मींजी हैं?''
'' हां, तुम्हारी ही !''
'' धत! पहले?''
'' मींजी तो कइयों की है, और ली भी है, लेकिन पूछना नहीं किसकी। कभी बाद में बताऊंगा। अच्छा बताओ तुम इसके बारे में ठीक से जानती हो?''
उसने मुस्कुराकर कहा, '' किसके?''
मैंने खीजकर कहा, '' बुर की पेलाई या कहो चुदाई के संबंध में!''
'' हाय राम यह भला कौन नहीं जानती होगी? इतना तो टीना को भी पता होगा !''
'' अच्छा अपनी बताओ कि तुम को कैसे पता चला?''
'' क्यों बताऊं?''
मैंने अन्त में कहा, ''सोनम मैं बिना लिए तुम्हारी छोड़ूंगा नहीं !''
और फिर इधर उधर की बातें होने लगीं। बात फिर आकर पेलने, चोदने और लन्ड, बुर पर रुक गई। अन्त में सोनम ने यह वादा किया कि ऊपर से मैं चाहे जो कर लूं, लेकिन वह किसी भी कीमत पर मेरा लन्ड अपनी बुर में डालने नहीं देगी।
बाद के दो दिनों में वह सोई तो दीदी के कमरे में क्योंकि दीदी को माहवारी आ रही थी। यह भी उसी ने बताया, लेकिन दिन में जैसे ही अवसर मिलता हम दोनो एक दूसरे को नौचने चूसने में लग जाते। एकाध बार तो वह बुरी तरह से उत्तेजित भी हो गई, लेकिन उचित अवसर ही नहीं मिला। दीदी भी न जाने क्यों हमें अकेला नहीं छोड़ रही थीं।
यद्यपि मुझे अन्त तक यह लगने लगा कि अगर अकेले मिल जाए तो करवा लेगी।
मैं तीसरे दिन के बजाय चौथे जाने के लिए तैयार हुआ। उस दिन इतवार था। शहर से हमारे गांव की दूरी अधिक नहीं थी। तीन घण्टे बस से लगते थे। बीच में बदलकर अन्त में चार किलोमीटर का पैदल या फिर अपने निजी वाहन का रास्ता है। पैंसजर ट्रेन भी जाती थी, समय थोड़ा अधिक लगता था परन्तु आराम था।
बारह बजे की गाड़ी थी। प्रोग्राम यह बना कि चार बजे के लगभग गाड़ी पास के कस्बे पहुँच जायेगी फिर वहां से बस पकड़कर एकाध घंटे में अपने गांव की सड़क पर पहुंच जायेंगे। आगे अगर फोन लग गया तो कह दिया जायेगा कोई आ जायेगा, नहीं तो किसी रिक्शा या हम लोग पैदल ही निकल जायेंगे।
हमारा क्षेत्र बहुत शांत है। किसी तरह की चोरी डकैती या दूसरी घटनाओं से मुक्त ! इसलिए हम लोगों को आने जाने का भय नहीं होता अक्सर किसी कारण से देर हो जाने के बाद लोग बारह-बारह बजे रात तक में अकेले आ जाते।
यद्यपि सोनम ट्रेन से आने में घबरा रही थी, कहीं लेट न हो जाये!
हुआ भी वही, बारह से एक बज गया फिर दो, तब जाकर कहीं गाड़ी आई। घर फोन से बात करने की कोशिश की लेकिन संभवतः सम्पर्क ना होने के कारण बात नहीं हो पाई। अभी हमारे यहां यह सुविधा उतनी अच्छी नहीं थी। जाते जाते चाचा कह गये कि मुहानी पर कोई आ गया तो आ गया, नहीं तो वहीं सम्पत साह के यहां सामान रख कर पैदल ही चले जाना।
हम लोग बैठे तो देर हो जाने की घबराहट थी लेकिन गाड़ी में बैठते ही हवा हो गई। सोनम खिड़की तरफ बैठी, फिर मैं। हम लोगों की यात्रा तो ऐसे कटी जैसे पति पति पत्नी हों। वह लगातार मेरे हाथों से खेलती रही। कभी-कभी अपने हाथों की कुहनियों को मेरे लंड पर पैंट के ऊपर से दबाती मेरे हाथ तो पूरी यात्रा में किसी न किसी तरह उसकी चूचियों के संपर्क में ही रहे।
अवसर देखकर कामुक बातें भी होती रहीं। मुझे उसकी जानकारियाँ सुनकर आश्चर्य हुआ। उसने बताया कि दीदी और जीजा कभी कभी गंदी फिल्म देखते हैं। जिसमे कभी दो आदमी एक की लेते हैं तो कभी एक दो की !
कहने लगी कि चाचा चाची की निरोध लगाकर ही करते हैं। उसने यह भी बताया कि उसने दरवाजे में एक छेद ऐसा कर रखा है कि जिससे वह जब चाहे उन लोगों की चुदाई देखे, मगर वह जान नहीं सकते।
ऐसे में यात्रा जब समाप्त हुई तो पता चला कि गाड़ी रास्ते और लेट हो गई। स्टेशन पर पहुंचते-पहुंचते सात बज गये। हल्का अंधेरा हो गया। सोनम डरने लगी। लेकिन बस जल्दी ही मिल गई। कुछ दूर जाने के बाद पहिया पंक्चर हो गया। और देर होती देख सोनम घबराने लगी, लेकिन मेरा मन प्रसन्नता से झूम उठा। मैंने निश्चय कर लिया अब सोनम को कुंआरी नहीं रहने दूंगा।
जब हम लोग मुहानी पर पहुंचे तो आठ का समय हो गया था। अंधेरा घिर आया था, लेकिन चांद भी निकलने की तैयारी में था। सोनम तो रोने लगी कि अब क्या होगा!
मैंने दिलासा दिया तो जाने को तैयार हुई।
सामान साह जी के यहां रखने गये तो योजना के अनुसार सोनम को थोड़ा दूर खड़ा करके कह दिया कि चाची हैं। वह अड़ गये कि सायकिल ले लो, लेकिन मैंने यह कहकर मना का दिया कि वह पैदल ही जायेंगी।
गांव में जाने का एक थोड़ा निकट का रास्ता था, लेकिन वह पलाश और कुश के छोटे से जंगल में से जाता था। मैंने वही रास्ता पकड़ा तो वह रुक गई।
क्योंकि उसे पता था कि एक सड़क भी है, लेकिन मेरे समझाने और डर समाप्त करने के बाद ही वह जाने को तैयार हुई। पगडंडियां तमाम थीं। मैंने जानबूझकर अलग पगडंडी पकड़ी। चूंकि बचपन से मैं इतनी बार इधर से गया था कि मुझे रास्ते का चप्पा चप्पा पता था। मेरे कंधे पर छोटा सा बैग था। जिसमे मेरे कपड़े थे। उसका सामान तो रख दिया था।
उसने मजबूती से मेरा हाथ पकड़ लिया था। थोड़ी दूर जाकर मैंने कहा, '' हाथ छोड़ो, मैं जरा मूत लूं !''
वह बोली, '' नहीं मुझे डर लग रहा है, यहीं मूतो !''
तब तक चांदनी के प्रकाश का प्रभाव वातावरण में उभर गया था। मैं उत्तेजित होने लगा। मुतास के कारण मेरा लंड पहले से ही खड़ा था मैंने उसी के सामने लंड को पैंट से निकाला और छल छल मूतने लगा। मूतने के बाद जब लंड हिलाकर बूंदें गिराने लगा तो वह बोली, '' बीज गिरा रहे हो मामा?''
मैंने कहा, '' बीज तो तुम्हारी बुर में गिराऊंगा।''
'' कैसे?''
'' तुम्हें चोदकर और कैसे?'' इतना कह कर मैं लंड को यूं ही बाहर लटकाये चल पड़ा। और हाथ उसके कंधे पर रखकर बगल से उसकी चूचियों को सहलाने लगा। वह कड़ी होने लगीं तो और तेज मलने लगा। वह उत्तेजित होकर मुझसे चिपकने लगी। चूचियां बड़े लम्बे आम का रूप धारण करने लगीं। मैंने रुककर मुंह में सटाकर अपनी जीभ उसके मुंह में डालकर जो चूसा तो बोली, '' मामा लगता है कि आज तुम मुझे खराब करके ही छोड़ोगे !''
" मतलब?''
'' मतलब न पूछो!'' कहकर वह बोली, मुझे भी मूतना है !'' कहकर वह वहीं सलवार खोलकर बैठ गई। जानवरों को चारा खिलाने वाली नाद की तरह उसके चूतड़ सामने आ गये। वह सीटी बजाती शर-शर मूतने लगी। मैं अपने खड़े लन्ड को उसकी कनपटियों से रगड़ने लगा।
मूत कर उठी तो सलवार बांधने से पहले ही मैंने उसकी झांटों से भरी चूत को मुट्ठी में पकड़ लिया वह मूत से गीली हो रही थी। उसने हल्का सा प्रतिरोध किया, '' छोड़ो न!''
अब तक चांदनी खिल चुकी थी। चारों तरफ सन्नाटा था। मुझे याद आया कि थोड़ा अन्दर एक छोटी सी पोखर है। मैं उसी तरफ उसे लिपटाये चला गया।
पोखर में पानी तो कम था, लेकिन उसके किनारे साफ स्थान था। पास में सफेद पुष्प खिले थे। वातावरण मादक था। उसने मस्ती भरे स्वर में कहा, ''यहां क्यों आये?''
मैंने कहा, '' तुम्हें लेने के लिए।'' फिर उससे खड़े ही खड़े ही लिपट गया।
वह मेरे ही बराबर थी। उसके बाल खुल गये थे। उसकी कड़ी होकर पत्थर चूचियां मेरे सीने से टकराकर मेरे अन्दर आग भर रही थीं। मैंने हाथ को पीछे ले जाकर उसके उभरे चूतड़ों को पकड़ लिया और मुंह को उसके मुंह से लगाकर उसके चेहरे और होंठों को चूसने लगा। उसने भी मुझे जकड़ लिया। मेरा लंड खड़ा होकर सलवार के ऊपर से उसकी चूत को चूमने लगा।
वह थोड़ी देर बाद अलग होकर बोली, '' अब चलो मुझे डर लग रहा है।''
मैंने उसकी बात को अनसुना करते हुए बैग खोल कर अपनी लुंगी निकाल कर बिछा दी और कहा, '' अब न तो मैं बिना चोदे रह सकता हूं और नहीं तुम बिना चुदाये !''
फिर मैंने उसे भूमि पर लिटा दिया और उसके ऊपर चढ़कर उससे लिपट गया। उसने भी मुझे कस लिया। पांच मिनट की लिपटा-लिपटी के बाद मैं उठा और उसे उठाकर उसकी कुरती को शमीज़ सहित ऊपर खींच कर उतार दिया। वह ऊपर से नंगी हो गई। दोनों छातियां ऐसी गोरी चिकनी और फूलकर खड़ी हो गई थीं मानो उन्हें अलग से चिपका दिया गया हो। उन्हें नीचे से ऊपर मींजते सहलाते हुए कहा, '' सच बताओ सोनम मेरे अतिरिक्त तुम्हारे दो पपीतों को किसी और मींजा है?''
'' भगवान कसम नहीं। जब मैं गांव में थी तो संध्या भाभी जरूर मींजती और कभी कभी चूसतीं भी थीं, लेकिन तब यह छोटी थीं। कामता भैया कलकत्ता रहते थे। वह अपनी चूचियां चुसाती भी थीं। यहां किसी ने कभी नहीं कुछ किया।''
" तो आज मैं सब कुछ करूंगा !'' कहते हुए मैंने उसकी चूचियों को चूसना आरम्भ कर दिया। उसका सीना मेरे थूक भीग गया। वह वहीं लेट गई और अकड़ने लगी।
तब मैं उठा और अपनी पैंट और चड्ढी साथ उतार दी। बल्ल से मेरा लंड सामने आ गया। वह उसे ही देखने लगीं। मेरी झांटे काफी बड़ी हो गईं थीं। नसें तनकर अकड़ गई थीं। मैंने उसका हाथ पकड़कर अपने लंड पर रख दिया। वह वैसे ही पकड़े रही। उसकी खड़ी चूचियां मेरे होंठों के सामने तनी थीं। तब मैंने कहा, '' सहलाओ।''
वह बोली, '' शरम आती है।''
'' लो अभी मैं शरम मिटाता हूं।'' कहकर मैंने उसके सलवार का नाड़ा पकड़कर खींच दिया। सलवार खुल गई। नीचे से पकड़कर खींचा तो उतर गई। वह शरमाने लगी। उसकी भी झांटे काफी बड़ी थीं। उसकी बुर उसी में छुपी थी।
'' कभी-कभी इसे साफ कर लिया करो।'' कहकर मैं हथेली से उसकी बुर सहलाने लगा।
सोनम सिसियाते हुए बोली, '' तुम्हारी भी तो बड़ी है।'' और फिर मेरे लंड पर अपनी हथेलियां चलाने लगी।
मेरी उत्तेजना चरम पर पहुंच गई, लगा कि अब मैं कही झड़ न जाऊं। उसकी बुर भी गीली हो गई थी। उसकी बुर का दाना उभर आया था। यद्यपि मैंने तो रास्ते में सोचा तो बहुत कुछ करने के लिए था, लेकिन लगा कि अब मैं कहीं बिना अन्दर डाले ही न झड़ जाऊं तो उससे कहा, '' टांगें फैलाकर लेटो।''
वह लेटते हुए बोली, '' छोड़ दो न मामा!''
'' पागल हूं मैं !'' कहकर मैंने अपनी शर्ट उतार दी ओर उसके पूरे शरीर को सहलाया और फिर उसकी टांगों के बीच में जाकर उसकी बुर के छेद को हाथों से टटोलकर उसपर अपने लंड का सुपाड़ा रखकर औंधे मुंह उसपर लेट गया और कमर पर दबाव डाला तो भीग चुकी उसकी बुर में मेरा लंड सक से चला गया।
'' हाय राम मैं मरी!'' उसने कहा।
मैंने कहा, '' झिल्ली फट गई?''
'' पता नहीं!''
मैं एक पल के लिए रुका फिर कुहनियों को भूमि पर टिका कर उसकी चूचियों को मलते हुए कमर चलाते हुए सोनम को हचर-हचर चोदने लगा। सात आठ धक्के के बाद वह भी कमर चलाने लगी और अपने हाथों से मुझे कस लिया। मैं उसे चोदे ही जा रहा था। उसका शरीर महकने लगा। उसके मुंह से हों-हों का स्वर निकलने लगा।
मेरी कमर और तेज चलने लगी। उसने किचकिचाकर मुझे दबोच लिया। अन्त में मैं भल्ल से उसकी चूत में झड़ गया। मैं कुछ देर बाद उसके ऊपर से उठा। मेरा लंड बीज से सना था। उसकी चूत भी वैसे ही बीज से भरी थी। वह लम्बी लम्बी सांसे भर रही थी। मैंने पास पड़ी पैंट से रुमाल निकालकर पहले अपने गीले लंड को पौंछा फिर उसकी बुर को। अब वह स्थिर हो गई थी। बोली, '' मामा अगर कहीं बच्चा ठहर गया तो?''
'' पागल एक बार में बच्चा नहीं ठहरता है। उठो ! बैठकर मूत दो ! बीज नीचे गिर जायेगा।''
मूत कर वह उठी तो मैंने उसे अपनी टांगों को सीधे फैला लिया और उसकी टांगों को अपनी कमर के दोनो तरफ करवा कर बैठा लिया। उसकी चूत से मेरा सिकुड़ा लंड स्पर्श कर रहा था। मांसल चूचियां मेरे सीने से पिस रही थीं। उसके खुले बाल उसकी पीठ पर फैलकर वातावरण को मादक बना रहे थे। वह बोली, '' अब चलो। अपनी तो कर ही ली। देर हो जायेगी।''
'' देर तो हो गई। थोड़ी और सही। ऐसा सुनहरा अवसर अब तो कभी नहीं मिलेगा।''
उसने कोई उत्तर नहीं दिया इसका मतलब था कि उसकी भी मौन स्वीकृति थी। मेरे हाथ उसकी पीठ से लेकर उसके नाद जैसे भारी चूतड़ों की दरार तक चल रहे थे।
वह भी मेरे बालों में अंगुलियाँ चला रही थी। कभी कभी मेरी कनपटियो को भी सहलाने लगती। मैंने यूं ही पूछा, ''सोनम कभी सोचा था कि तुम्हारी चुदाई ऐसे रोमांटिक वातावरण में होगी?''
उसने कोई उत्तर नहीं दिया। मैंने उसे खड़ा किया तो वह रोबोट की भांति खड़ी हो गई। बिल्कुल नंगी ! मैं भी मनुष्य के आदिम रूप में था। हम नंगे पोखर के किनारो पर टहलने लगे। उसके चूतड़ चलते में हिल रहे थे। चिकने थे। एक भी रोयां नहीं था। जांघं और पिंडलियां भी चिकनी थी। झांटें जरूर पेड़ू तक फैली थीं। चूची हिल नहीं केवल थरथरा रही थी।
मैंने टहलते हुए बुर पर हथेली रखते हुए कहा, '' सोनम झांट हेयर रिमूवर से बना लिया करो। अभी लगता है एक बार नहीं किया?''
'' नहीं साफ तो किया है, लेकिन मुझे शरम आती है। जब चाची को याद आता है तब लाकर देती हैं तो करती हैं, स्वयं तो एकदम चिकना किए रहती हैं।''
फिर दोनों हाथों की अंगुली और अंगूठे को मिलाकर चूत का आकार देते हुए कहा, '' भोंसड़ा हो गई है, फिर भी !''
मैंने कहा, '' उन्हें चुदना जो होता है, जब तुम लगातार चुदोगी तो अपने आप साफ रखोगी।''
'' तुम तो चोदते हो तब भी जंगल उगा लिया है।'' कहकर वह मेरे लंड को पकड़ कर खेलने लगी और पेलड़ की गोलियों से खेलने लगी।
मुझे न जाने क्या सूझी कि मैंने उसे उठाकर सामने से उसे अपने कंधे पर बैठा लिया। उसकी टांगें पीठ की तरफ हो गईं। उसकी चूत मेरे मुंह के सामने आ गई और मन में आया कि लाओ चूम लूं, लेकिन सोचा पता नहीं क्या सोचे तो अपनी ठुड्डी उसकी बुर से रगड़ने लगा। उसकी झांट के बालों का स्पर्श चेहरे को अजब आनन्द दे रहा था।
इसी के साथ मैंने अपने हाथों को ऊपर उठाकर उसके दोनों दूधों को मसलने लगा। बुर चूत की बातें होती रहीं और हम फिर उत्तेजित हो गये। मेरा लंड दुबारा कील की तरह खड़ा होकर ऊपर उठ गया। इसी तरह पोखर का तीन चक्कर लगाते-लगाते वह उत्तेजित हो गई । तो बोली, '' मामा चलो फिर चोदो मगर दूसरी तरह से।''
मैं उसके इस खुले आमन्त्रण से हिल गया। कंधे से उतार कर ले जाकर लुंगी पर उसे झुका दिया और हथेली पर अपने और उसके मुंह से थूक लेकर अपने लण्ड पर मला और चूत को ढके झांटों को इधर-उधर करके छेद पर रखकर कसा तो एकदम अन्दर चला गया। फिर कमर हिलाहिलाकर उसे चोदने लगा।
कुछ पल बाद लंड निकाला तो देख कि उसकी बुर का छेद खुल चुका था। उसका चना भी फूल गया था। फिर मैं भूमि पर लेट गया। मेरा लंड हवा में तना था। मैंने उससे कहा, '' सोनम आओ ! इसपर टांगें फैलाकर बैठो।''
वह बोली, '' नहीं ! पूरा अन्दर चला जायेगा ! दर्द होगा !!''
'' यह सब कहने की बात है, और मजा आयेगा। बैठकर तो देखो !''
वह दानों टांगों को इधर उधर करके बुर के छेद को लंड के निशाने पर लेकर बैठी तो एकाएक कमर को पकड़कर दबा दिया। वह घप्प से गिर गई। सट से लंड अन्दर पूरा उसकी बुर की जड़ तक चला गया। पहले मैंने नीचे से अपनी कमर को हिलाया फिर वह भी हचर-हचर अपनी कमर चलाने लगी। मैं सामने उसकी स्तूप की तरह हिल रही चूचियों को सहलाने लगा। बढ़ती उत्तेजना के साथ मेरी और उसकी गति तेज हो गई। अन्त में मैं फल्ल-फल्ल झड़ने लगा। वह अजब अजब स्वर निकालने लगी और औंधे मुंह मेरे ऊपर गिर पड़ी।