Friday, May 29, 2009

चेहरा लाल गांड काली

प्यारे दोस्तों, मैं एक छात्र हूँ और चण्डीगढ़ में रहता हूँ। मैं आपको अपनी अपनी नौकरानी के साथ हुए पहला अनुभव बताने जा रहा हूँ। वह १८ साल की एक ख़ूबसूरत और गोरी-चिट्टी लड़की है, और मैं २० साल का हूँ। मैं कॉलेज के प्रथम वर्ष में हूँ। मैं एक मध्यवर्गीय परिवार से हूँ। मैं सीधा सा दिखने वाला लड़का हूँ। मेरे दोस्त जब भी अपनी गर्लफ्रेण्ड के बारे में बात करते हैं, मैं वहाँ ख़ामोश होकर बस सुनता हूँ, इसलिए वे मुझसे हमेशा कहा करते हैं कि किसी लड़की को पटा लो यार, तुम तो हमसे कई गुणा अच्छे दिखते हो। मेरी कोई गर्लफ्रेण्ड नहीं है क्योंकि मैं उनपर हज़ारों रुपये खर्च नहीं कर सकता। ऊपर से मैं शर्मीले स्वभाव का भी हूँ। ठीक है कहानी पर वापस आते हैं।

मेरी नौकरानी हमारे घर प्रतिदिन काम करने आया करती थी। मैं उसे देखा तो करता था, पर कभी ग़लत नज़र से नहीं देखा। मैंने ग़ौर किया कि मैं जब भी उसके नज़दीक जाता तो वह मुझे घूरा करती थी। कुछ महीनों के बाद उसने मेरी माँ से कहा कि वह अपने गाँव वापस जा रही है, क्योंकि उसकी शादी ठीक कर दी गई है। अतः मेरी माँ ने उसके पैसों का हिसाब-किताब करके उसे पैसे दे दिए, यह उसका हमारे यहाँ काम का आख़िरी दिन था।

वह रविवार का दिन था, मेरी माँ मेरे पिता के काम में हाथ बँटाने बाहर चली गई, और बहन भी अपने काम से बाहर गई। मैं घर में अकेला था और वह आई, मैंने दरवाज़ा खोला और उसने हमेशा की तरह बर्तन धोने शुरू किए और मैं नहाने के लिए चला गया। वह यह जानती थी, क्योंकि मैं उससे हमेशा कहकर जाता था कि अगर कोई आए तो उसे बैठने के लिए कहो, जबतक मैं नहा कर नहीं आ जाता। मैं अन्दर गया और नहाने लगा।

जब मैं बाहर आया तो पाया कि मेरे कपड़े वहाँ नहीं थे, कपड़े मैंने बिस्तर पर ही रखे थे। मैंने अपना एक हाथ अपने लण्ड पर और दूसरा अपनी गाण्ड पर रखा। उससे भी अधिक चौंकाने वाली बात यह थी कि वह कमरे से जाने की बजाए और वहीं खड़ी हँस रही थी। मैंने पहले सोचा कि मैं वापस बाथरूम चला जाऊँ, पर फिर मैंने निश्चय किया कि वहीं खड़ा रहूँ और मैंने उससे पूछा, "मेरे कपड़े कहाँ हैं? मैंने यहीं रखे थे।"

उसने उत्तर दिया, "मैंने सोचा कि धुले हुए कपड़े हैं, इसलिए तह लगाकर आलमारी में रख दिए।"

ऐसा कहते हुए वह मेरे अण्डकोषों को घूर रही थी। मैंने फट से दूसरा हाथ पीछे से हटाकर आगे ही रख लिया।

उसने कहा, "बहुत बड़ा है।"

मुझे इसपर बड़ा आश्चर्य हुआ, मैंने कहा, "जल्दी कपड़े दो।"

वह पलटी और कपड़े मुझे दे दिए। मैं पहनने लगा, पर मैं देख सकता था कि वह आल्मारी के आईने में मुझे कपड़े पहनते देख रही थी।

मैंने उससे पूछा, "तुम यहाँ क्या कर रही हो???" तबतक मैं कपड़े पहन चुका था।

उसने कहा, आँटी को बोल देना, मैं कल से नहीं आऊँगी।"

मैंने अच्छा, "अच्छा ! और तुम शीशे में क्यूँ देख रही थी?"

वह फिर से मुस्कुराई और शरमा गई। उसने कहा "तुम बहुत गोरे हो।"

मैंने पूछा,"तुम ऐसा क्यों कह रही हो?"

उसने कहा कि वह अपने पति को नहीं चाहती (क्योंकि वह किसी दूर के गाँव से है और देखने में भद्दा है) पर उसके माँ-बाप उसपर शादी करने का दबाव डाल रहे हैं।

मेरा लण्ड खड़ा हो गया था। क्योंकि मेरा लण्ड बहुत बड़ा है तो पैण्ट के ऊपर से साफ पता भी चल रहा था। इसलिए पता नहीं क्यों मैंने अपने पैण्ट की ज़िप खोलकर अपना लण्ड बाहर निकाल लिया (बस ऐसा हो गया) और उससे कहा, "तुम्हें यह देखना था तो देख लो।"

उसका चेहरा लाल हो गया और फिर मैं उसके पास गया और उसका हाथ पकड़कर अपने लण्ड पर रख दिया।

मुझे आश्चर्य हुआ जब उसने कहा कि, "अभी तक जितने घरों में काम किया है, तुम्हारा सबसे बड़ा और गोरा है।"

मुझे काफ़ी अजीब लगा, और मैंने सोचा कि यह बहुत बड़ी छिनाल है। मैं धीरे से अपना हाथ उसकी चूचियों पर ले गया और उसे दबाने और सहलाने लगा। फिर मैंने उसकी साड़ी और ब्लाऊज़ उतार दी। मैंने उसके गुलाबी चूचुक देखे और ख़ुद को उन्हें चूसने से नहीं रोक सका। वह भी धीरे-धीरे मेरा लण्ड चूसने लगी। मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। फिर मैंने उसके नीचे के कपड़े उतारना चाहा, पर उसने मना किया। मैंने पूछा, "क्या हुआ?"

उसने कहा, "नहीं मेरी शादी है, कहीं घर वालों को पता चल गया तो?"

मैंने उसे बहुत कहा पर उसने कहा कि वह चली जाएगी।

फिर मैंने कहा "चलो एक बार कपड़े उतार के दिखा दो।"

वह राज़ी हो गई और अपने नीचे के कपड़े और अन्डरवियर उतार दिया। मैंने सोचा कि उस पर टूट पड़ूँ और चोद दूँ फिर मुझे पकड़े जाने का डर भी लगा। वह फिर से चूसती रही। २० मिनट के बाद, मुझमें हिम्मत आई और मैं झड़ गया और मेरे पाँव थरथरा रहे थे, यह बिल्कुल अलग अनुभव था।

जब मैंने आँखें खोलीं तो वहाँ पूरा गड़बड़ था। कुछ बूँदे उसके चेहरे पर, कुछ बिस्तर पर और थोड़ी दीवार पर भी थीं। उसने कपड़े पहने और मुस्कुरा कर यह कहती हुई निकल गई, "आपने मुझे भी गन्दा कर दिया।"

मेरे पास कहने को कुछ नहीं था और वह चली गई।

मैं उसके पीछे-पीछे रसोईघर में आया और फिर से उसकी चूचियाँ दबाने लगा, बहुत मज़ा आया। वह कहती रही, "बस, अब मुझे जाना है।" पर मैं उसे देर करवाता रहा। कुछ मिनट बाद मेरा लण्ड फिर खड़ा हो गया और उससे कहा कि फिर से चूसो, क्योंकि यह तुम्हारा यहाँ आख़िरी दिन है। वह खुशी-खुशी मान गई, और इस बार उसने मेरे अण्डकोष भी चूसे। मैं उसकी प्यारी चूचियों से खेलता रहा।

अगले दिन मैं उसके घर भी गया, यह पता करने कि वह वाक़ई में चली गई है।

इस घटना से मेरे ऊपर गहरा प्रभाव पड़ा। अब जब भी मैं बस में कहीं जा रहा होता हूँ तो अगर कोई लड़की मुझसे रगड़ खा रही होती है, तो यह कोई अनजाने में नहीं होता। कभी-कभी तो कुछ लड़कियाँ अपनी चूचियों से सीट पर अधिक जगह पाने के लिए धक्का देतीं हैं (जबकि वह पहले से ही 75 प्रतिशत सीट पर क़ब्जा किए रहेंगी)।

जब भी मैं इस घटना को याद करता हूँ, मेरा लण्ड तुरन्त खड़ा हो जता है। गूगल पर थोड़ा ढ़ूँढ़ने के बाद मुझे इस साईट का पता चला तो मैंने निश्चय किया कि मैं अपना अनुभव आपके साथ बाटूँगा। मैं इस साईट को धन्यवाद करना चाहूँगा, जिसके माध्यम से मैं अपना मज़ेदार अनुभव लोगों में बाँट सका।

मैं आपसे आपकी प्रतिक्रिया जानना चाहूँगा

चुदवाते-चुदवाते

मैं ३५ साल का मस्त जवान हूँ और मेरा लण्ड चोदने के लिए तड़पता रहता है। बीवी को चोद-चोद कर ये अब कुछ नया चाहता है। हमारे घर में पार्ट-टाईम नौकरानियाँ काम करतीं हैं। लेकिन कोई भी सुन्दर नहीं थी। बीवी बड़ी होशियार थी। सब काली-कलूटी और भद्दी-भद्दी चुन-चुनकर रखती थी। जानती थी ना कि मेरे मियाँ को चूत का बड़ा शौक है।

आख़िर में जब कोई नहीं मिली तो एक को रखना ही पड़ा - जो कि १९-२० साल की मस्त जवान कुँवारी लड़की थी। साँवला रंग था और क्या यौवन ! सुन्दर ऐसी की देख कर ही लण्ड खड़ा हो जाए। मम्मे ऐसे गोल-गोल और निकलते हुए कि ब्लाउज़ में समाते ही नहीं।

बस मैं मौके की तलाश में था क्योंकि चोदने के लिए एकदम मस्त चीज़ थी। सोच-सोच कर मैंने कई बार मुट्ठ भी मारी। बहुत ज़ोरों की तमन्ना थी कब मौक़ा मिले और कब मैं उसके बुर में अपना लंड घुसा दूँ। वह भी पैनी निगाहों से मुझे देखती रहती थी। और मैं उसके बदन को चोरी-चोरी नापता रहता था। मन-ही-मन उसे कई बार नंगा कर दिया। उसकी गुलाबी चूत को कई बार सोच-सोच कर मेरा लंड गीला हो जाता था और खड़ा होकर फड़फड़ा रहा होता। हाथ मचलते रहते कब उसकी गोल-गोल चूचियों को दबाऊँ।

एक बार चाय लेते समय जब मैंने उसे छुआ तो मानों करंट सा लग गया और वो शरमाती हुई खिलखिला पड़ी और भाग गई। मैंने मन-ही-मन कहा मौका आने दे, रानी ! तुझे खूब चोदूँगा। लण्ड तेरी चिकनी बुर में डाल कर भूल जाऊँगा। चूची को चूस-चूस कर प्यास बुझाऊँगा और दबा-दबा कर मज़े लूँगा, होठों को तो खा ही जाऊँगा। रानी उसका प्यारा सा नाम था।

कहते हैं उसके घर में देर है पर अन्धेर नहीं। एक दिन मेरी बीवी ने कहा- मैं मायके जा रही हूँ, रानी आएगी तो घर का काम करवा लेना।

रविवार का दिन था। बच्चे भी बीवी के साथ चले गए। और मेरे लंड महाराज तो उछल पड़े। मौका चूकने वाला नहीं था। लेकिन शुरू कैसे करें। कहीं चिल्लाने लगी तो? गुस्सा हो गई तो? दोस्तों, तुम यह जान लो कि लड़कियाँ कितनी ही शर्माएँ, लेकिन दिल में उनकी इच्छा रहती है कि कोई उन्हें छेड़े या चोदे।।

मैंने रानी को बुलाया और उसे देखते हुए कहा, "रानी, तुम कपड़े इतने कम क्यों पहनती हो?"

वो बोली, "बाबूजी, इतनी पैसे कहां कि चोली ख़रीद सकूँ ! आप दिलवाएँगे?"

मैंने कहा, "दिलवा तो मैं दूँगा। लेकिन पहले बता कि क्या आज तक किसी ने तुझे छेड़ा है।"

उसने जवाब दिया, "नहीं साहब।"

मैंने कहा, "इसका मतलब तू एकदम कुँवारी है।"

"जी साहब।"

"अगर मैं कहूँ कि तू मुझे बहुत अच्छी लगती है, तो तू नाराज़ तो नहीं होगी?"

"नाराज़ क्यों होऊँगी साहब। आप तो बहुत अच्छे हो।"

बस यही उसका सिग्नल था मेरे लिए। मैंने हिम्मत रख कर पूछा, "अगर मैं तुम्हे थोड़ा प्यार करूँ तो तुम्हें बुरा तो नहीं लगेगा?"

अपने पैर की उँगलियों को ज़मीन पर रगड़ती हुई वह बोली, "आप तो बड़े वो हो साहब।"

मैंने आगे बढ़ते हुए कहा, "अच्छा, अपनी आँखें बन्द कर ले, और अभी खोलना नहीं।"

उसने आँखें बन्द कीं और हल्के से मुँह ऊपर की तरफ कर लिया। मैंने कहा - बेटा लोहा गरम हैं, मार दे हथौड़ा। आहिस्ता से पहले मैंने उसके गालों को अपने हाथों में लिया और फिर रख दिए अपने होंठ उसके होठों पर। हाय, क्या गज़ब की लड़की थी। क्या स्वाद था। दुनिया की कोई भी शराब उसका मुक़ाबला नहीं कर सकती थी। ऐसा नशा छाया कि सब्र के सारे बाँध टूट गए। मेरे होठों ने कस कर उसके होठों को चूसा और चूसते ही रहे। मेरे दोनों हाथों ने ज़ोर से उसके बदन को दबोच लिया। मेरी जीभ उसकी जीभ का स्वाद लेने लगी। इस दौरान उसने कुछ नहीं कहा। बस मज़ा लेती रही। अचानक उसने आँखों खोलीं और बोली, "साहबजी, बस, कोई देख लेगा।"

मैंने कहा, "रानी, अब तो मत रोको मुझे। सिर्फ एक बार।"

"एक बार, क्या साहब?"

मैंने उसके कान के पास जाकर कहा, "चुदवाएगी? एक बार बुर में लंड घुसवाएगी? देख मना मत करना। कितनी सुन्दर है तू।" यह कहकर मैंने उसे कस कर पकड़ लिया और दाहिने हाथ से उसकी बाईं चूचि को दबाने लगा। मुँह से मैं उसके गालों पर, गले पर, होठों पर, और हर जगह चूमने लगा... पागलों की तरह। क्या चूची थी, मानों सख्त संतरे। दबाओ तो छिटक-छिटक जाएँ। उफ्फ, मलाई थी पूरी की पूरी।

रानी ने जवाब दिया, "साहबजी, मैंने ये सब कभी नहीं किया। मुझे शरम आ रही है।"

उखड़ी साँसों से मैंने कहा, "हाय मेरी जान रानी, बस इतना बता, अच्छा लगा या नहीं। मज़ा आ रहा है कि नहीं? मेरा तो लण्ड बेताब है जानेमन। और मत तड़पा।"

"साहबजी, जो करना है जल्दी करो, कोई आ जाएगा तो?"

बस मैंने उसके फूल जैसे बदन को उठाया और बिस्तर पर ले गया और लिटा दिया। कस कर चूमते हुए मैंने उसके कपड़ों को उतारा। फिर अपने कपड़े भी जल्दी से उतारे। ७" मेरा लण्ड फड़फड़ाते हुए बाहर निकला। देखकर उसकी आँखें बन्द हो गईं। बोली, "हाय, ये क्या है? ये तो बहुत बड़ा है।"

"पकड़ ले इसे मेरी जान।" कहते हुए मैंने उसके हाथ को अपने लंड पर रख दिया। उसके बदन को पहली बार नंगा देखकर तो लंड ज़ोर से उछलने लगा। चूची ऐसी मस्त थी कि पूछो मत। चूत पर बाल इतने अच्छे लग रहे थे कि मेरे हाथ उसकी तरफ बढ़ ही गए। क्या गरम चूत थी। उँगली आहिस्ता से अन्दर घुसाई। रस बह रहा था और उसकी बुर गीली हो गई थी। गुलाबी-गुलाबी बुर को उँगलियों से अलग किया, और मैंने अपना लंड आहिस्ता से घुसाया। हाथ उसकी चूचियों को मसल रहे थे। मुँह से उसके होठों को मैं चूस रहा था।

"आह, साहबजी, आहिस्ता, लग रहा है।"

"रानी, मज़ा आ रहा है?"

"साहबजी, जल्दी करिए ना जो भी करना है।"

"हाँ मेरी जान, बोल क्या करूँ?"

"डालिए ना। कुछ करिए ना।"

"रानी, बोल क्या करूँ।" कहते हुए मैंने लंड को थोड़ा और घुसाया।

"अपना ये डाल दीजिए।"

"बोल ना, कहाँ डालूँ मेरी जान, क्या डालूँ।"

"आप ही बोलिए ना साहबजी, आप अच्छा बोलते हैं।"

"अच्छा, ये मेरा लंड तेरी चिकनी और प्यारी बुर में घुस गया। और अब ये तुझे चोदेगा।"

"चोदिए ना, साहबजी।"

उसके मुँह से सुनकर तो लंड और भी मस्त हो गया। "हाय रानी, क्या बुर है तेरी, क्या चूची है तेरी। कहाँ छुपा कर रखा था इतने दिन। पहले क्यों नहीं चुदवाया।"

"साहबजी, अपका भी लंड बहुत मज़ेदार है। बस चोद दीजिए जल्दी से।" और उसने अपनी चूतड़ों को ऊपर उठा लिया।

अब मैंने उसकी दाहिनी चूची को मुँह में लिया और चूसने लगा। एक हाथ से दूसरी चूची को दबाते हुए, मसलते हुए, मैं उछल उछल कर ज़ोर-ज़ोर से चोदने लगा। जन्नत का मज़ा आ रहा था। ऐसा लग रहा था बस चोदता ही रहूँ, चोदती ही रहूँ इस प्यारी-प्यारी चूत को। मेरा लंड ज़ोर-ज़ोर से उसकी गुलाबी गीली गरम-गरम बुर को चोद रहा था।

"हाय रानी, चोद रहा है ना। बोल मेरी जान, बोल।"

"हाँ साहब, चोद रहा है। बहुत मज़ा आ रहा है। साहब आप बहुत अच्छा चोदते हैं। साहब, ये मेरी बुर आपके लंड के लिए ही बनी है। है ना साहब। साहब, चूची ज़ोर से दबाइए। साहब, ओओओओहह, मज़ा आ गया, ओओओओओहहहहह।" अचानक, हम दोनों साथ-साथ ही झड़े। मैंने अपना सारा रस उसकी प्यारी-प्यारी बुर में घोल दिया। हाय क्या बुर थी। क्या लड़की थी, गरम-गरम हलवा। नहीं उससे भी ज़्यादा स्वादिष्ट। मैंने पूछा, "रानी, तेरा महीना कब हुआ था री?" शर्माते हुए बोली, "परसों ही खतम हुआ। आप बड़े वो हैं, यह भी कोई पूछता है?" बाहों में भर कर होठों को चूमते हुए, चूचियों को दबाते हुए मैंने कहा, "मेरी जान, चुदवाते-चुदवाते सब सीख जाएगी।" एकदम सुरक्षित था। गर्भवती होने का कोई मौक़ा नहीं था अभी। दोस्तों, कह नहीं सकता, दूसरी बार जब उसे चोदा, तो पहली बार से ज्यादा मज़ा आया। क्योंकि लंड भी देर से झड़ा। चूत उसकी गीली थी। चूतड़ उछाल-उछाल कर चुदवा रही थी साली। उसकी चूचियों को तो मसल-मसल कर और चूस-चूस कर निचोड़ ही दिया मैंने। जाने फिर कब मौक़ा मिले। आज इसका बुर चूस ही लो। बुर का स्वाद तो इतना मज़ेदार था कि किसी भी शराब में ऐसा नशा नहीं। चोदते समय तो मैंने उसके होठों को खा ही लिया। "ये मज़ा ले मेरे लंड का मेरी जान। तोरी बुर में मेरा लंड - उसकी को चुदाई कहते हैं रानी। कहाँ छुपा रखा था ये चूत जानी।" कहते हुए मैं बस चोद रहा था और मज़ा लूट रहा था।

"चोद दीजिए साहबजी, चोद दीजिए। मेरी बुर को चोद दीजिए।" कह-कह कर चुदवा रही थी मेरी रानी। दोस्तों, चुदाई तो खत्म हुई लेकिन मन नहीं भरा। दबोचते हुए मैंने कहा, "रानी, मौका निकाल कर चुदवाती रहना। तेरी बुर का दीवानी है यह लंड। मालामाल कर दूँगा जानेमन।" यह कह कर मैंने उसे ५०० रूपये दिए और चूमते हुए, मसलते हुए रूख़सत किया।

उसे ४ बार चोदा

हाय !

मैं नागपुर से ३८ साल का सुन्दर और स्मार्ट पुरुष हूँ। मैं आज आपको अपने जीवन की एक पुरानी लेकिन गर्म कहानी सुनाने जा रहा हूँ।

मेरे पड़ोस में रूपा रहती थी जो मुझसे करीब आठ साल छोटी थी। हमारे और रूपा के परिवार के बहुत अच्छे सम्बन्ध थे। रुपा सुन्दर और जवान होती जा रही थी और साथ ही मेरी रुचि उसमें बढ़ती जा रही थी। वो जब चलती थी तो मेरी आँखें उसके कूल्हों पर ही अटक जाती थी। उसकी लहराती हुई चाल देखकर मैं तो जैसे पागल ही हो जाता था। वो मुझे चाचा कहती थी।

रूपा अब कॉलेज़ में पढ़ने लगी थी। उसके उभार बढ़ने लगे थे और साथ ही उसकी मादकता भी बढ़ने लगी थी। उसका कद लगभग ५'२"हो गया था, उसका बदन भरा भरा सा दिखने लगा था। मैं रात को अक्सर उसे याद करके मुठ मारने लगा था। हमारा रिश्ता ऐसा बन गया था कि मैं एकदम से उसे कुछ नहीं कह पाता था। जब भी मुझे मौका मिलता मैं किसी ना किसी बहाने से उसे छू लेता था।

एक दिन दोपहर में मैं उसके घर गया तो वह अपनी दादी और माँ के साथ बैठी थी। उसके पैरों में दर्द हो रहा था। मैंने उससे कहा- लाओ, मैं तुम्हारा एक्यू-प्रेशर कर देता हूँ। वह मेरे करीब आकर बैठ गई। मैंने धीरे धीरे उसके पंजों पर एक्यू-प्रेशर करना शुरू किया। मुझे एक्यू-प्रेशर के काफी सारे दबाव-बिंदु मालूम हैं। मैं समझ गया कि उसका पैर ऊपर से लॉक हो गया है।

रूपा इस समय स्कर्ट और टी-शर्ट पहने हुए थी। धीरे धीरे मैं उसके घुटनों तक प्रेशर देने के बहाने अपने हाथ फिराने लगा। थोड़ी देर में मैंने उसकी जांघों पर हाथ फिराना चालू कर दिया। जांघों को सहलाते हुए दो बार मैंने उसकी योनि भी सहला दी। रूपा शरमाने लगी। उसकी माँ और दादी भी बैठी थी, अधिक कुछ हो नहीं सकता था।

समय बीतता गया, रूपा पर और ज्यादा जवानी चढ़ने लगी। मैं एक्यू-प्रेशर करने के बहाने उस के पूरे बदन को छूने लगा, जिससे वो हमेशा शरमा जाती थी। मैं अभी तक यह समझ नहीं पा रहा था कि उसके मन में भी ऐसा कुछ हो रहा है क्या।

कुछ दिनों में रूपा ने अपनी स्नातिकी पूरी कर ली। अब वो पूरी तरह से निखर चुकी थी। उसका कद ५'४" छाती ३३" कमर २८" और कुल्हे ३२" के लगभग हो गए थे। उसे देख कर मेरी जांघों के बीच जबरदस्त तनाव आ जाता था।

इस बीच मेरी शादी हो गई। मै अक्सर अपनी पत्नी के साथ सेक्स करते समय रूपा को याद करके ऐसा महसूस करने लगा जैसे मैं रूपा के साथ ही सेक्स कर रहा हूँ।

कुछ दिनों बाद रूपा का रिश्ता आ गया और उसकी शादी मुम्बई हो गई। उसका पति दिखने में ज्यादा ठीक नहीं था। मुझे वो कहावत याद आ गई कि हूर के साथ लंगूर ही मजे करते हैं।

मुझे अपनी किस्मत पर बड़ा पछतावा होता था कि ऐसा करारा माल मेरी जगह इस लंगूर को मिल रहा है। उसकी शादी के बाद जब वो पहली बार मायके वापस आई तो उसको देख कर मैं तो एकदम दंग रह गया। थोड़े दिनों कि चुदाई के बाद तो उसका बदन जैसे क़यामत हो गया। उसके बात करने का तरीका भी बदल गया। थोड़े दिनों बाद वो मुंबई आने को कहकर चली गई और मैं इंतजार करने लगा कि कब मुंबई जाने का मौका मिले।

फ़िर कई महीनों मुझे मंत्रालय के काम से मुंबई जाने का मौका लगा। अब तक उसकी शादी को ७ महीने हो चुके थे। मुझे स्टेशन पर लेने के लिए उसके पति आये थे। हम लोग घर पहुंचे तो दरवाजे पर ही मेरे इंतजार कर रही थी। मैंने उसे दरवाजे पर ही अपनी बांहों में भर लिया और उसके माथे पर एक पप्पी दी।

थोड़ी देर में मैं तैयार होने बाथरूम में गया तो देखा रूपा की अंडरवियर और ब्रा सूख रही थी। मैंने उसे उठा कर सूंघा, क्या मदहोश सुगंध थी ! मेरा लण्ड खडा हो गया। मैंने उसकी पैंटी को अपने लण्ड पर रख मूठ मारना शुरू कर दिया और अचानक मेरा पानी बह निकला। मैं फटाफट तैयार हुआ और मैं और उसके पति नाश्ता करके साथ में ही निकल गए।

मैं मंत्रालय चला गया और उसके पति अपने ऑफिस। करीब ४.०० बजे मेरा काम ख़त्म हुआ, मुझे वहां और ४ दिन रुकना पड़ रहा था। मैं करीब ६.०० बजे उसके घर वापस आया तो उसके पति पहले ही घर पर थे और उन्होंने मुझे बताया कि ऑफिस के काम से उन्हें ५ दिनों के लिए गोवा जाना पढ़ रहा है।

मेरी तो जैसे लॉटरी लग गई। वो अफ़सोस जता रहे थे कि मैं पहली बार आया और उन्हें जाना पड़ रहा है। मैंने शांत स्वर में कहा- भाई ऑफिस का काम है तो जाना ही पड़ेगा !

फिर रात १०.०० बजे की गाड़ी से वो गोवा चले गए। हमने उन्हें घर से ही ९.०० बजे विदाई दे दी थी।

उनके जाने पर हमने खाना खाया। रूपा ने रसोई का काम ख़त्म किया फिर हम दोनों बैठकर घर -परिवार की बातें करने लगे। अगले दिन मुझे दोपहर बाद ही बाहर जाना था इसलिए हम दोनों को सुबह जल्दी उठाने की कोई चिंता नहीं थी। रूपा ने अपनी नाईटी पहनी थी क्योंकि मुझसे ऐसी कोई शर्म तो थी नहीं। मैंने भी अपना नाईट-सूट पहन रखा था और आदत के मुताबिक मैंने अपना अंडरवियर नहीं पहना था।

थोड़ी देर बातें करते करते मैंने उससे कहा- चलो, बेड पर लेट कर ही बातें करते हैं, पीठ को थोड़ा आराम मिल जायेगा।

हम दोनों उनके बेड-रूम में आ गए। मैं लेट गया और वो पास में बैठ कर बातें करने लगी।

मैं उसका हाथ अपने हाथों में ले कर सहलाने लगा। फिर उसको खींच कर अपने बाजू में लिटा लिया। फिर मैंने अपना एक हाथ उसकी गर्दन के नीचे से निकालकर उसका सर अपने कन्धों पर रख लिया। हम बातें करते जा रहे थे। धीरे धीरे मैंने उसके हाथ जो उसकी छाती पर रखे थे, सहलाना चालू किया। कमरे में ए सी चालू था। हल्की-हल्की ठण्ड का हमें अहसास होने लगा। उसने एक चादर खींच कर हम दोनों के ऊपर डाल ली ऐसा करते वक़्त मेरा हाथ उसके भारी उरोजों को छू गया। उसे छूते ही मेरा खम्बा अकड़ कर खड़ा होने लगा।

अब मैंने उससे शादीशुदा जिन्दगी के बारे में पूछना शुरू किया। मेरा हाथ उसके हाथों को सहलाते सहलाते उसके उरोजों को भी सहलाने लगा था। शायद अब उसे मेरे इरादे भी समझ में आने लगे थे, उसने कहा- रात बहुत हो गई है, सो जाते हैं।

मैंने कहा- अभी तो बहुत सी बातें करनी हैं, सुबह भी जल्दी उठने की चिंता नहीं है, और बातें करते हैं।

मैंने उससे पूछा कि सेक्स लाइफ कैसी चल रही है तो वो शरमाने लगी, कहने लगी- चाचा ! ये आपके पूछने की बात थोड़े ही है !

मैंने कहा- अब तुम इतनी बड़ी हो गई हो, शादीशुदा हो, अब तो हम एक दोस्त की तरह बातें कर ही सकते हैं।

रूपा ने कहा- मुझे शर्म आती है !

मैंने कहा- चलो, मैं अपनी पहले बताता हूँ। देखो मुझे शादी के ४ साल होने पर भी रोज सेक्स किये बिना नींद नहीं आती। मैं पहले तुम्हारी चाची की अच्छे से मालिश करता हूँ और फिर करीब १ घंटा हम सेक्स करते हैं। इतने में तुम्हारी चाची ३ से ४ बार झडती है।

और जब चाची नहीं होती तब? -उसने पूछा।

तब मैं उसका या किसी के भी नाम से स्वयं संतुष्टि कर लेता हूँ, कभी कभी तो उसमें तुम्हारा भी नाम होता है।

वो सकपका गई। उसे मेरे इरादे खुलते नजर आने लगे। उसने कहा- ये तो लगभग रोज देर रात तक लौटते हैं और सुबह जल्दी चले जाते हैं। हम लोग शनिवार रात को ही ये सब कर पाते हैं। या फिर किसी दिन छुट्टी होती है तो बोनस हो जाता है।

अब मैं उसके मम्मों को सीधे सहलाने लग गया। उसने कहा- ये क्या करते हो चाचा?

मैंने कहा- पगली अभी तो हम दोस्त हैं चाचा-भतीजी नहीं ! देखो तुम भी जवान हो और मैं भी। तुम्हारी भी शादी हो चुकी है और मेरी भी। तुम ये भी जानती हो एक बार करने से कुछ हो नहीं जाने वाला है।

उसने बताया कि वे लोग अभी बच्चा नहीं चाहते इस लिए कंडोम इस्तेमाल करते हैं।

मैंने कहा फिक्र न करो। हम भी वही इस्तेमाल कर लेंगे।

अब मैंने उसके अधरों पर अपने होंट रख दिए, वो थोड़ा कसमसाई और कुछ बोलने के लिए मुंह खोलने लगी तो मैंने अपनी जीभ उसके मुंह में डाल दी। उसपर इसका असर होने लगा। उसकी सांसे भरी होने लगी। लेटे लेटे ही मैंने उसका हाथ पकड़कर अपने लण्ड पर रख दिया, वो हाथ हटाने लगी पर मैंने उसका हाथ जोर से पकड़ कर रखा था। फिर वो धीरे से मेरे लण्ड को सहलाने लगी।

आज मुझे अपनी बरसों की तपस्या का फल मिलने वाला था। मैंने उसके उरोजों को अब खुलकर दबाना चालू कर दिया। वो मेरी छाती में अपना मुंह छिपाने लगी। मैंने अपना हाथ उसके पेट और कमर पर से सरकाते हुए उसके मादक कूल्हों पर रख कर उन्हें दबाने लगा। मुझे जैसे स्वर्ग का आनंद मिलने लगा। अब रूपा भी खुलने लगी।

आज गुरूवार था यानि उसकी पिछली चुदाई हुए लगभग ५ दिन बीत चुके थे।

अब मैं उसके पैरों के पास बैठा था। मैंने धीरे से उसका ग़ाऊन टांगों पर से उठाना शुरू किया। जैसे जैसे उसका ग़ाऊन ऊपर हो रहा था, उसकी सुडौल मरमरी टाँगें बाहर आने लगी। मेरा सुलेमान अब एकदम टाईट हो गया था। उसकी पिंडलियाँ देख मैं अपने आप को रोक नहीं सका और उन्हें चूमने लगा। मैं ग़ाऊन को इंच-इंच ऊपर कर रहा था और उसकी सेक्सी चिकनी टांगों को चूमता जा रहा था।

रूपा भी मस्त होने लगी। उसने एकदम से मेरा पायजामा खींच दिया। अब मैं उसके सामने सिर्फ शर्ट में था। उसने मेरे फौलादी को हाथ में लेकर मसलना-सहलाना चालू कर दिया। मैंने उसके ग़ाऊन को जांघों पर से सरकाते हुए उसके हुस्न के दर्शन के लिए नाभि तक ऊपर उठा दिया। अन्दर वो भड़कीले लाल रंग की पैंटी पहने हुए थी। उसकी कली के आस पास की जगह गीली होने से कत्थई नजर आ रही थी। मैंने उसकी नाभि को चूम लिया और ग़ाऊन ऊपर उठाते हुए पूरा निकाल दिया।

अब मेरे सामने मेरी बरसों की तमन्ना सिर्फ ब्रा और पैंटी में मदहोश पड़ी थी। मैंने उसको उठा के गले से लगा लिया और बेतहाशा चूमने लगा। वो भी मुझे सब जगह चूमने लगी। उसने खींच कर मेरा शर्ट भी उतार दिया।

मैंने पीछे हाथ डालकर उसकी ब्रा का हुक खोल दिया, उसके तने हुए उरोज बंधन से एक झटके में आजाद हो गए, मैंने जल्दी से ब्रा अलग कर उसके चुचुकों को चूसना चालू कर दिया। वो मेरी छाती और लण्ड को सहलाने लगी। उसके मुंह से अब सऽऽसऽऽसऽऽऽ सिस्कारियां छूटना चालू हो गई।

अब मैं ६९ की पोजीशन बनाते हुए उसकी पैंटी से उसकी जवानी को आजाद करने लगा। मेरा लण्ड अब उसके होटों को छूने लगा। मेरे लण्ड पर एक बूंद प्री-कम की उभर आई, जो मोती की तरह चमक रही थी। उसने अपनी जीभ निकालकर उस मोती को अपने मुंह में ले लिया। उसका स्वाद शायद उसे बहुत पसंद आया क्योंकि अब वो मेरे ६.५ इंच का लण्ड अपने मुंह में लेने लगी। इस काम के लिए वो बार बार अपना सर ऊपर उठा कर मेरा लण्ड अपने हलक तक लेने लगी।

मैंने उसकी पैंटी उतार दी, अन्दर से पाव रोटी की तरह बाल-रहित एकदम गुलाबी सी उसकी चूत नजर आने लगी। उसकी चूत देखते ही मैं पागल हो गया। मैंने ६९ पोजीशन में ही अपने को नीचे और उसको अपने ऊपर कर लिया। यह पोजीशन हम दोनों के मुख -मैथुन करने में सहायक हो रही थी।

मैंने उसकी चूत की पलकों को अपनी अँगुलियों से अलग किया और अपनी जीभ उसमें घुसा दी। जीभ का खुरदरापन उसके योनि-कलिका पर महसूस करते ही वो जोश में आ गई, वो भी मेरे लण्ड को पूरा निगलने की कोशिश करने लगी।

लण्ड-चूत हमारे मुंह में होने के कारण मुंह से कोई आवाज नहीं निकल रही थी। थोड़ी देर में हम दोनों एक साथ झड़ गए। उसने मेरा और मैंने उसका पानी पी लिया। क्या पानी था, क्या स्वाद था। उसकी चूत की सुगंध मुझे मदहोश बना रही थी। ऐसा लग रहा था मानो ३ पैग विस्की पी ली हो !

अब मैं घूम कर उसके मुंह के करीब आ गया और उसे बाँहों में भर लिया। उसका चेहरा चमकने लगा था। अब उसकी आँखों में देख कर मेरे साण्ड ने फिर हरकत करनी शुरू कर दी। मैं उसके स्तनों और गाण्ड को सहलाने लगा। मेरा तना हुआ लण्ड उसकी नंगी जांघों से टकराने लगा।

उसके अन्दर भी फिर से तूफ़ान तैयार होने लगा। अब मुझ से सहन नहीं हो रहा था। मैंने उसके कमर के नीचे अपना हाथ डाला और अपने लण्ड को उसकी चूत के दरवाजे पर लगा कर एक जोरदार झटका मारा।

लण्ड अन्दर जाते ही वो जोर से चिल्लाई- मर गई ! इ इ इ ई ईई ईई ! थोड़ा धीरे डालो।

लेकिन अब सुनाने का समय नहीं था, मैं पूरी गति से झटके लगाने लगा, वो नीचे से चूतड उठाने लगी। १० मिनट के घमासान के बाद मैंने उसे जोर से अपने बदन से चिपका लिया, वो अब तक तीन बार झड़ गई थी, मेरे चिपकाते ही वो ४ थी बार साथ में झड़ने लगी। हम दोनों बाँहों में बाहें डालकर अपनी साँसे दुरुस्त करने लगे।

उसकी आँखों में गज़ब की संतुष्टि नज़र आ रही थी।

उसने मुझे अब खुलकर बताना चालू किया कि वो भी मुझे बहुत पहले से चाहती है पर कभी बोल नहीं पाई। उसका पति उसे कभी कभी ही संतुष्ट कर पाता है।

हमें याद आया कि जल्दबाजी में हमने तो कंडोम लगाया ही नहीं। मैंने उसे तुंरत पेशाब करके आने को कहा। आते वक़्त वो दूध ले आई। उस रात मैंने उसे ४ बार चोदा। एक बार घोड़ी बनाकर, एक बार सोफे पर। एक बार कंधे पर लेकर और एक बार बाथरूम में

Saturday, May 23, 2009

मुझे चोदियेगा

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नंगे चूतड़

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चुदाई के दौरान हल्की सी चीख

मैं लुधियाना से ३३ साल की संजना, फ़ीगर, ३६-३२-४० एक बार फ़िर एक नई कथा आपके लिए ले कर अन्तर्वासना पर आई हूँ।

छेदी राम पंजाब में ईंटों के भट्टे पर काम करता था। दुबला पतला सा, बिहार के छपरा से आकर वो समाना शहर के पास एक भट्टे पर काम पे लग गया। जब वो कमाने लगा तो घर वालों ने बिहार में ही उसका रिश्ता तय कर दिया। जब छेदी राम गाँव गया तो उसकी शादी गुलाबी से कर दी गई।

शादी करके छेदी बहुत खुश था क्योंकि गुलाबी के रूप में उसे एक भरे बदन की गोरी चिट्टी बीवी मिल गई पर शादी से गुलाबी को कोई ख़ुशी ना मिली। ३ इंच की लुल्ली वाला छेदी उसकी प्यास नहीं बुझा पाता था, ना छेदी की लुल्ली में मोटाई थी, ना लम्बाई और ना कड़कपन। पर गुलाबी ने इसे ही अपना भाग्य मन लिया और चुप करके दिन काटने लगी।

शादी के कुछ दिन बाद छेदी काम के लिए वापिस पंजाब आ गया और अपने साथ अपनी पत्नी गुलाबी को भी ले आया। छेदी ने सोचा कि अगर दो हाथ कमाने वाले होंगे तो गुज़ारा अच्छा हो जायेगा इसलिए उसने भट्टे के ठेकेदार से बात करके गुलाबी को भी काम पे रखवा दिया।

एक दिन जब ठेकेदार भट्टे का मुआयना कर रहा था तो उसने गुलाबी को ईंटें उठा कर ले जाते देखा और अपने मुंशी से पूछा,"अरे बनवारी, ये औरत कौन है?"

बनवारी ठेकेदार की रग रग से वाकिफ था, बोला," सरकार ! अपने छेदी की जोरू है, कहो तो बुलाऊं?"

"अरे नहीं, अभी नहीं, पर साली है जोरदार ! देखो कोई जुगाड़ बिठाओ, देखें तो साली मीठी है या नमकीन !"

इस पर दोनों हंस दिए और आगे बढ़ गए।

कुछ दिनों बाद छेदी के गाँव से कुछ पैसों की ज़रुरत आ गई तो छेदी ने अपनी बीवी से बात की। पर दोनों के पैसे जोड़ कर भी घर भेजने के लिए पैसे पूरे ना पड़े। छेदी ने अगले दिन पे बात टाल दी। अगले दिन जब सुबह छेदी सो कर उठा तो उसका बदन तो बुखार से तपा पड़ा था सो वो काम पे ना जा सका और गुलाबी को अकेले ही काम पे जाना पड़ा।

काम पे गुलाबी ने अपनी एक सहेली चंदा से बात की तो उसने कहा," तो क्या हुआ, ठेकेदार से उधर मांग ले और अपनी पगार से कटवाते रहना।"

यह सोच कर कि चलो आसानी से काम बन गया, भोली-भाली गुलाबी ठेकेदार के पास गई।

जब ठेकेदार ने गुलाबी को आते देखा तो मुंशी से बोला," बनवारी, ये इधर किधर आ रही है?"

तो बनवारी बोला," सरकार ! लगता है आपकी तो निकल पड़ी, आएगी तो …..” इस पे दोनों जोर से हंस दिए। जब गुलाबी ठेकेदार के सामने आ कर खड़ी हुई तो बातों बातों में ठेकेदार ने उसके जिस्म का पूरा जायज़ा ले लिया, गोरा रंग, भरा बदन, दो गोल गोल बड़ी सी छातियाँ, सपाट पेट, मोटा कुल्हा, भारी भारी चूतड़, सच में गुलाबी एक सेक्स बम्ब लगी और गुलाबी का जिस्म देखते देखते ही ठेकेदार का लण्ड खड़ा हो गया।

ठेकेदार अपनी धोती में से ही अपने लण्ड को हिला रहा था जिसे गुलाबी भी देख रही थी। ठेकेदार ने बिना ज्यादा बात किये गुलाबी को पैसे दे दिए। जब गुलाबी पैसे ले कर जाने लगी तो ठेकेदार ने उसे आँख मार दी, जिस पर गुलाबी सिर्फ मुस्कुरा कर चली गई। उसके मुड़ते ही ठेकेदार बोला," बनवारी लाल ये तो ….."

"टाँगें उठा उठा कर देगी सरकार !" मुंशी ने बात पूरी की।

उन्होंने जानबूझ कर इतनी ऊंची आवाज़ में कहा कि गुलाबी सुन ले, और गुलाबी भी सुन कर चुपचाप चली गई। ना जाने क्यों उसे ठेकेदार का आँख मारना अच्छा लगा।

२-३ दिन बाद जब सारा भट्टा भर गया तो उसे बस फूस डाल कर आग लगानी बाकी थी। तो पहले से बनाये कार्यक्रम के अनुसार मुंशी ने गुलाबी को कहा," ए गुलाबी ! जा अन्दर जाकर देख, अगर सारा फूस लग गया हो तो मैं ठेकेदार से पूछ कर आग लगवाऊं !"

जब गुलाबी भट्टे के अन्दर चली गई तो मुंशी गेट के बाहर अपना मेज़ लगा कर बैठ गया ताकि कोई अन्दर ना जा सके।

गुलाबी जब बिल्कुल अन्दर पहुंची तो देखा कि वहां ठेकेदार पहले से ही खड़ा था," अरे गुलाबी, तू कैसे आई?" ठेकेदार बोला।

"जी मैं तो ये देखने आई थी कि .."

"कि मैं अन्दर क्या कर रहा हूँ, जानेमन मैं तो तुम्हारा ही इंतज़ार कर रहा था आ जाओ !" कह कर ठेकेदार ने आगे बढ़ कर गुलाबी अपनी बाँहों में ले लिया।

गुलाबी एक दम डर गई," नहीं ठेकेदार साब, मुझे छोड़ दो !"

तो ठेकेदार बोला," देख गुलाबी, सच कहता हूँ जब से तुम्हें देखा है, मेरे मन पे काबू नहीं रहा, अब तुम्हारे बिना रहा नहीं जाता, अब ना मत कहना, मैं तेरे लिए तड़प रहा हूँ !" कहते हुए ठेकेदार ने गुलाबी को चूमना चाटना शुरू कर दिया। चूमने चाटने से गुलाबी को भी मज़ा आया और ठेकेदार का लण्ड खडा हो गया। वो भी अपना लण्ड गुलाबी की चूत से टकराने लगा। अब तो गुलाबी के भी बस से बात बाहर होने लगी और उसने ठेकेदार को कस कर बाँहों में भर लिया।

ठेकेदार ने बिना वक्त गंवाए अपने और गुलाबी के कपड़े उतारने शुरू कर दिए और १ मिनट बाद ही दोनों बिल्कुल नंगे थे। गुलाबी आज पहली बार इतना लम्बा, मोटा और तना हुआ लण्ड देख रही थी। ठेकेदार ने उसे अपना लण्ड पकड़ाया और गुलाबी की छातियाँ चूसने लगा और चूसते चूसते उसके पेट और जांघों को भी चूमता रहा। गुलाबी की चूत से पानी चू कर उसकी टांगों से बहने लगा।

ठेकेदार ने गुलाबी को बाँहों में उठाया और फूस के ढेर पे लिटा दिया और उसके ऊपर लेट गया। उसके लेटने के बाद गुलाबी ने खुद अपनी टाँगें चौड़ी की और ठेकेदार की टांगों से अपनी टाँगें लिपटा दी।

ठेकेदार ने गुलाबी के गाल चूसते हुए कहा- गुलाबी इसे पकड़ कर अपनी चूत पे रख !

जब गुलाबी ने ठेकेदार का लण्ड हाथ में पकड़ा तो वो उसके लण्ड का कड़कपन देख कर हैरान रह गई पर बोली कुछ नहीं। उसने चुपचाप लण्ड को अपनी चूत पे रखा तो ठेकेदार ने एक झटके में अपना आधा लण्ड गुलाबी की चूत में डाल दिया जिससे गुलाबी के मुंह से एक हल्की सी चीख निकल गई और इस हल्की सी चीख ने ठेकेदार का मज़ा १० गुणा कर दिया। वो जोर लगा कर लण्ड अन्दर ठेलता रहा और गुलाबी दर्द से “हाय-हाय” करती रही पर उसने एक बार भी ठेकेदार को रुकने के लिए नहीं कहा क्योंकि इस दर्द के लिए वो कब से इंतज़ार कर रही थी।

खैर हौले हौले ठेकेदार का सारा लण्ड गुलाबी की चूत में घुस गया और ठेकेदार ने बड़े प्यार से चूस चूस कर गुलाबी की चुदाई शुरू की। चुदाई के दौरान ठेकेदार ने गुलाबी को जी भर के मसला। गुलाबी की बड़ी बड़ी छातियाँ मसल मसल के उसने लाल कर दी, गाल चूस चूस कर गुलाबी कर दिए, घस्से मार मार के चूत को भी सुर्ख कर दिया पर गुलाबी को इस सब में दर्द कम और मज़ा ज्यादा आया।

यह वो आनंद था जो छेदी उसे कभी नहीं दे पाया था। ठेकेदार की एक चुदाई में गुलाबी दो बार पानी छोड़ गई। ठेकेदार ने भी अपने माल से गुलाबी की चूत को ऊपर तक भर दिया और थक कर गुलाबी के ऊपर ही लेट गया। १०-१५ मिनट आराम करने के बाद ठेकेदार ने गुलाबी को दोबारा जम कर चोदा और इस बार गुलाबी ने भी सारी लाज-शर्म त्याग कर ठेकेदार का भरपूर साथ दिया और अपनी कमर उठा उठा कर ठेकेदार से चुदी। जब चुदाई के बाद गुलाबी भट्टे से बाहर निकली तो वहां मुंशी ने उसे पकड़ लिया और उसके मम्मे दबाये तो ऊपर से ठेकेदार आ गया और बोला- मुंशी, नहीं इसको मैं निज़ी माल बना कर रखूंगा, इसको हाथ मत लगा, गुलाबी तू जा और सुन, मिलती रहा कर !

और गुलाबी अपने घर को चल दी। आज गुलाबी बहुत खुश थी क्योंकि उसकी बरसों की प्यास आज शांत हो गई थी। उसे लग रहा था कि आज उसकी सुहागरात या सुहागदिन था। आज वो एक लड़की से पूरी औरत बन गई थी।

यह एक काल्पनिक कथा है और सच्चाई से इसका कोई लेना देना नहीं है। आप सिर्फ इसे पढ़ो और मज़े लो

Saturday, May 9, 2009

क्या गाँड है भाभी की

मेरी भाभी बहुत ही ख़ूबसूरत व सेक्सी है। उसका नाम कोमल है। वह एक पंजाबी है और उसकी उम्र २४ साल है। उसकी फ़िगर तो मस्त है ही साथ में गाँड भी लाजबाव है। उसके मम्मे बिल्कुल बड़े-बड़े और भरे-भरे हैं और वे पहाड़ की तरह कसे और खड़े रहते हैं। एक तरह से अब वह मेरी पत्नी है। यह घटना सात महीने पहले घटी थी।

मेरे भैया काम पर हमेशा लम्बे समय के लिए जाते थे, क्योंकि वह एक बड़ी कम्पनी के सेल्स मैनेजर थे, जिसकी वजह से उन्हें काफी यात्रा करनी पड़ती थी। मैं भाभी के साथ बहुत सारा समय अकेले बिताता था। पहले तो मैंने उसे कभी भी सेक्स के नज़रिये से नहीं देखा।

एक बार मेरे दोस्त रोहित, हमारे एक अन्य दोस्त मनीष से कह रहा था, "कोमल ज़बरदस्त माल है यार। क्या गाँड है उसकी। उसका पति साला छक्का है।" मनीष ने कहा, "उसे तो देखते ही मेरा लंड खड़ा हो जाता है। समझ में नहीं आता सुनील ख़ुद को कैसे रोक पाता है। ऐसी गाँड के लिए तो मैं उसकी पाद भी सूँघने को तैयार हूँ।"

उनकी ये अश्लील बातें सुनकर मैं थोड़ा बौखला भी गया, और थोड़ा उत्तेजित भी हो गया। हाँलाकि मैं इस बात से सहमत था कि कोमल काफी सेक्सी औरत है। उस दिन के बाद से मैं उसे चोदने के नज़रिये से देखना लगा।

जब भी वह झाड़ू लगा रही होती तो मैं साड़ी के अन्दर उसकी मस्त गाँड देखता रहता और उसके साथ चुम्बन करते हुए नहाने की कल्पना कर रहा होता। जब वह नीचे झुकती तो, मुझे उसकी चूचियों और उसके बीच की घाटी को भी देखने का मौक़ा मिलता था। वे शानदार थे, और जब वह झाड़ू लगाती, या फर्श पर से कुछ चीजें जमा कर रही होती तो वे हिलते और उछलते थे। ऐसा करते हुए जब वह मुझे देखती तो मैं झेंप जाता...

धीरे-धीरे हम एक दूसरे से खुलने लगे। वह मेरी गर्लफ्रेण्ड वगैरह के बारे में पूछती। फिर मैं उसे सेक्सी चुटकुलों वाले एस. एम. एस. सुनाता तो वह दिल खोल कर हँसती। मैंने भी उससे कहा कि मुझे कुछ अश्लील चुटकुले सुनाओ, तो उसने भी थोड़े चुटकुले सुनाए।

मैं अपनी भाभी के प्रति आकर्षित होता जा रहा था, उसके प्रति मेरी दीवानगी बढ़ती जा रही थी और मैं उसके नाम से रात को मुट्ठ भी मारता था। पर वह अलग कमरे में सोती थी।

एक दिन ऐसा हुआ कि मैं एक दोपहर उसके साथ लिविंग-रूम में बैठकर टीवी देख रहा था। भैया शहर से बाहर गए हुए थे। अचानक एक सेक्सी और ज़ोरदार पादने की आवाज़ ने शांति भंग कर दी। इसमें एक धमाके जैसी आवाज थी और गैस खत्म होने के साथ ही आवाज़ भी धीरे-धीरे बन्द होती गई।

जैसे ही मैंने उसकी ओर देखा, वह शरमा गई। उसके बाद एक अजीब सी बू आई। पर मैं उत्तेजित हो रहा था क्योंकि किसी ख़ूबसूरत औरत के हवा छोड़ने का अनुभव असामान्य बात थी।

मैंने मज़ाक में कहा "आपकी तो पाद भी सेक्सी है"

उसने मुँह बनाकर कहा, "तो फिर सूँघो।"

वह मुझसे नज़रें नहीं मिला पा रही थी, फिर मैंने बात को सँभालने के लिए उससे कहा, "कोई बात नहीं। क्यों तुम भैया के सामने कभी नहीं पादती?"

उसने कहा, "वह घर पर रहते ही कब हैं!"

मैंने मुँह बनाते हुए कहा, "भाभी, जब भी आपको भैया की ज़रूरत होती है, वह घर पर ही नहीं होते हैं, क्या आपको बुरा नहीं लगता?"

वह मुस्कुराई और कहा, "तुम हो ना यहाँ पर, फिर मुझे क्या समस्या है?"

मैंने उत्तर दिया, "या तो अशोक भैया चूतिया है, या फिर उसके पास लण्ड ही नहीं हैं"

वह ज़ोरों से हँस पड़ी फिर गम्भीर चेहरा बना लिया, "उसके पास वो चीज़ तो ज़रूर है, पर उनके पास इसे इस्तेमाल करने का समय नहीं है।"

मुझे उसके मज़ाक का तरीका पसन्द आया, मैंने उससे कहा, "तुम्हारे जैसी सुन्दर बीवी अगर किसी की हो तो वह तो घर छोड़कर ही न निकले। उसकी जगह अगर मैं होता तो फिर तो मैं तुम्हें छोड़कर कहीं नहीं जाता। मेरा मतलब काम तो महत्वपूर्ण है, पर फिर भी मैं तु्म्हारे साथ समय बिताता।"

उसने प्यार भरी नज़रों से मेरी ओर देखा और कहा, "काश! तुम्हारे भैया भी तुम्हारी तरह होते।"

मैं उसके पास गया, उसके बालों और चेहरे को सहलाया और पूछा, "सप्ताह में कितनी बार भैया तुम्हारे साथ सेक्स करते हैं?"

उसने उत्तर दिया, "पता नहीं। कभी एक बार तो कभी वह भी नहीं।"

मैंने अपना हाथ उसकी गर्दन से लेकर कंधे तक फिराया। मैंने कहा, "मैं तो तुम्हे बेइन्तहा प्यार करता।"

फिर मैंने उसकी जाँघ को प्यार से सहलाया। उसकी जाँघें काफी बड़ी और मुलायम थी, मेरा लंड खड़ा होने लगा था। मुझे पता था कि मैं इसे चोदना चाहता हूँ, और वह भी सेक्सी मूड में थी। उसने मुझे नहीं रोका। मुझे पता था कि उसकी शादीशुदा चूत में किसी बड़े लंड के लिए खुजली थी।

मैंने साड़ी के ऊपर से ही उसकी दाहिनी चूची को प्यार से दबाया, जैसे ही मैंने दबाया, उसकी आँखें चौड़ी हो गईं। उसके साड़ी की पल्लू गिर गई और मैंने देखा कि उसकी बड़ी-बड़ी चूचियाँ उसकी कसी हुई ब्लाऊज़ से बाहर आने के लिए बेताब़ हो रहीं हैं। मेरी आँखों की तृप्ति मिल रही थी, और मैं उसकी चूचियों को भूखी नज़रों से देख रहा था।

मैंने अपनी पैन्ट की ज़िप खोल दी, और उसने मेरे अन्डरवियर के अन्दर ही मेरा फन खड़ा किया हुआ नाग देखा जिसका सिर मेरी नीली अन्डरिवयर से बाहर आ रहा था। उसने देखते हुए कहा, "तेरा तो बहुत बड़ा लग रहा है।"

उसके कहते ही मैंने अपनी शर्ट, पैंट, और अन्डरवियार उतार दी और मैंने उसे अपना हथियार दिखाया। वह उसे ऐसे देख रही थी जैसे कुछ मुआयना कर रही हो। उसने मेरे लंड पर मुट्ठ मारी और प्यार से बोली, "यह वाकई में बहुत बड़ा है - तेरा केला तो बहुत मोटा है रे।"

मैंने पूछा, "तेरी चूचियाँ भी बहुत स्वादिष्ट लग रहीं हैं, कोमल"

मैं उसके पास गया और उसके होठों पर चुम्बन लेना शुरू कर दिया। मैं उसकी चूचियाँ ब्लाऊज़ के ऊपर से ही दबा रहा था, और हम साथ ही चुम्बन में भी लिप्त थे।

तभी वह थोड़ा किनारे हटी, और अपनी ब्लाऊज उतार दी, और मैंने उसकी सफेद ब्रा देखी। उसकी चूचियों के बीच की घाटी मानों ज़न्नत थी, और ब्रा को फाड़े दे रही थी। मैंने उसकी ब्रा की हुक भी खोल दी, और उसकी चूचियाँ उछल कर बाहर आ गई, जैसे उन्हें मेरा ही इन्तज़ार हो। उसकी चूचियाँ वाकई में बहुत सुन्दर थी, जैसे दो शानदार आम हों।

मैंने उन नरम चूचियों को दबाना शुरू किया, और साथ ही मैं अपनी जीभ उसकी गर्दन पर फिरा रहा था। उसने अपनी आँखें बन्द कर लीं और हल्की आहें भरने लगी। फिर मैंने उसे बिस्तर पर लिटा दिया और उसकी दाईं चूची को दबाने लगा, और बाईं चूची को चूसने लगा। फिर मैंने बारी-बारी से बाईं और दाईं चूचियाँ बदल-बदल कर दबाईं और चूसीं।

कोमल आहें भर रही थी, "हम्म्म्म्म.... ऊम्म्म्म्म।" फिर मैंने उसकी बाईं चूची दबाई और दाहिनी को हल्के से टटोलते हुए दबाया। वह अपना हाथ मेरे लंड पर रखकर उसकी कठोरता का आभास कर रही थी। जैसे ही उसने यह हरक़त की, मैंने उसकी दाईं चूची को पूरे ज़ोरों से चूसना शुरू कर दिया, मानों उसमें से दूध निकाल कर ही छोड़ूँगा। मेरे उत्तेजित होकर चूसने से वह चिल्ला पड़ी।

मैं उसकी चूचियाँ करीब 15 मिनटों तक दबाता और चूसता रहा। जब मैंने चूचियों को छोड़ा तो वह मेरे थूक से चमक रहीं थीं। उनकी घुँडियाँ मेरे मुख-प्रहार से सूज गईं थीं।

वह मुस्कुरा कर बोली, "ये मेरी चूचियाँ हैं, आटा नहीं... जो गूँथते जा रहे हो।

मेरा चेहरा लटक गया। वह उठी, और मेरा चेहरा अपने हाथों में लिया और कहा, "अरे क्या हुआ.." मैंने कहा, "हो सकता है, मुझे नहीं पता कि तुम्हें कैसे खुश करूँ।" उसने उत्तर दिया, "अभी तक किसी ने मेरी चूचियों को इस तरह चूसा और दबाया नहीं... ले और मज़ा ले इनके साथ" उसने फिर से अपनी चूचियाँ मुझे पेश कीं।

मैंने उन्हें फिर से सहलाना शुरू कर दिया और बारी-बारी से चूसने लगा।

वह उत्तेजना में सिसकारियाँ लेते हुए बोली, "उईईईईईई, माँ... और दबा ना।"
मैं अभी तक अपना लंड उसके क़रीब नहीं ले गया था, ताकि उसे मैं सारा मज़ा दे सकूँ। फिर मैंने उसके हाथों को ऊपर उठा दिया, और उसकी काँख की गंध लेने लगा। मैंने उसकी चूचियों को दबाते हुए उसकी काँखों को चाटना शुरू कर दिया। उस वक्त उसकी चूचियाँ ऊपर उठी हुईं थीं। मैं औरतों के शरीर के हर भाग से उनको मज़ा देना जानता हूँ।

फिर मैं उसके ऊपर आ गया और उसके चेहरे और गर्दन को चाटने लगा। वह मेरे होंठ चबाने के प्रयास में दिखी। जैसे ही मैंने उसकी चूचियों को बड़े ही मादक अंदाज में सहलाया, उसने मेरे होठों को एक लम्बे चुम्बन में कैद कर लिया। हम एक दूसरे को होंठों को चबाते हुए अपने लार का आदान-प्रदान भी कर रहे थे...

उसके बाद मैं थोड़ा नीचे जाते हुए, उसके पेट पर चूमने लगा, फिर उसकी नाभि में अपनी जीभ डाल दी। उसकी नाभि भी बहुत सुन्दर थी, उसकी गोलाई अच्छी थी, और सेक्सी लग रही थी। मैंने उसकी नाभि को जी भरकर चाटा।

फिर मैंने उसकी पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया। कोमल ने अपनी गाँड थोड़ी ऊपर उठाई और पेटकोट सरका दिया। उसकी जाँघें किसी को भी मदहोश बनाने के लिए काफी थीं, गोरी-गोरी और चमकदार.. कोमल ने अपने बालों से क्लिप निकाल दी थी, और वह और भी काफी सेक्सी लग रही थी खुले बालों में।

मैंने उसकी ब्लैक पैंटी भी नीचे खींच दी और उसकी चूत के दर्शन किए।

कोमल ने मुझे उसकी चूत को ध्यान से देखते हुए पाया तो पूछा, "बहुत बाल हैं ना।"

मैंने हल्के से उसकी चूत को सहलाया और अपनी ऊँगलियाँ उसकी झाँटों में फिराईं, और उत्तर दिया, "भाभी, चूत में तो बाल रहना ही चाहिए... वरना वो औरत की चूत थोड़ी ही लगती है।"

उसने मेरा कान पकड़ कर खींचा, "मुझे नंगा करके भाभी बुलाता है।" मैंने कहा, "अभी आप भाभी हो... चोदने के बाद तुम मेरी कोमल बन जाओगी।"

वह कामोत्तेजक तरीके से मुस्कुराई, "ठीक है देवरजी।"

मैंने अपनी ऊंगली उसकी उलझी हुई झाँटों में फिरानी शुरू की। मैं ज्यों ही ऐसा कर रहा था, वह अपनी चूतड़ सेक्सी तरीके से ऊपर ऊठाकर मुझे और भी बढ़ावा दे रही थी। मैंने उसकी जाँघें फैलाईं और उसकी शानदार चूत में अपना मुँह लगा दिया। मैंने उसकी झाँटों को परे हटाया ताकि उसकी चूत देख सकूँ।

ओह! बड़ी कोमल चूत थी कोमल की। मुझे लगा कि मैं उसे पलटकर ज़रा उसकी गाँड भी देखूँ, पर मैंने सोचा पहले चूत तो मार लूँ, बाद में गाँड भी मार लूँगा।

कोमल शरमा रही थी, क्योंकि कोई उसके गुप्तांगों का मुआयना जो कर रहा था वो भी उसका देवर, सो उसने अपना चेहरा एक ओर घुमा लिया। मैंने उसकी चूत को सूँघा। उसके काफी मादक खुशबू आ रही थी। उसकी चूत और वहाँ से निकले द्रव और पसीने को मिलाकर एक ऐसी खुशबू आ रही थी कि मेरा लंड और भी कड़क होता जा रहा था, और मैं उसे सूँघने ही लग गया, उसकी चूत की सौगंध।

मैंने उसकी चूत को चाटना शुरू किया। उसकी चूत टाईट तरीके से बन्द थी। सामान्यतः एक नियमित रूप से चुदने वाली चूत के फ़लक खुले रहते हैं और ये थोड़ा बाहर की ओर निकले होते हैं। पर कोमल के साथ ऐसा नहीं था, शादीशुदा होने के बावजूद उसकी चूत एक अनछुई लड़की की तरह थी... उसकी चूत की पंखुड़ियाँ गीले होने के बाद भी पतली दिख रही थीं।

मैंने अपनी एक उँगली उसकी चूत में घुसा दीं... उसने सिसकारी ली... उसकी चूत टाईट थी। मुझे पता था कि अपना लंड अन्दर डालने के लिए पहले मुझे इसकी चूत खानी होगी, और उसके छेद को बड़ा करना होगा। मेरे चूतिये भाई ने उसकी चूत कभी चूसी ही नहीं थी, ऐसा लग रहा था। मैंने उसकी चूत के होंठ फैलाए और उसकी गुलाबी झलक ली।

फिर मैंने अपनी जीभ अन्दर घुसेड़ दी और अच्छी तरह चलाते हुए चाटने लगा, मैं उससे निकले द्रव को भी चाटता जा रहा था। वह मादक आहें भर रही थी... हमम्म्म्म्मम... मैंने उसकी चूत के होठों को थपथपाना शुरू किया, और फिर चूसना शुरू कर दिया। मैंने उसकी चूत को चूमा। मैंने उसकी चूत को फैलाया और छेद में जीभ घुसेड़ कर चूसने लगा।

मैंने इधर अपनी जीभ उसकी चूत में घुसाई, और साथ ही उधर अपनी एक उँगली उसकी गाँड़ में घुसेड़ दी... मैंने देखा उसकी चूत की झिल्ली सूज गईं थीं।

मैंने उसकी चूत की झिल्ली को हटाकर अन्दर तक, और उसकी भग्नासा को भी चूसना शुरू किया। इसी के साथ मैंने ज़बर्दस्ती अपनी दो उँगलियाँ उसकी गाँड़ में डाल दीं। मैं उसे अपनी उँगली से चोदता रहा और चूत को बीच-बीच में थपथपता रहा। कोमल ने मेरा सिर उसकी चूत में दबा दिया, और मैं उसकी चूत में डूब गया।

मैं उसकी चूत को तबतक चूसता-चाटता रहा, जबतक कि वह अपनी गाँड उचकाते हुए मेरे चेहरे पर झड़ न गई। झड़ते हुए वह आवाजें कर रही थी, "ओहह्ह्ह्ह्ह! हम्म्म्म्म!आआआआआआ" मैंने तुरन्त अपना चेहरा वहाँ से हटा लिया और उसकी ओर देखा। मैंने उसकी चूत को चाट-चाटकर सुजा दिया था। उसने मेरे चेहरे की और देखा और अपने रस को मेरे चेहरे से चाटने लगी।

वह पूर्णतः सन्तुष्ट लग रही थी। मैंने उसके चेहरे को सहलाया तो उसने कहा, "आज तक उन्होंने कभी ऐसा नहीं किया।" मैं नंगा ही चलता हुआ किचन में गया और अपनी प्यारी सी भाभी के लिए पानी लेकर आया।

मुझे पता था कि पानी लाते वक्त वह मेरे लंड पर नज़रे गड़ा कर देख रही थी... कोमल ने कहा, "ऐसा लग रहा है... लंड नहीं, कोई काला नाग है।"
उसने कहा, "रूक जा... आज मैं तुझे बताती हूँ... तेरी भाभी कैसी औरत है।" उसने मेरा कड़ा लंड पकड़ा और ऊपर-नीचे करने लगी। वह मेरे लंड की पूजा कर रही थी। "बहुत मोटा है तेरा काला केला। तू चलता कैसे है इसे लेकर?"

"आपके नाम पर हिला-हिलाकर सूज गया है।"

उसने प्यार से इसे सहलाया और कहा, "बेचारा ! ये अब मेरा हो गया... अब इसको जब भी भूख लगेगी, प्यास लगेगी मेरे पास लाना। वह मेरे लंड से बातें कर रही थी, "आज से इसे परेशान मत करना। मैं हूँ ना।"

कोमल ने फिर से मेरे लंड को सहलाया और बड़े प्यार से चूसने लगी। जैसे ही उसने चूसना शुरू किया, मुझे तो लगा कि मैं ज़न्नत में आ गया हूँ। फिर उसने धीरे से मेरे लंड के आगे की चमड़ी हटाकर गुलाबी टोप देखी। फिर उसने प्यार से टोप को हल्के-हल्के थपथपाने लगी। मेरी आहें निकलने लगीं।

"ओह यस...." उसके नर्म-नर्म हाथों का गर्म-गर्म थपथपाने का अहसास मेरे लंड के सुपाड़े पर बड़ा आनन्ददायक प्रतीत हो रहा था। मेरे लंड से हल्का सा वीर्य निकला, जिसे उसने चाट लिया। फिर उसने मेरे लंड को चाटना शुरू कर दिया, और साथ में वह मेरे अंडकोषों को भी सहला रही थी।

इधर मैं उसकी अद्भुत चूचियों को सहला-दबा रहा था। उसने पूरे जोश से मेरे लंड को चूसा, मैं झड़ने ही वाला था। उसे भी यह पता चल गया था और उसने मेरा लंड अपने मुँह से निकाल दिया। मेरा लंड उसकी थूक में नहाया हुआ था... मैंने एक मादक आह भरी...

तभी फोन बजा और उसने फोन उठाया। फोन पर उसकी सहेली रूपाली थी। उसने बिस्तर पर से ही फोन उठाया और बात करनी शुरू की। जब वह फोन पर बात कर रही थी तो उसकी गाँड मेरे सामने थी।

मैं उत्तेजना से भर उठा। मैं घुटनों पर बैठ गया और उसके चूतड़ों को चूमने लगा। मैंने हौले से उस पर चपत लगाई, और उसने फोन पर ही मादक आवाज़ निकाली... फिर मैंने उसकी चूतड़ों को फैलाया और अपनी जीभ को उसकी गाँड की छेद में घुसा कर मुआयना करने लगा...

वह स्वयं पर नियंत्रण न रख सकी और उसने अपनी सहेली से कहा कि उसे फोन रखना होगा और उसे फोन रख दिया, इधर मैं उसकी गाँड को अच्छी तरह से चाट रहा था। उसने मेरी ओर देखा और कहा, "गन्दे लड़के हो तुम।" फिर उसने मेरी ओर देखकर मुस्कुराते हुए अपने चूतड़ किसी रण्डी की तरह फैला दिए ताकि मैं उसकी गाँड और ठीक तरीके से चाट सकूँ।

मेरे द्वारा उसकी गाँड चाटने से मेरी भाभी कोमल उत्तेजना की चरमसीमा पर थी। मैं 15 मिनट तक उसकी गाँड चाट रहा था, उसी दौरान वह अपने चूत से खिलवाड़ कर रही थी, और हस्तमैथुन कर रही थी।

फिर मैंने कोमल से कुतिया की तरह होने को कहा। उसने पूछा, "क्यों.."। "मैं तुम्हें पीछे से चोदना चाहता हूँ... मुझे तुम्हारी गाँड पसन्द है।"

पर उसने कहा, "पर कृपा करके मेरी गाँड मत मारना"

मैं राजी हो गया। जैसे ही वह आगे झुकी, मैं उसकी गाँड देखकर दीवाना हो गया। मैंने उसकी चूत में पीछे से अपना लंड घुसाया। जैसे ही मैंने अपना मोटा लंड उसकी चूत में डाला, वह चिल्लाई, "आआआआजजज्ज्जजज्जज्आाहहहहहहह" मैंने उसकी चूचियाँ दबानी शुरू कर दीं और उसके निप्पलों से खेलने लगा ताकि उसे मज़ा आए।

उसने सिसकारी भरते हुए कहा, "और घुसा" मैं गन्दी बातें करने लगा, "ले राँड.. मेरा केला कैसा लग रहा है?"

उसने उत्तर दिया, "हम्म्... हम्म्म्म्म्म्म" मैंने अपने झटके लगाने जारी रखे और कई कोणों से चोदा। उसकी चूत वाक़ई में टाईट थी पर गीली थी। मुझे ऐसा महसूस हो रहा था जैसे उसने अपनी चूत से मेरे लण्ड को जकड़ रखा हो। जल्दी ही मैं चीत्कार करता हुआ उसकी चूत में ही झड़ गया।

हमने दो घंटे आराम किया, और कुछ समय के लिए सो भी गए। कोमल ने मुझे उठाया और मेरे मुरझाए हुए लंड को देखा। उसने मुझे चूमा और कहा, "उठ राजा, चाय पीओगे?" मैंने उसे अपनी बाँहों में भरते हुए कहा, "हाँ मेरी जान।"

वह नंगी ही उठकर किचन में चली गई। वह ब्रेड, मक्खन, और दो कप चाय के साथ आई। हमने साथ बैठकर चाय पी। मैं चाय पीने के दौरान भी उसकी चूत में उँगली कर रहा था, और वह मेरे लंड को हाथ में लेकर मुट्ठ मार रही थी, हम दोनों ही सिसकारियाँ ले रहे थे।

मैंने कहा, "कोमल तेरी गाँड इतनी सेक्सी है, मुझे चोदने दे ना।"

वह मुस्कुराई और कहा, "लेकिन तू मेरी कसम खा कि हमने जो किया, तुम किसी को बताओगे नहीं।"

मैंने उससे वादा कि यह हमारे बीच का राज़ रहेगा। "पर मैं सबको बताऊँगा कि तुमने आज पादा।"

वह शरमा गई और कहा, "शटअप, प्लीज़।"

मैंने कहा, "ठीक है, तो फिर मेरा मुँह तुम्हारे होठों से सिल दो।" हमने एक दूसरे के होठों को चूसना शुरू कर दिया जो पाँच मिनट तक चला। फिर उसने मेरी बेताबी को समझते हुए कुतिया की तरह झुक गई, और अपनी गाँड मुझे प्रस्तुत कर दी।

जब उसकी गाँड मेरी ओर थी, मैंने उसकी गोलाई का अच्छे से मुआयना किया... फिर अपने हाथों से उसकी चूतड़ों को फैला कर उसके छेद की जाँच भी की। उसकी गाँड की छेद एक खुलती-बन्द होती आँख की तरह लग रही थी। मैंने अपनी जीभ अन्दर डाल दी और अपनी कोमल की गाँड का स्वाद चखा।... कोमल मुझे अचरज भरी नज़रों से देख रही थी कि मैं उसकी गाँड के साथ क्या-क्या कर रहा हूँ।

मैंने उससे कहा, "कोमल, मैं तुम्हें आज ऐसा मज़ा दूँगा, जैसे तुम्हें कभी नहीं मिला होगा।" मैंने थोड़ा सा मक्खन लिया और उसकी गाँड की छेद पर लगाया, फिर थोड़ा सा चूतड़ों पर भी लगाया। उसकी गाँड काफी चिकनी और चमकदार हो गई।

मैंने अधिक से अधिक मक्खन उसके गाँड की छेद में घुसाया। अब मैं कोमल का "गाँड मसका" खा रहा था जो एक विशेष व्यंजन था। उसकी चूतड़ों पर पिघला हुआ मक्खन मैंने चाट लिया, फिर मक्खन भरे गाँड की छेद को भी चूसने लगा...

मैंने उसके गाँड के छेद में उँगली की और काफी चाटा, जिससे उसकी छेद थोड़ी बड़ी और गहरी दिखने लगी थी। उसकी छेद छोटी थी, पर मक्खन लगाने से मेरे लंड लेने के लिए तैयार दिख रही थी।

उसे भी इशारा मिल चुका था, तो उसने अपनी गाँड थोड़ी और फैलाई, ताकि वह मेरे लंड के लिए जगह बना सके... मैंने उसके गाँड में अपना लंड पेलते हुए कहा, "इसको कहते हैं, मसका मारना।"वह मेरी तरफ मुड़ी, मुझे चूमा और कहा, "ऐसे नहीं, तेरा लंड तो सूखा है, मुझे थोड़ा मक्खन इस पर भी लगाने दो।"

मैं खड़ा हो गया और उनसे मेरे खड़े लंड को देखा। उसने थोड़ा मक्खन लिया और मेरे लंड पर लगाया। मैं खुशी से काँप उठा जब वह अपने हाथों से उस पर मक्खन लगा रही थी। अब मेरा लंड मक्खन से वाकई में चिकना हो गया था। मैंने उससे पूछा, "हॉट-डॉग खाएगी, मसका मार के?"

उसने मेरे लंड को चूसा और कहा, "आज मैं तेरे हॉट-डॉग को गाँड से खाऊँगी।"

जिस तरीके से उसने ये बात कही वह काफी उत्तेजित करने वाली थी। आप ही कल्पना कीजिए कि कोई स्त्री आपसे बिल्कुल अकेले में ऐसी बात करे तो कैसा हो !

अब मैं उसके पीछे आ गया और अपना लंड उसकी गाँड की ओर दबाया। उसकी छेद में लगाया फिर दबाया। मेरे लंड का सुपाड़ा थोड़ा अन्दर जाते ही वह थोड़ा सा सिसकी। जैसे ही मेरा लौड़ा थोड़ा और अन्दर गया, उसने तकिये को दबोच कर पकड़ लिया। उसकी गाँड बहुत गरम और बहुत टाईट थी... क्या बताऊँ कितना मज़ा आया। वह आहें भर रही थी, "धीरे से आआआहहहहह"

मैंने उसकी चूचियाँ दबाईं और फिर से एक धक्का मारा। कोमल ने अपनी गाँड पीछे करके मेरा लंड और भी अन्दर लेने की कोशिश की। यह मेरे लिए भी थोड़ा दर्द भरा था, पर अब हम मज़े कर रहे थे...

चिकनाई होने के कारण मेरा लंड कभी-कभी उसकी गाँड से फिसल भी जाता था। मैं फिर से प्रयास करता और गाँड में दुबारा धकेल देता। जब मैं फिर से लंड उसकी गाँड में पेलता तो कोमल आहें भरती और हँसती। इस तरह मेरा लौड़ा पूरा का पूरा उसकी गाँड की छेद में समा चुका था।

हम धीरे-धीरे आराम से मज़े ले रहे थे। मैं भी धक्का मारता, तो वो भी मेरे लंड की जड़ तक पहुँचने के लिए पीछे की ओर धक्का मारती। मैंने धक्कों की रफ़्तार में तेज़ी लाई और वह हर धक्के के साथ चुदाई का भरपूर आनन्द ले रही थी। कोमल भाभी साथ में कराहती भी जा रही थी।.. हम्म्म्म्म आआआआहह्ह्हह्हहहहहह ओह्ह्ह्हहह।

उसके चूतड़ भी मेरे लौड़े पर संवेदना भरे कसाव डाल रहे थे, तो ऐसा लगता था जैसे वह मेरे लंड का दूध निचोड़ लेना चाहते हैं। कमरे में हमारी मक्खन भरी गाँड़-चुदाई के कारण फच्च-फच्च की आवाजें गूँज रहीं थीं।

मैंने उसकी गाँड़ करीब २० मिनटों तक मारनी जारी रखी, फिर मुझे महसूस हुआ कि मैं झड़ने के नज़दीक पहुँच चुका हूँ... मैंने उसे धीरे से कहा, "मैं झड़ने वाला हूँ।"

उसने अपना हाथ बढ़ा कर मेरे अंडकोषों को दबाया। मैं चिल्लाया, "ओह कोमलललल्ल्ल्ल" और फिर मेरी वीर्य की बौछार उसकी गाँड में होने लगी जो करीब २० सेकेण्ड तक चली जब तक कि मेरा सारा उबलता हुआ लावा मेरी पसन्दीदा गाँड में जा गिरा।

मैंने सपने में भी नहीं सोचा था कि मेरी कल्पना एक दिन वास्तविकता में बदल जाएगी और मुझे कोमल की गाँड-चुदाई का अवसर प्राप्त होगा। आपको बता दूँ कि उसकी गाँड वास्तव में कैसी दिखती है। यह चर्चित अभिनेत्री रानी मुखर्जी या माधुरी की गाँड की तरह है बिल्कुल, मोटी, गोल-मटोल और सेक्सी।

फिर हम एक-दूसरे की बाँहों में समा गए और अपनी उखड़ी हुई साँसों पर काबू पाने का प्रयास करने लगे। हम पसीने से तर हो चुके थे... उसकी गाँड और मेरा लंड मक्खन व वीर्य से लथपथ थे। कोमल ने मेरे लंड की ओर देखकर कहा "ला मैं इसे साफ कर देती हूँ।" उसने फिर चाट-चाटकर उसे साफ किया, अन्त में रूमाल से पोंछ दिया।

फिर हमारे बीच बातें होने लगीं।

मैं: कल बाज़ार से मक्खन नया लाना पड़ेगा। भैया कहेंगे कि कल वाला मक्खन जो लाया था वह कहाँ गया?

कोमल: मैं कह दूँगी कि मैंने गाँड में डाल ली, और अनिल के लंड पर मल दिया (खिलखिलाती है, फिर मेरी ओर देखती हुई कहती है:) नहीं रे, मैं कह दूँगी कि तुम्हारे दोस्तों की पार्टी थी, तो सैंडविच में खत्म हो गया। तू टेन्शन मत ले।

मैं: आई लव यू कोमल, क्या तू मेरी गुप्त-पत्नी बनेगी...

कोमल: मैं तेरी सब कुछ बनूँगी... मैं तेरी रख़ैल हूँ, और तेरी सेक्स-टीचर... वैसे तू चेला काफी अच्छा है... तुमने मुझे संतुष्ट कर दिया... और एक औरत को क्या चाहिए?

हम अब इतने थके हुए थे कि और चुदाई नहीं कर सकते थे, अतः हमने साथ में नहाया और एक-दूसरे को भली-भाँति स्वच्छ किया। मैंने उसकी चूत के बालों पर सनसिल्क लगा कर सफाई की। तो मित्रों, इस तरह हमने सारा दिन सम्भोग व आनन्द में बिताया। अन्त में हम सो गए।

अगले दिन उसने मेरा लंड चूसते हुए मुझे जगाया, पर बात यहीं समाप्त न हुई। हमने उस दिन भी पूरा आनन्द उठाया।

जब भी भैया जाते तो हम सारा काम साथ-साथ करते थे जैसे खाना, नहाना, टीवी देखना यहाँ तक कि शौच भी। जब भैया होते, तो भी हम एक दूसरे के अंगों को दबा देते, मैं उसकी चूचियाँ और गाँड दबाता और मज़े लेता। भैया जब दूसरी ओर देख रहे होते तो वह मेरे लंड को मसल देती... जब वह नहीं होते फिर तो पूरी तरह से मज़े ही मज़े होते। मैं कॉलेज भी न जाकर उसे चोदता रहता।

हर स्त्री उस आदमी से खुल जाती है और उसके सामने बेशर्म हो जाती है जो आदमी उसे संतुष्ट करता है... आपको पता है, मैं तो उसकी चूत में मक्खन, पनीर, क्रीम, दही, आईसक्रीम, दाल या साँभर कुछ भी डालकर उसे खाता या पीता हूँ। उसके चूत से निकलने वाली रस से स्वाद और भी अच्छा हो जाता है।

उसी प्रकार वह मेरे लंड पर लिपस्टिक लगाती, या टमाटर की चटनी, खीरा, या डबल सैंडविच में लंड डालकर उसे खाती। और मैं उसके इन व्यंजनों पर अपने सफ़ेद क्रीम इनाम के तौर पर डालता जिसे वह चटखारे लेकर खाती। उसे यह बहुत अच्छा लगता कि मैं उसकी इन छोटी-छोटी बातों पर भी ध्यान देता हूँ।
बहन के लोदो अब तो मेल कर दो

गंदे चुटकुले :

गंदे चुटकुले :
तीन दोस्त संता बंता और जंता एक ही ऑफिस में एक साथ काम करते थे.और उन लोगो ने ये नोटिस किया की उनका बॉस ऑफिस से जल्दी निकल जाता है. एक दिन तीनो ने ये निर्णय लिया की ,बॉस जैसे ही ऑफिस से जल्दी घर जायेंगे हम लोग भी ऑफिस से निकल लेंगे…दो तो राज़ी हो गए लेकिन तीसरा दोस्त संता डर रहा था, वो बोला नही यार, मै नही जाऊंगा …कभी बॉस ने पकड़ लिया तो? ..
(लेकिन बंता और जंता ने उसे समझाया …की बॉस लौट कर तो आते नही, सो हम लोग नही पकड़े जा सकते)
फिर वो राज़ी हो गया. अगले दिन जैसे ही , बॉस ऑफिस से जल्दी निकले, कुछ देर बाद ही वो तीनो लोग भी निकल गए.
पहला दोस्त बंता जी घर जल्दी पहुच कर , पकौडे खाया, चाय पिया फिर इवेनिंग वाक पर निकल गया.
दूसरा दोस्त जंता भी -अपने फैमिली के साथ शौपिंग करने चला गया.
तीसरा दोस्त संता जैसे ही घर पंहुचा, उसके बीबी के कमरे से कुछ सेक्सी-सेक्सी सी आवाज़ आ रही थी.उसने धीरे से दरवाज़ा खोला और देखा की उसके बॉस उसकी बीबी के साथ सेक्स कर रहे थे.उसने धीरे से दरवाज़ा बंद कर दिया , और जल्दी से बहार भाग गया.

अगले दिन जब फिर बॉस ऑफिस से जल्दी निकला, उसके दोनों दोस्त आए और बोले की -चल जल्दी बॉस तो चले गए. संता गुस्से में बोला.- नही, मैं नही जाऊँगा, साले ! तुम दोनों की वज़ह से कल तो मैं पकड़ा जाता..लेकिन बाल-बाल बच गया

Wednesday, May 6, 2009

सबसे बड़ा चोदु....

जो मेरा ब्लॉग की पोस्ट देखने के बाद भी मुजे मेल न करे तो वो सबसे बड़ा गांडू और जो मेल करे वो सबसे बड़ा चोदु............

Tuesday, May 5, 2009

लंड पर भी खून

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मैं मज़े में चिल्ला पड़ी ऊऊउइ शा

इस कहानी की शुरुआत हम दो दोस्तों से हुई है और आगे जाकर इसमे कई मोड़ आते हैं जिसे आप लोग पसंद करेंगे। मैं क्योंकि एक लड़की हूं इस लिये ये चाहूंगी कि लड़कियां अपनी रिएक्षन ज़रूर लिखें, क्योंकि शायद लड़कियां एक दूसरे को अच्छे से समझ पाती हैं।
मेरी एक बहुत ही प्यारी सहेली है शालिनी।
उसकी उमर मेरे बराबर कोई 28 साल, हाइट 5.6, फ़ीगर 34c-28-36, गुलाबी रंग, बड़ी-2 आंखें, गुलाबी होंथ, खूब फूले हुए बूब्स, भरे-2 चूतड़ और उनसे नीचे उतरती सुडौल जांघें। बहुत ही प्यारी और सेक्सी लड़की है वो। हम दोनो कोलेज से एक साथ हैं और कोई बात एक दूसरे से छुपी हुई नहीं है। और हो भी कैसे सकती है क्योंकि कोलेज के ज़माने मैं ही हम दोनो के बीच एक रिश्ता और बन गया। एक रोज़ मैं उसके साथ उसके घर गयी तो घर मैं कोई नहीं था। हम दोनो मज़े से बातें कर रहे थे और मैं उसे सता रही थी कि संडे को तुम अश्विन से मिली थी तुम दोनो ने क्या किया था बताओ न मुजे और वो शरमा रही थी। अश्विन उसका कजिन था और दोनो एक दूसरे से बहुत प्यार करते थे। दोनो अक्सर घूमने और पिक्चर देखने जाते थे। मेरे आग्रह करने पर उसने बड़े शरमाते हुए बताया कि उस दिन अश्विन ने उसे किस किया था। मैं ने उसे लिपटा कर उसका गुलाबी गाल चूम लिया, हे बेईमान अब बता रही हो, तो वो शरमा कर हंस दी। हे शालु बता न और क्या किया था तुम दोनो ने।
बस न, सिर्फ़ किस किया था उसने, वो शरमा कर मुस्कराई। ऐ शालु बता न प्लीज कैसे किया था। हट बदतमीज़ वो प्यार से मुझे धक्का दे कर हंस दी। मैं उसकी भरी-2 जांघों पर सिर रख कर लेट गयी उसके गोल गोल दूध मेरे चेहरे के ऊपर थे, मैं ने धीरे से उसके राइट दूध पर उंगली फेरी, क्यों शालु ये नहीं दबाये अश्विन ने? तो उसके चेहरा शरम से लाल हो गया और धीरे से बोली - हां, तो मैं ने उसका खूबसूरत गुलाबी चेहरा अपने दोनो हाथों मैं लेकर गाल चूम लिये। कैसा लगा था शालु, है निक्की क्या बताउं मेरी तो जैसे जान निकल गयी थी जब उनकी गरम-2 ज़बान मेरे मुंह मैं आयी मैं मदहोश हो गयी उन्होंने मुझे अपनी बाहों मैं ले लिया और एक दम से अपना हाथ यहां रख दिया वो निक्की का हाथ अपने राइट दूध पर रख कर सिसकी। मैं तड़प उठी और बहुत मना किया पर वो न माने और दबाते रहे। फिर शालु; निक्की बड़ी मुश्किल से उन्होंने मुझे छोड़ा। शालु की बातें सुनकर मेरी हालत अजीब होने लगी ऐसा लग रहा था जैसे पूरे जिस्म मैं चीटियां दौड़ रही हों। मेरा ये हाल देख कर शालु मुस्कुराई और मेरे गाल सहला कर बोली तुमको क्या हो गया निक्की? तो मैं ने शरमा कर उसकी जांघों मैं मुं ह छुपा लिया। वो मेरी पीठ सहला रही थी और मेरी हालत खराब हो रही थी क्योंकि मेरा चेहरा बिल्कुल उसकी चूत के ऊपर था जो खूब गरम हो रही थी और मेहक रही थी। मैं ने धीरे से उसकी चूत पर प्यार कर लिया तो वो सिसक उठी आह आह आह निक्की उफ़ नहीं न प्लीज मत करो और मेरे चेहरा उठाया। हम दोनो के चेहरे लाल हो रहे थे। शालु के थे। शालु के गुलाबी होंठ कांप रहे थे, मेरे चेहरे को अपने हाथों में लेकर वो सिसकी निक्की, और मैं भी ना रोक सकी और उसके गुलाबी कांपते होंठ चूम लिये।
एक आग सी लगी हुई थी हम दोनो के जिस्मों में। मैं उसके होंठ पर होंठ रख कर सिसक उठी, शालु प्लीज मुझे बताओ न अश्विन ने कैसे चूमे थे ये प्यारे-2 होंठ। तो अपने नाज़ुक गुलाबी होंठ दातों में दबा कर मुस्कुराई, निक्की उसके लिये तो तुमको शालु बनना पड़ेगा। मैं हंस दी उसके गाल तोर कर, चलो ठीक है तुम अश्विन बन जाओ। शालु ने अपनी बाहें फैला दी तो मैं उनमे समा गयी और वो मेरे गाल, होंठ, आंखें, नाक और गर्दन पर प्यार करने लगी तो मैं तड़प उठी आह आआह शा शाआलु ऐए मा नहीं ओह ओह ओह ऐ री उफ़ ये अह ओह ऊओम्म ऊऊम अह अह क्या कर रही हो अह है है बस बस नहीं न ऊफ और उसके होंठ मेरे होंठों से चिपक गये और उसकी गुलाबी ज़बान मेरे होंठों पर मचलने लगी। उसके एक हाथ जैसे ही मेरे दूध पर आया मेरी चीख निकल गयी नाआहि आअह अह शाअलु ऊफ़ मत करो प्लीज ये आअह क्या कर रही हो, तो मेरे होंठ चूसतुइ हुई सिसकिउ वो ही जो अश्विन ने मेरे साथ किया था। वो मुझ से जूम गयी और उसकी ज़बान मेरे होंठ खोल रही थी धेरे-2 और फिर अंदर घुस गयी तो मैं उसकी ज़बान की गरमी से पागल हो उठी और उस से लिपट गयी, शालु ने मुझे बेड पर लिटा दिया और मेरे दोनो दूध दबाते हुए मेरे होंठ चूसने लगी ऊफ़ उसकी ज़बान इतनी चिकनी, गरम और इतनी लम्बी थी के मेरे पूरे मुंह में मचल रही थी और मेरे गले तक जा रही थी। हम दोनो के चेहरे पूरे लल हो रहे थे और थूक से भीग चुके थे। मुझे बहुत मज़ा आ रहा था और मैं भी उसका साथ दे रही थी और उसका प्यारा सा गुलाबी चेहरा हाथों में लेकर उसके होंठ और ज़बान चूस रही थी और सिसक रही थी आह अह शालु अह अह हां अह निक्की मेरी जान, ऊफ़ शालु कितनी मज़े की ज़बान है तेरी इतनी लम्बी ऊफ़ सच्ची अश्विन को मज़ा आ गया होगा, आअह ही धीरे निक्की अह आअह सच्ची निक्की बहुत मज़ा आया था क्या बताउं तुझे आह धीरे से मेरे होंठ।
आह निक्की उठो न प्लीज अब, तो हम दोनो उठे तो फिर से मुझे लिपटा कर मेरे होंठ चूसने लगी और मेरे कुरते की ज़िप खोली और मेरी ब्रा का हुक खोल दिया और मेरे मुंह में सिसकी उतारो न निक्की प्लीज और मेरे हाथ ऊपर करके मेरा कुरता अलग कर दिया, आअह शालु ये आह तो मेरे होंठ चूम कर सिसकी कुछ न बोलो निक्की सच्ची बहुत मज़ा आ रहा है मैं उसके सामने टोपलेस बैठी थी शरम से मेरी बुरी हालत थी। मैं ने अपने दोनो हाथों से अपने भरे भरे दूध छुपा लिये और देखा तो शालु ने भी अपना कुरता और ब्रा अलग कर दी और मैं देखती रह गयी। उफ़ कितने प्यारे दूध हैं शालु के खूब बड़े बड़े बिल्कुल गुलाबी रंग, तनी हुई लम्बी चूचियं जिनके आस पास लाल रंग का गोल घेरा उस ने मुझे अपनी तरफ़ देखते हुए पाया और मेरी आंखें चूम लीं और मेरे दोनो हाथ मेरे दूधों पर से हताये और अपने दूधों पर रखे और होंठ चबा कर सिसकी ऊई मां आह आह और फिर मेरे दूध पकड़े तो मेरी जान निकल गयी आऐए आआऐर अह्ह अह आआअह ऊओह ऊऊम आआआआअह नहीं शाल्लल्ललु और मैं ने भी उसके दूध ज़ोर से दबाये तो शालु भी मुझे से लिपट कर सिसक उठी आईईए ऊऊउइ ऊऊउइ अह अह अह धीएरे आह निक्कक्ककि धीएरे आह मेरे दूधु और मेरे होंठों पर होंठ रखे तो एक साथ हम दोनो की ज़बाने मुंह के अंदर घुस पड़ी।
उसकी लम्बी चिकनी और गरम ज़बान ने मुझे पागल कर दिया और फिर मुझे लिटा कर वो भी मेरे ऊपर लेट गयी। हमारे दूध आपस में जैसे ही टकराये तो दोनो की चीखें निकल पड़ी और हम दोनो झूम गये और मेरी चूत रस से भर गयी। मैं ने उसे लिपटा लिया और उसकी पीठ और चिकनी कमर और नरम-2 चूतड़ सहलानी लगी तो वो मेरे जिस्म पर मचलने लगी मैं ने उसका गुलाबी चेहरा उठाया तो उसकी आंखें नहीं खुल पा रही थीं बहुत हसीन लग रही थी शालु मैं उसके गाल और होंठ चूसने लगी उसके गोल नरम नरम दूध मेरे सांसों से टकराते तो जैसे आग लग जाती मैं ने उसको थोड़ा उपर किया तो उसके खूबसूरत चिकने गुलाबी दूध मेरे सामने थे मैं अपने आप को रोक न सकी और उसकी लाल चूची पर ज़बान फेरी वो मस्ती में चिल्ला पड़ी आईईई मा मर जाउंगी मैं आह अह ओह ऊओफ़ अह निक्की आह अह्ह हान ये ये ये भी किया था अश… अह अश्वनि ने। और मैं ने उसका पूरा का पूरा दूध मुंह में ले लिया तो मज़ा आ गया और शालु ने मेरा चेहरा थाम कर अपने दूधों में घुसा लिया और सिर झटक कर मचलने लगी आआइए निक्की धीरे प्लीज ऊफ़ ऐई री मा धीर से न आअह बहुत अच्छा लग रहा है आह पूरा पूरा चूसो न ऊफ़ मेरा दूध आह निक्की सची ऐईए ऐसे नहीं न कातो मत प्लीज उफ़ तुम तो अह अश्विन से अच्छा चूओसती हो आअह आराम से मेरी जान और वो मेरे दूध दबाने लगी है सच्ची कितनी नरम दूध हैं तेरे निक्की मुझे दो न प्लीज निक्की तो मैं ने होंठ अलग किये उसके दूध से और देखा तो उसका दूध मेरे चूसने से लाल और थूक से चिकना हो रहा था तो मैं ने जैसे ही दूसरा दूध मुंह में लेना चाहा वो सिसक उठी आह निक्की प्लीज मुझे दो न अपनी ये प्यारि-2 चूचियां कितनी मुलायम हैं उइ सच्ची मैं और मेरी चूचियां मसलने लगी तो मैं ने उसके गीले लाल होंठ चूम लिये अह आअह शालु आराम से मेरी जान आह और और क्या किया था अश्विन ने बताओ न तो मेरे दूध पर अपने चिकने गुलाबी गाल रख कर मुस्कुरायी और धीरे से बोली और कुछ नहीं करने दिया मैं ने। क्यों शालु दिल नहीं चाहा तुम्हारा।
वो मेरे उपर से उतर कर अपने पैर फैला कर बैठी और मुझे भी अपने से चिपका कर बिठा लिया और मेरे दूधों से खेलते हुए बोली निक्की सच दिल तो बहुत चाहा लेकिन मैने अपने को बड़ी मुश्किल से रोका। क्योंकि डर लग रहा था। तो मेरे दूधों पर ज़बान फेरने लगी तो मेरी आंखें बंद हो गयी मज़े में और मेरा हाथ उसकी चिकनी मुलायम पेट पर आया और उसकी गोल नाभि में उंगली घुमाने लगी। आह शाल्लु सच्ची कितनी लम्बी ज़बान है तुम्हारी और मैं क्या करूं आह मेरे दूध आऐए मा अह्ह धीरे न इतनि ज़ोर से मत नोचो मेरे दूध आह आह ओह ऊओफ़ शालु प्लीज नहीं न। आअह हन हाअन बस ऐसे ही चूसे जाओ बहुत मज़ा आ रहा है। निक्की मेरी जान सच्ची कहां छुपा रखे थे येह प्यारे-2 दूधु। तो मैं शरम से लाल हो गयी उसकी बात सुनकर और उसकी एक चूची ज़ोर से दबाई तो वो चिल्ला कर हंस पड़ी ऊऊउइ मा निक्की। तो मैं ने उसके होंठ चूम लिये। शालु, हूं, तुम ने बताया नहीं अश्विन और क्या कर रहा था तो वो शरमा कर मुसकराई निक्की वो तो, हां बोलो ना शालु प्लीज तो शालु ने मेरा हाथ अपने शलवार के नाड़े पर रखा और धीरे से बोली वो तो ये खोलने के मूद में थे, फिर शालु, मैं ने रोक दिया उसे। क्यों शालु क्यों रोक दिया बेचारा अश्विन, तो मेरे गाल पर ज़ोर से काट कर हंस दी बड़ी आयी अश्विन वाली। मैं भी ज़ोर से चिल्ला कर हंस दी ऐ शालु बताओ ना क्यों रोक दिया तो वो मुसकराई, मैं ने कह दिया ये सब अभी नहीं, शादी के बाद।
और वो फिर मेरे दूध चूसने लगी ज़ोर ज़ोर से तो मैं पागल हो उठी आह शालु आराम से मेरी जान और मैं ने उसकी शलवार खोल दी तो वो चोंक गयी और मेरा हाथ पकड़ कर बोली ये ये निक्की क्या कर रही हो, तो मैं ने उसके गीले रस भरे होंठ चूम लिये मेरी शालु जान शादी तो अश्विन से होगी मुझे तो दिखा दो तो वो मुझसे लिपट कर मेरे पूरे चेहरे पर प्यार करने लगी हाय मेरी निक्की कब से सोच रही थी मैं आह मेरी जान और एकदुम से उसने मेरी शलवार भी खोल दी और उसक हाथ मेरी चिकनी जांघों पर था मैं मज़े में चिल्ला पड़ी ऊऊउइ शाआलु
नाआहि और वो मेरे होंठ चूस रही थी और मेरी जांघें सहला रही थी और मैं मचल रही थी नहीं शालु प्लीज मत करो आइए ऊऊओफ़ नाआहि न ओह मैं क्या करूं और उसने एकदुम से मेरी जलती हुई चोर पर हाथ रखा तो मैं उछल पड़ी, हाय रे आह ये ये क्या कर दिया शालु, मुझे कुछ होश न था उसका एक हाथ अब मेरी चूत सहला रहा था जो बुरी तरह गरम हो रही थी दूसरे हाथ से वो मेरा दूध दबा रही थी और उसकी लम्बी गरम ज़बान मेरे मुंह में हलचुल मचा रही थी। मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मेरी चूत झड़ने वाली है मैं ने उसे लिपटा कर उसके चूतड़ों पर हाथ फेरा तो वो मचल उठी और मैं भी मस्त हो गयी उसकी शलवार भी उतर चुकी थी अब हम दोनो बिल्कुल नंगे थे और बेड पर मचल रहे थे। आह निक्की ऊओफ़ सच्ची बहुत गरम चूत है उफ़ कितनी चिकनी है छोती सी चूत सच्ची बहुत तरसी हूं इस प्यारी चूत के लिये मैं, दे दो न प्लीज निक्की ये हसीन छोटी सी चूत।
हाय शालु मैं ऐन निकल रही हूं प्लीज आह मैं क्या करूं मेरा पूरा जिस्म जल उठा और मैं ने शालु के नरम गरम चूतड़ दबाए और एकदम से उसकी चूत पर हाथ रखा तो वो तड़प उठी ऊऊउइ नीईइकि और मैं तो जैसे निहाल हो गयी उसकी चूत बिल्कुल रेशम की तरह मुलायम और चिकनी थी खूब फूली हुई मैं एकदम से उठी और उसकी चूत पर नज़र पड़ी तो देखती रह गयी बिल्कुल चिकनी चूत जिस पर एक बाल भी नहीं था और शालु की चूत लाल हो रही थी, क्या देख रही हो निक्की ऐसे तो मैं अपने होंठों न पर ज़बान फेर कर सिसकी शालु और एक दम से मैं ने उसकी चूत पर प्यार किया तो वो उछल कर बैठ गयी हम दोनो एक दूसरे की चूत सहला रहे थे। शालु, हूं, अश्विन को नहीं दी ये प्यारी सी चीज़, तो वो शरमा कर मुस्कुराई ऊन हूनह। क्यों? तो वो शरारत से मुस्कुरा कर बोली तुम्हारे लिये जो बचा कर रखी है। तो मैं हंस दी हट बदतमीज़। सच्ची निक्की, वो मेरी चूत धीरे-2 दबा कर सिसकी हमेशा सोचती थी के तुम्हारी ये कैसी होगी। तो मैं अहरमा कर मुसकुराई मेरे बारे मैं क्यों सोचती थीं तुम। पता नहीं बस तुम मुझ बहुत अच्छी लगती हो दिल चाहता है कहां प्यार करूं। तो मैं मुस्कुरा कर उस के होंठ चूम लिये, तो फिर आज से पहले क्यों नहीं किया ये सब। तो मेरे दूधों पर चेहरा रख कर बोली डर लगता था के तुमको खो न दूं कहीं।
मैं ने उसे लिपटा कर उसके होंठ चूस लिये और आहिस्ता से उसे लिटा दिया और झुक कर चूत के उभार पर प्यार किया तो वो मचल उठी आअह्ह आआह निक्की मुझे दे दो न अपनी हसीन सी चूत मेरी जान मेरे प्यार और मैं ने घूम कर अपनी चूत उसकी तरफ़ की तो मेरे नरम चूतहर पकड़ कर नीचे किये और चूत पर होंठ रखे तो मैं कांप गयी आह आह आह ऊऊऔइ शालु और जैसे ही उसकी ज़बान मेरी चूत पर आयी मैं नशे में उसकी चूत पर गिर पड़ी और उसकी चूत पर प्यार करने लगी और चूसने लगी। हम दोनो की चीखें निकल पड़ी दोनो के चूतड़ उछल रहे थे शालु मेरे चूतड़ दबा रही थी और अचानक उसकी ज़बान मेरी चूत के छेद में घुस पड़ी तो ऐसा लगा जैसे गरम पिघलता हुआ लोहा मेरी चूत में घुस गया हो, मैं चिल्ला पड़ी उसकी चूत से झूम कर आऐईए माअ मर जाआअओनगि नाआअहि शलु अर्रर्रर्ररे आह ऊओम ऊमफ ऊऊओह्ह ओह ओह ह्हह्है ह्हह्हिअ आआइ मैं निकल रही हूऊऊओन शालु मेरे चूतड़ उछलने लगे और शालु के चूतड़ भी मचले और वो भी मेरी चूत में चिल्लाने लगी निक्की चूसो अ आआइउ अयययो मा अर्रर्रर्रे रीईईए आआआअह ऊऊओमफ आआह्ह ह्हाआआआ आआअह्हह्ह ह्हाआआअ और मुझे ऐसा लगा जैसे चूत से झड़ना बह निकला हो रोकते-2 मेरे गले से नीचे उतर गया यही हाल शालु का भी था हम दोनो के चेहरे लाल हो रहे थे सांसें तेज़ तेज़ चल रही थीं और हम दोनो एक दूसरे से लिपट कर पता नहीं कब सो गये।