Saturday, May 23, 2009

चुदाई के दौरान हल्की सी चीख

मैं लुधियाना से ३३ साल की संजना, फ़ीगर, ३६-३२-४० एक बार फ़िर एक नई कथा आपके लिए ले कर अन्तर्वासना पर आई हूँ।

छेदी राम पंजाब में ईंटों के भट्टे पर काम करता था। दुबला पतला सा, बिहार के छपरा से आकर वो समाना शहर के पास एक भट्टे पर काम पे लग गया। जब वो कमाने लगा तो घर वालों ने बिहार में ही उसका रिश्ता तय कर दिया। जब छेदी राम गाँव गया तो उसकी शादी गुलाबी से कर दी गई।

शादी करके छेदी बहुत खुश था क्योंकि गुलाबी के रूप में उसे एक भरे बदन की गोरी चिट्टी बीवी मिल गई पर शादी से गुलाबी को कोई ख़ुशी ना मिली। ३ इंच की लुल्ली वाला छेदी उसकी प्यास नहीं बुझा पाता था, ना छेदी की लुल्ली में मोटाई थी, ना लम्बाई और ना कड़कपन। पर गुलाबी ने इसे ही अपना भाग्य मन लिया और चुप करके दिन काटने लगी।

शादी के कुछ दिन बाद छेदी काम के लिए वापिस पंजाब आ गया और अपने साथ अपनी पत्नी गुलाबी को भी ले आया। छेदी ने सोचा कि अगर दो हाथ कमाने वाले होंगे तो गुज़ारा अच्छा हो जायेगा इसलिए उसने भट्टे के ठेकेदार से बात करके गुलाबी को भी काम पे रखवा दिया।

एक दिन जब ठेकेदार भट्टे का मुआयना कर रहा था तो उसने गुलाबी को ईंटें उठा कर ले जाते देखा और अपने मुंशी से पूछा,"अरे बनवारी, ये औरत कौन है?"

बनवारी ठेकेदार की रग रग से वाकिफ था, बोला," सरकार ! अपने छेदी की जोरू है, कहो तो बुलाऊं?"

"अरे नहीं, अभी नहीं, पर साली है जोरदार ! देखो कोई जुगाड़ बिठाओ, देखें तो साली मीठी है या नमकीन !"

इस पर दोनों हंस दिए और आगे बढ़ गए।

कुछ दिनों बाद छेदी के गाँव से कुछ पैसों की ज़रुरत आ गई तो छेदी ने अपनी बीवी से बात की। पर दोनों के पैसे जोड़ कर भी घर भेजने के लिए पैसे पूरे ना पड़े। छेदी ने अगले दिन पे बात टाल दी। अगले दिन जब सुबह छेदी सो कर उठा तो उसका बदन तो बुखार से तपा पड़ा था सो वो काम पे ना जा सका और गुलाबी को अकेले ही काम पे जाना पड़ा।

काम पे गुलाबी ने अपनी एक सहेली चंदा से बात की तो उसने कहा," तो क्या हुआ, ठेकेदार से उधर मांग ले और अपनी पगार से कटवाते रहना।"

यह सोच कर कि चलो आसानी से काम बन गया, भोली-भाली गुलाबी ठेकेदार के पास गई।

जब ठेकेदार ने गुलाबी को आते देखा तो मुंशी से बोला," बनवारी, ये इधर किधर आ रही है?"

तो बनवारी बोला," सरकार ! लगता है आपकी तो निकल पड़ी, आएगी तो …..” इस पे दोनों जोर से हंस दिए। जब गुलाबी ठेकेदार के सामने आ कर खड़ी हुई तो बातों बातों में ठेकेदार ने उसके जिस्म का पूरा जायज़ा ले लिया, गोरा रंग, भरा बदन, दो गोल गोल बड़ी सी छातियाँ, सपाट पेट, मोटा कुल्हा, भारी भारी चूतड़, सच में गुलाबी एक सेक्स बम्ब लगी और गुलाबी का जिस्म देखते देखते ही ठेकेदार का लण्ड खड़ा हो गया।

ठेकेदार अपनी धोती में से ही अपने लण्ड को हिला रहा था जिसे गुलाबी भी देख रही थी। ठेकेदार ने बिना ज्यादा बात किये गुलाबी को पैसे दे दिए। जब गुलाबी पैसे ले कर जाने लगी तो ठेकेदार ने उसे आँख मार दी, जिस पर गुलाबी सिर्फ मुस्कुरा कर चली गई। उसके मुड़ते ही ठेकेदार बोला," बनवारी लाल ये तो ….."

"टाँगें उठा उठा कर देगी सरकार !" मुंशी ने बात पूरी की।

उन्होंने जानबूझ कर इतनी ऊंची आवाज़ में कहा कि गुलाबी सुन ले, और गुलाबी भी सुन कर चुपचाप चली गई। ना जाने क्यों उसे ठेकेदार का आँख मारना अच्छा लगा।

२-३ दिन बाद जब सारा भट्टा भर गया तो उसे बस फूस डाल कर आग लगानी बाकी थी। तो पहले से बनाये कार्यक्रम के अनुसार मुंशी ने गुलाबी को कहा," ए गुलाबी ! जा अन्दर जाकर देख, अगर सारा फूस लग गया हो तो मैं ठेकेदार से पूछ कर आग लगवाऊं !"

जब गुलाबी भट्टे के अन्दर चली गई तो मुंशी गेट के बाहर अपना मेज़ लगा कर बैठ गया ताकि कोई अन्दर ना जा सके।

गुलाबी जब बिल्कुल अन्दर पहुंची तो देखा कि वहां ठेकेदार पहले से ही खड़ा था," अरे गुलाबी, तू कैसे आई?" ठेकेदार बोला।

"जी मैं तो ये देखने आई थी कि .."

"कि मैं अन्दर क्या कर रहा हूँ, जानेमन मैं तो तुम्हारा ही इंतज़ार कर रहा था आ जाओ !" कह कर ठेकेदार ने आगे बढ़ कर गुलाबी अपनी बाँहों में ले लिया।

गुलाबी एक दम डर गई," नहीं ठेकेदार साब, मुझे छोड़ दो !"

तो ठेकेदार बोला," देख गुलाबी, सच कहता हूँ जब से तुम्हें देखा है, मेरे मन पे काबू नहीं रहा, अब तुम्हारे बिना रहा नहीं जाता, अब ना मत कहना, मैं तेरे लिए तड़प रहा हूँ !" कहते हुए ठेकेदार ने गुलाबी को चूमना चाटना शुरू कर दिया। चूमने चाटने से गुलाबी को भी मज़ा आया और ठेकेदार का लण्ड खडा हो गया। वो भी अपना लण्ड गुलाबी की चूत से टकराने लगा। अब तो गुलाबी के भी बस से बात बाहर होने लगी और उसने ठेकेदार को कस कर बाँहों में भर लिया।

ठेकेदार ने बिना वक्त गंवाए अपने और गुलाबी के कपड़े उतारने शुरू कर दिए और १ मिनट बाद ही दोनों बिल्कुल नंगे थे। गुलाबी आज पहली बार इतना लम्बा, मोटा और तना हुआ लण्ड देख रही थी। ठेकेदार ने उसे अपना लण्ड पकड़ाया और गुलाबी की छातियाँ चूसने लगा और चूसते चूसते उसके पेट और जांघों को भी चूमता रहा। गुलाबी की चूत से पानी चू कर उसकी टांगों से बहने लगा।

ठेकेदार ने गुलाबी को बाँहों में उठाया और फूस के ढेर पे लिटा दिया और उसके ऊपर लेट गया। उसके लेटने के बाद गुलाबी ने खुद अपनी टाँगें चौड़ी की और ठेकेदार की टांगों से अपनी टाँगें लिपटा दी।

ठेकेदार ने गुलाबी के गाल चूसते हुए कहा- गुलाबी इसे पकड़ कर अपनी चूत पे रख !

जब गुलाबी ने ठेकेदार का लण्ड हाथ में पकड़ा तो वो उसके लण्ड का कड़कपन देख कर हैरान रह गई पर बोली कुछ नहीं। उसने चुपचाप लण्ड को अपनी चूत पे रखा तो ठेकेदार ने एक झटके में अपना आधा लण्ड गुलाबी की चूत में डाल दिया जिससे गुलाबी के मुंह से एक हल्की सी चीख निकल गई और इस हल्की सी चीख ने ठेकेदार का मज़ा १० गुणा कर दिया। वो जोर लगा कर लण्ड अन्दर ठेलता रहा और गुलाबी दर्द से “हाय-हाय” करती रही पर उसने एक बार भी ठेकेदार को रुकने के लिए नहीं कहा क्योंकि इस दर्द के लिए वो कब से इंतज़ार कर रही थी।

खैर हौले हौले ठेकेदार का सारा लण्ड गुलाबी की चूत में घुस गया और ठेकेदार ने बड़े प्यार से चूस चूस कर गुलाबी की चुदाई शुरू की। चुदाई के दौरान ठेकेदार ने गुलाबी को जी भर के मसला। गुलाबी की बड़ी बड़ी छातियाँ मसल मसल के उसने लाल कर दी, गाल चूस चूस कर गुलाबी कर दिए, घस्से मार मार के चूत को भी सुर्ख कर दिया पर गुलाबी को इस सब में दर्द कम और मज़ा ज्यादा आया।

यह वो आनंद था जो छेदी उसे कभी नहीं दे पाया था। ठेकेदार की एक चुदाई में गुलाबी दो बार पानी छोड़ गई। ठेकेदार ने भी अपने माल से गुलाबी की चूत को ऊपर तक भर दिया और थक कर गुलाबी के ऊपर ही लेट गया। १०-१५ मिनट आराम करने के बाद ठेकेदार ने गुलाबी को दोबारा जम कर चोदा और इस बार गुलाबी ने भी सारी लाज-शर्म त्याग कर ठेकेदार का भरपूर साथ दिया और अपनी कमर उठा उठा कर ठेकेदार से चुदी। जब चुदाई के बाद गुलाबी भट्टे से बाहर निकली तो वहां मुंशी ने उसे पकड़ लिया और उसके मम्मे दबाये तो ऊपर से ठेकेदार आ गया और बोला- मुंशी, नहीं इसको मैं निज़ी माल बना कर रखूंगा, इसको हाथ मत लगा, गुलाबी तू जा और सुन, मिलती रहा कर !

और गुलाबी अपने घर को चल दी। आज गुलाबी बहुत खुश थी क्योंकि उसकी बरसों की प्यास आज शांत हो गई थी। उसे लग रहा था कि आज उसकी सुहागरात या सुहागदिन था। आज वो एक लड़की से पूरी औरत बन गई थी।

यह एक काल्पनिक कथा है और सच्चाई से इसका कोई लेना देना नहीं है। आप सिर्फ इसे पढ़ो और मज़े लो

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